
भारत-नेपाल रिश्तों पर बोलीं सुशीला कार्की, 'जहां बर्तन होते हैं, आवाज तो होती है'
interim Prime Minister Nepal: सुशीला कार्की की यह नियुक्ति अंतरिम है और नेपाल की राजनीतिक स्थिरता के लिए इसे एक अहम मोड़ माना जा रहा है.
first woman Prime Minister of Nepal: नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की भारत के लिए कोई नई पहचान नहीं हैं. 73 वर्षीय कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं और अब देश की अंतरिम प्रधानमंत्री बनी हैं. सुशीला कार्की का भारत से गहरा संबंध रहा है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है. अपने छात्र जीवन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वह गंगा के किनारे स्थित हॉस्टल की छत पर गर्मियों की रातों में सोया करती थीं. उन्होंने भावुक होकर कहा कि मुझे आज भी मेरे शिक्षक, दोस्त और गंगा नदी याद हैं.
आम लोगों के बीच प्यार और सद्भावना
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में सुशीला कार्की ने भारत-नेपाल संबंधों पर बात की. जब उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत से उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले तो मैं मोदी जी को नमस्कार कहूंगी. मेरे मन में मोदी जी के लिए एक अच्छी छवि है. उन्होंने आगे कहा कि भारत ने हर समय नेपाल की मदद की है. सरकारों के बीच संबंध एक अलग विषय है. लेकिन भारत और नेपाल के लोगों के बीच बहुत प्यार और सद्भावना है. बहुत सारे रिश्तेदार, बहुत सारे परिचित — हमारे बीच बहुत अपनापन है.
जब बर्तन साथ रखें हों, आवाज तो होती ही है
भारत-नेपाल संबंधों में कभी-कभी खटास को लेकर उन्होंने कहा कि हिंदी में कहते हैं — जब रसोई में बर्तन साथ में रखे जाते हैं तो आवाज तो होती है. ऐसा होता है. लेकिन हमारे आपसी संबंध मजबूत हैं.
नीति पर बाद में होगा विचार
भारत के साथ भविष्य की नीति पर उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक भारत से कोई बातचीत नहीं हुई है. हम बात करेंगे. जब दो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय मामला होता है तो लोग बैठकर नीति बनाते हैं. भारतीय नेतृत्व की तारीफ करते हुए कार्की ने कहा कि मैं भारतीय नेताओं से बहुत प्रभावित हूं. हम उन्हें अपने भाई-बहन की तरह मानते हैं. अपने गृहनगर बिराटनगर को लेकर उन्होंने बताया कि मेरा घर भारत सीमा से सिर्फ 25 मील की दूरी पर है. हम अक्सर सीमा के बाजार में खरीदारी के लिए जाया करते थे.
इतिहास रचने वाली नेता
नेपाल की सत्ता में बदलाव के इस दौर में, जब युवा प्रदर्शनकारियों ने पुराने सत्ता ढांचे को चुनौती दी और नेतृत्वविहीन स्थिति में सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया — यह उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों में एक और अध्याय जोड़ता है.