With Khalistanis waving flags and shouting slogans at Canada’s Malton gurudwara
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कनाडा के मालटन गुरुद्वारे में खालिस्तान समर्थकों द्वारा झंडे लहराने और नारेबाज़ी करने के कारण यह आयोजन खुले तौर पर हिंदू-विरोधी रुख अपनाने के लिए व्यापक आलोचना का विषय बना। फोटो : स्क्रीनशॉट/X

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की हिंदू विरोधी रैली, निशाने पर मोदी-शाह

यह ताज़ा घटना कनाडा में एक सिख गुरुद्वारे और एक हिंदू मंदिर पर खालिस्तान समर्थक ग्रैफिटी के साथ हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद सामने आई है।


टोरंटो में खालिस्तान समर्थकों ने एक रैली निकाली, जिसमें उन्होंने लगभग 8,00,000 हिंदुओं को भारत वापस भेजने की मांग की। इस रैली में एक बड़ा ट्रक शामिल था, जिस पर एक पिंजरा बना हुआ था और उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अन्य नेताओं के पुतले रखे गए थे।

कनाडा के मालटन गुरुद्वारे में खालिस्तानी झंडे लहराते हुए और नारे लगाते हुए, इस आयोजन ने खुलेआम हिंदू-विरोधी रुख अपनाने के लिए व्यापक आलोचना झेली। इस नकली जेल में गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पुतले भी रखे गए थे।

हिंदू-विरोधी घृणा

"यह भारत सरकार के खिलाफ कोई विरोध नहीं है। यह एक खालिस्तानी आतंकी समूह द्वारा फैलाई जा रही स्पष्ट हिंदू-विरोधी घृणा है, जो कनाडा के सबसे घातक हमले के लिए कुख्यात है," — हिंदू समुदाय के नेता शॉन बिंदा ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया।

यह टिप्पणी 1985 में एयर इंडिया की उड़ान के बम धमाके की ओर इशारा करती है, जिसमें मॉन्ट्रियल से बॉम्बे (अब मुंबई) जा रही फ्लाइट आयरलैंड के पास समुद्र में फट गई थी, और 329 लोगों की मौत हुई थी।

कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने भी इस हिंदू-विरोधी रैली का वीडियो साझा किया और पूछा कि क्या मार्क कार्नी की नई सरकार खालिस्तानियों के मामले में जस्टिन ट्रूडो की नीति से अलग होगी।

कार्नी के लिए चुनौती

बोर्डमैन ने ट्वीट किया, "हमारी सड़कों पर जिहादी कहर बरपा रहे हैं और यहूदी समुदाय को धमका रहे हैं। लेकिन खालिस्तानी भी किसी से पीछे नहीं हैं — ये विदेशी फंडिंग से चलने वाला सबसे घातक खतरा बनते जा रहे हैं। क्या कार्नी का कनाडा ट्रूडो से अलग होगा?"

नॉर्थ अमेरिका की हिंदू समुदाय संस्था (Coalition of Hindus of North America) ने इसे "शर्मनाक दिन" बताया और कहा: "दुनिया इस मॉडल को पहले भी देख चुकी है और अब चेत जाने की ज़रूरत है। क्या नगर, प्रांतीय और राष्ट्रीय संस्थाएं इस पर ध्यान देंगी? क्या मानवाधिकार संगठनों या मीडिया में यह खबर आएगी?"

बैसाखी परेड में भी विरोध

यह रैली उस समय हुई जब कुछ ही दिन पहले मार्क कार्नी ने लिबरल पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में चौंकाने वाली जीत दिलाई थी। इससे पहले पिछले महीने सरे में वार्षिक खालसा डे बैसाखी परेड के दौरान भी खालिस्तानी झंडे और भारत-विरोधी पोस्टर देखे गए थे।

वहां भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के "वॉन्टेड" पोस्टरों वाली तस्वीरों ने विवाद खड़ा किया था।

मंदिरों और गुरुद्वारे में तोड़फोड़

यह घटना उस समय सामने आई है जब कनाडा में एक सिख गुरुद्वारे और एक हिंदू मंदिर पर खालिस्तान समर्थक ग्रैफिटी के साथ तोड़फोड़ की गई। कनाडा में बड़ी संख्या में सिख आबादी निवास करती है।

हालांकि भारत में खालिस्तान आंदोलन को लंबे समय से खत्म कर दिया गया है, लेकिन इसके समर्थक चुनिंदा पश्चिमी देशों — खासकर कनाडा — में अब भी इसकी आग भड़काने की कोशिश करते रहते हैं।

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