साजिश का शिकार हो गईं शेख हसीना, ये बड़े देश थे नाराज !
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साजिश का शिकार हो गईं शेख हसीना, ये बड़े देश थे नाराज !

शेख हसीना पिछले 15 साल से बांग्लादेश की पीएम रहीं, उनकी नीतियों से देश आगे भी बढ़ा। लेकिन इस वर्ष आम चुनाव के बाद से उनके खिलाफ माहौल बनने लगा था।


बांग्लादेश में जिस बात का डर था वही हुआ। पांच अगस्त को वहां एक बार फिर तख्तापलट हो गया प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर वहां से भागना पड़ा...वह अगरतला होते हुए सी 130 हरक्यूलिस विमान से गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट पहुंचीं. शाम के वक्त उनकी मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी (एनएसए) अजीत डोभाल से हुई। वह भारतीय सुरक्षाबलों की निगरानी में सेफहाउस में हैं..बताया जा रहा है कि वह राजनीतिक आश्रय में ब्रिटेन या फिनलैंड जा सकती हैं।

आखिर आरक्षण का विरोध क्यों हुआ?

फिलहाल, हम यहां आपको बताएंगे कि आखिर यह पूरा मामला क्या है आरक्षण के खिलाफ छात्रों की इतनी नाराजगी की वजह क्या है? आपने गौर किया होगा कि बांग्लादेश में बीते कुछ महीने तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था...लेकिन अचानक से दो चार महीने से आरक्षण की आग सुलग गई। जून महीने से आरक्षण के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन होने शुरू हुए... लेकिन प्रदर्शन इतने बड़े और हिंसक नहीं थे...लेकिन 15 जुलाई के बाद प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के साथ झड़पें शुरू हो गईं...फिर इसका स्वरूप बड़ा और हिंसक होता चला गया...

हालात संभालने के लिए हसीना ने देश को संबोधित किया फिर भी प्रदर्शन कम नहीं हुए। हिंसक प्रदर्शनों का दायरा राजधानी ढाका से निकलकर अन्य शहरों में फैल गया। 20 जुलाई को देश भर में कर्फ्यू लग गया और सेना तैनात हो गई... 29 जुलाई के बाद विरोध प्रदर्शन फिर तेज हुए बीते रविवार को जमकर हिंसा, बवाल और झड़पें हुईं। रविवार और बीते प्रदर्शनों में करीब 300 लोगों की मौत हुई। इनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे फिर सोमवार को जो कुछ हुआ। उसे आप सभी ने टीवी पर देखा।

अब हम आपको बता रहे हैं कि आखिर आरक्षण का विरोध क्यों? 1971 में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मुक्त बाहिनी के लोगों ने बहुत बड़ी कुर्बानी दी...पाकिस्तानी फौज से लड़े...पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश में बदलने के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी...बांग्लादेश बन जाने के बाद शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में जो पहली सरकार बनी । उसने इन स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की आरक्षण की यह व्यवस्था तभी से है बाद में इसका विरोध भी शुरू हो गया बीच-बीच में छोटे-मोटे प्रदर्शन होते थे लेकिन वे शांत भी हो जाते थे...लेकिन इस बार प्रदर्शन इतना हिंसक और अराजक हो जाएगा इसके उम्मीद नहीं थी

अमेरिका

यह प्रदर्शन जैसा दिख रहा है, वैसा है नहीं इसके पीछे विदेशी ताकतें हो सकती हैं। इसका इशारा हसीना ने कुछ समय पहले कर दिया था हसीना बीते जनवरी में लगातार तीसरी बार पीएम चुनी गईं। उनके पिछले कार्यकाल से ही अमेरिका के साथ रिश्ते सामान्य नहीं थे। मई महीने में उन्होंने एक सनसनीखेज दावा किया। उन्होंने कहा था कि एक गोरे आदमी ने उनके देश में एयरबेस बनाने की पेशकश की थी। जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन जानकार मानते हैं कि उनका इशारा अमेरिका की तरफ था।

चीन
यह तो हुई अमेरिका की बात अब बात करते हैं चीन की। चीन के साथ भी बांग्लादेश के रिश्ते में खटास आ गई थी। आपको याद होगा कि जुलाई महीने में हसीना चार दिनों की चीन यात्रा पर गई थीं लेकिन वह एक दिन पहले यानी कि यात्रा के तीसरे दिन वह अचानक से चीन से वापस बांग्लादेश लौट आईं...बताया गया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब हो गई थी..जिसकी वजह से उन्हें दौरा बीच में छोड़कर आना पड़ा मीडिया में जो बातें सामने आईं। उसके मुताबिक बीजिंग में हसीना को वह प्रोटोकॉल नहीं मिला जितना कि एक राष्ट्राध्यक्ष को मिलना चाहिए...दूसरा चीन ने बड़ी रकम देने का वादा किया था उसमें भी उसने भारी कटौती कर दी.इससे हसीना नाराज हो गईं और वे वापस लौट आईं।

तीस्ता पर भारत को प्राथमिकता

बांग्लादेश लौटने के बाद हसीना ने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की प्राथमिकता जता दी। यही नहीं बांग्लादेश अपनी नौसेना और वायु सेना के लिए काफी मात्रा में चीन से हथियार और उपकरण खरीदता है लेकिन सेना में हसीना के वफादार जो अधिकारी हैं वे उसके हथियारों पर सवाल उठाने लगे। उन्होंने दावा किया कि चीन के हथियार ठीक से चलते नहीं उनमें तकनीकी झोल बहुत ज्यादा है। यह बात भी चीन को बुरी लगी वह भी मौका ताड़ रहा था। पड़ोस में आग लगाकर हाथ सेकने में उसे बहुत मजा आता है। उसको तो बस मौका चाहिए बांग्लादेश में आरक्षण की चिंगारी भड़काने के लिए उसे मौका मिल गया।

पाकिस्तान

अब बात पाकिस्तान की बांग्लादेश का कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी वही संगठन है जिसने 1971 की लड़ाई में पाकिस्तानी फौज का साथ दिया था... बताया जाता है कि इसकी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ साठगांठ है। अवामी लीग के नेता आरोप लगा चुके हैं कि इन प्रदर्शनों के पीछे खालिदा जिया की बीएनपी और जमात ए इस्लामी का हाथ है। इन सारी कड़ियों को आप मिलकार देखेंगे तो पता चलेगा कि छात्रों का यह प्रदर्शन आर्गेनिक नहीं है इसे खाद पानी और हवा कहीं और से मिला है।

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