बांग्लादेश में तख्ता पलट! प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छोड़ा देश पीएम आवास में दाखिल प्रदर्शनकारी
x

बांग्लादेश में तख्ता पलट! प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छोड़ा देश पीएम आवास में दाखिल प्रदर्शनकारी

इस बीच, बांग्लादेश में हिंसा जारी है, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. बाग्लादेश के आर्मी चीफ सोमवार को देश को संबोधित करने वाले थे, उससे पहले ही प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया


Bangladesh unrest: बांग्लादेश में बड़ा राजनितिक उलटफेर हुआ है. लगभग एक महीने से चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच आज ( 5 अगस्त ) दोपहर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है. इसके साथ हू उनके इस्तीफे की खबर भी सामने आई है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, उग्र विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बीच, जिसमें 100 से ज़्यादा लोग मारे गए, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बहन देश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने उनके सरकारी आवास पर धावा बोल दिया.

वहीँ प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर धावा बोल दिया है. इस दौरान राजनीतिक गतिरोध के बीच सेना प्रमुख विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं.
सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएफपी ने रिपोर्ट किया है कि , "पीएम शेख हसीना और उनकी बहन गणभवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास) छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चली गई हैं." जाने से पहले वो भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं. लेकिन उन्हें ऐसा करने का अवसर नहीं मिल सका. ये राजनितिक घटना ऐसे समय में हुई जब बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान रविवार को हुई भीषण झड़पों में मारे गए 98 लोगों के मारे जाने के बाद आज ( सोमवार ) को राष्ट्र को संबोधित करने वाले हैं.

300 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत
पिछले महीने आरक्षण को लेकर बंगलादेश में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते अब तक मरने वालों की संख्या 300 से अधिक हो चुकी है. इस दौरान कई बार पूरे देश में कर्फ्यू लगाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालने के लिए आरक्षण में कटौती भी की. इस एक महीने के दौरान हजारो की संख्या में प्रदर्शनकारी लगातार प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे.

रविवार को शुरू हो गयीं थीं हिंसक झड़प

रविवार सुबह झड़पें तब शुरू हुईं जब सरकार के इस्तीफे की मांग करने के लिए एक असहयोग कार्यक्रम में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों को अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं के समर्थकों के विरोध का सामना करना पड़ा. ढाका ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि, "देश के कई हिस्सों में हुई कई घातक झड़पों में कम से कम 18 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए, जिसका मुख्य कारण भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले चल रहा असहयोग आंदोलन था." गृह मंत्रालय ने रविवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन देशव्यापी कर्फ्यू लगाने का फैसला किया। इस बीच, प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं और उन्होंने लोगों से उन्हें सख्ती से दबाने को कहा. 'छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी' अखबार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सूत्रों के हवाले से बताया कि हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई. उन्होंने कहा कि देश भर में विरोध के नाम पर तोड़फोड़ करने वाले छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं। उन्होंने कहा, "मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों को सख्ती से कुचलने की अपील करती हूं।"बैठक में सेना, नौसेना, वायु सेना, पुलिस, आरएबी, बीजीबी के प्रमुख और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए.


शेख हसीना के इस्तीफे की मांग

रविवार को बीडीन्यूज24 न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे और कोटा सुधार विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए. असहयोग आंदोलन के पहले दिन राजधानी के साइंस लैब चौराहे पर भी प्रदर्शनकारी एकत्र हुए. उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए. डेली स्टार अखबार के अनुसार, रविवार को बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी (बीएसएमएमयू) में अज्ञात लोगों ने कई वाहनों में आग लगा दी. अखबार के अनुसार, अस्पताल परिसर में लाठी लिए लोगों को निजी कारों, एंबुलेंस, मोटरसाइकिलों और बसों में तोड़फोड़ करते देखा गया, जिससे मरीजों, उनके परिचारकों, डॉक्टरों और कर्मचारियों में डर पैदा हो गया.


बातचीत के लिए आमंत्रण खारिज

प्रदर्शनकारियों ने बढ़ती हिंसा को रोकने के उद्देश्य से हसीना के बातचीत के आमंत्रण को खारिज कर दिया और अपनी मांगों को सरकार के इस्तीफे के लिए एक एकीकृत आह्वान में एकीकृत कर दिया. विरोध समन्वयकों ने स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों और मदरसों के छात्रों के साथ-साथ श्रमिकों, पेशेवरों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और अन्य सार्वजनिक सदस्यों से विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आह्वान किया.

Read More
Next Story