नेपाल के बाद अब फ्रांस : मैक्रां सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ उबाल, ब्लॉक एवरीथिंग प्रोटेस्ट में हिंसा
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पेरिस की एक सड़कों पर जगह-जगह आगजनी हुई

नेपाल के बाद अब फ्रांस : मैक्रां सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ उबाल, 'ब्लॉक एवरीथिंग' प्रोटेस्ट में हिंसा

नए प्रधानमंत्री लेकोर्नू तत्काल संकट से जूझ रहे हैं, क्योंकि जेन-ज़ी से प्रेरित ऑनलाइन आंदोलन ने शहरों में उथल-पुथल फैला दी है।


नेपाल में चल रहे 'जेन-ज़ी' आंदोलन के बीच फ्रांस में भी हिंसक आंदोलन शुरू हो गया है। बुधवार को पेरिस और फ्रांस के अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कीं, आगजनी की और पुलिस के आंसू गैस का सामना किया। उनका मकसद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर दबाव बनाना और उनके नए प्रधानमंत्री को तत्काल संकट में डालना था।

फ्रांस के गृह मंत्री ब्रूनो रेतेयो के हवाले से बताया गया है कि कि देशव्यापी प्रदर्शनों की शुरुआती घंटों में करीब 200 गिरफ्तारियां हुईं। उन्होंने कहा कि रेन शहर में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में बिजली लाइन को नुकसान पहुँचाने से ट्रेन सेवा बाधित हुई। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर “विद्रोह का माहौल बनाने” का आरोप लगाया।

आंदोलन का असर

हालाँकि “सब कुछ रोक दो” (Block Everything) आंदोलन अपने घोषित लक्ष्य — पूरे देश को ठप करने — तक नहीं पहुँच पाया, लेकिन सोशल मीडिया से प्रेरित इस अभियान ने भारी व्यवधान खड़ा किया, बावजूद इसके कि सरकार ने 80,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था।

पुलिस ने बैरिकेड हटाए और प्रदर्शनकारियों को तेज़ी से हिरासत में लिया, लेकिन समूह बार-बार पेरिस की रिंग रोड को जाम करने की कोशिश करते रहे। सुबह के व्यस्त समय में उन्होंने सड़क पर अवरोधक खड़े किए, यातायात धीमा किया और वस्तुएँ फेंकीं।

राजनीतिक संकट

यह अशांति ऐसे समय में आई है जब मैक्रों एक नए राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेयरू ने संसद में विश्वास मत हार दिया, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई। मंगलवार को मैक्रों ने सेबास्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया, लेकिन पद संभालते ही वे बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों से घिर गए।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

“सब कुछ रोक दो” आंदोलन इस गर्मी सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट्स के ज़रिए फैला। इसका कोई स्पष्ट नेतृत्व नहीं है, लेकिन इसमें कई तरह की शिकायतें सामने आई हैं—बेयरू के कठोर बजट प्रस्तावों के विरोध से लेकर व्यापक असमानताओं के खिलाफ मांगें तक।

हालाँकि इसकी शुरुआती तीव्रता फ्रांस के हालिया बड़े प्रदर्शनों—जैसे “पीली जैकेट” (Yellow Vest) आंदोलन, 2023 में एक किशोर की पुलिस गोलीबारी के बाद हुए दंगे, और पेंशन सुधारों के खिलाफ हुए विरोध—से कम दिखाई दी, लेकिन इस आंदोलन की स्वतःस्फूर्त रणनीति पहले के विद्रोहों से मेल खाती है।

“यलो वेस्ट” आंदोलन की तरह ही, “सब कुछ रोक दो” ने भी अलग-अलग समूहों को आर्थिक संकट और मैक्रों की नेतृत्व शैली के खिलाफ एकजुट कर दिया है।

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