गाय से शुरू हुई क्रांति, कहां खो गया अहिंसक फिलिस्तीनी संघर्ष?
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गाय से शुरू हुई क्रांति, कहां खो गया अहिंसक फिलिस्तीनी संघर्ष?

गाजा पर 15 महीनों से जारी इजरायली हमलों में 55,000 मौत हो चुकी है। लेकिन सवाल यह है क्या कभी फिलिस्तीन का भुला हुआ अहिंसक प्रतिरोध लौटेगा?


गाजा पट्टी अब खंडहर बन चुकी है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद शुरू हुए इजरायली हमलों को 15 महीने हो चुके हैं और अब तक लगभग 55,000 लोग मारे जा चुके हैं। लेकिन इस तबाही के बीच एक सवाल लगभग अनदेखा रह गया है आखिर फिलिस्तीन के कभी जीवंत रहे अहिंसक प्रतिरोध को क्या हुआ।

अहिंसक संघर्ष की जड़ें

1967 के छह-दिवसीय युद्ध से पहले, फिलिस्तीनी प्रतिरोध मुख्य रूप से शांतिपूर्ण था। महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर से प्रेरित होकर, कार्यकर्ता मार्च, नागरिक अवज्ञा और अहिंसक आंदोलन करते थे। इनका उद्देश्य बिना हिंसा के इजरायली कब्जे का विरोध था।

एक गाय और एक क्रांति

1988 में पहले इंतिफादा के दौरान वेस्ट बैंक के बैत साहूर में लोगों ने एक अनोखा प्रयोग किया। उन्होंने 18 गायों के साथ एक डेयरी फार्म शुरू किया ताकि इजरायली उत्पादों पर निर्भरता कम की जा सके। इजरायली सेना को यह शांति की कोशिश भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा लगी और डेयरी को बंद करवा दिया गया। ‘द वांटेड 18’ नामक डॉक्यूमेंट्री ने इस पूरे वाकये को बड़े प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया।

पहले इंतिफादा का वैश्विक असर

1987 से शुरू हुआ पहला इंतिफादा शुरुआत में शांति के साथ चला। इजरायली उत्पादों का बहिष्कार, टैक्स न देना और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन था। इससे वैश्विक जनमत फिलिस्तीन के पक्ष में हुआ।इजरायल, जिसे पहले ‘डेविड’ के रूप में देखा जाता था, अब गोलियाथ जैसा दिखने लगा। लेकिन 1993 के ओस्लो समझौते के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं मिला।

दूसरी इंतिफादा और हिंसा की वापसी

2000 में अरीएल शैरोन द्वारा हरम अल शरीफ की यात्रा के बाद दूसरी इंतिफादा शुरू हुई। शुरुआत में शांतिपूर्ण रहे आंदोलन जल्दी ही हिंसक हो गए। आत्मघाती हमलों के जवाब में इजरायल ने टैंक, हेलीकॉप्टर और मिसाइलों का प्रयोग किया। 2005 तक 3,200 फिलिस्तीनी और 950 इजरायली मारे गए।

BDS आंदोलन और उसका असर

2005 के बाद भले ही अहिंसक प्रतिरोध कमजोर पड़ा हो, पर BDS (बॉयकॉट, डिवेस्टमेंट, सैंक्शंस) आंदोलन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा संभाला। इजरायल और अमेरिका में इस आंदोलन पर कानूनी प्रतिबंध लगे, लेकिन यह आज भी जारी है।

विरासत और भविष्य की राह

अहिंसक संघर्ष ने इजरायली कब्जे के खिलाफ वैश्विक सहानुभूति और कूटनीतिक दबाव बनाया। परंतु 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले और उसके बाद शुरू हुई भीषण हिंसा ने इस रणनीति को पीछे धकेल दिया।अब सवाल यह है कि जब यह युद्ध थमेगा, क्या फिलिस्तीन में फिर से अहिंसा की कोई जगह बची होगी?

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