भारत पर आरोपों से भी नहीं गली जस्टिन ट्रूडो दाल, अपनों ने भी नकारा!
Justin Trudeau: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इन दिनों राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं.
Canadian PM Justin Trudeau: जस्टिन ट्रूडो कनाडा (Canada) के दूसरे सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं. हालांकि, उनके राजनीतिक दिन कुछ अच्छे नहीं चल रहे हैं. अपनी सरकार को बचाने के लिए वह हर हथकंडे अपनाते नजर आ रहे हैं. लेकिन फिर भी कोई बात बनते हुए दिखाई नहीं दे रही है. इतना ही नहीं, अपनी सरकार के खिलाफ पनप रहे असंतोष से ध्यान भटकाने के लिए ट्रूडो (Justin Trudeau) भारत (India) पर आरोप लगाने से भी बाज नहीं आए. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बल्कि खुद के पार्टी के सदस्यों ने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए. ऐसे में वह कभी भी अपनी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) इन दिनों राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं. इस वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ सकता है. अपनी लिबरल पार्टी के भीतर लगातार अलग-थलग पड़ते जा रहे ट्रूडो (Justin Trudeau) भारत (India) के खिलाफ आरोपों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे कि बढ़ती घरेलू चुनौतियों, गिरती अर्थव्यवस्था और अपनी पार्टी के भीतर असंतोष से ध्यान भटकाया जा सके.
लिबरल पार्टी में विद्रोह
पिछले एक साल में सीन केसी और केन मैकडोनाल्ड सहित कई हाई-प्रोफाइल लिबरल पार्टी के सांसदों ने सार्वजनिक रूप से ट्रूडो को पद छोड़ने के लिए कहा है, जिसमें उनके नेतृत्व से असंतोष का हवाला दिया गया है. रिपोर्ट बताती है कि 20 से अधिक लिबरल सांसदों ने उनके इस्तीफे की मांग करते हुए एक प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं.
दिसंबर में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे ने ट्रूडो की सरकार को झटका दिया. फ्रीलैंड का जाना कथित तौर पर नीतिगत असहमतियों से उपजा था, जिसमें ट्रूडो द्वारा संभावित अमेरिकी टैरिफ और उनकी आर्थिक रणनीति को संभालना शामिल था.
ट्रूडो ने दिसंबर में कहा था कि अधिकांश परिवारों की तरह, कभी-कभी छुट्टियों के आसपास हमारे बीच झगड़े होते हैं. लेकिन निश्चित रूप से अधिकांश परिवारों की तरह, हम भी इससे बाहर निकलने का रास्ता खोज लेते हैं. आप जानते हैं, मैं इस देश से प्यार करता हूं, मैं इस पार्टी से बहुत प्यार करता हूं, मैं आप लोगों से प्यार करता हूं और प्यार ही वह चीज़ है जो परिवारों का सार है.
वहीं, फ्रीलैंड ने अपने इस्तीफे में ट्रूडो (Justin Trudeau) और उनके राजनीतिक हथकंडों की आलोचना की. फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद ट्रूडो मीडिया ब्रीफिंग या सार्वजनिक कार्यक्रमों से काफ़ी हद तक गायब हो गए और अपना ज़्यादातर समय स्की रिसॉर्ट में बिताया. आंतरिक उथल-पुथल में इज़ाफा करते हुए लिबरल पार्टी को हाल ही में हुए दो उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा. वहीं, न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह जैसे प्रमुख सहयोगियों ने कहा है कि वे सरकार को गिराने के लिए कनाडाई (Canada) संसद में एक प्रस्ताव पेश करेंगे. वर्तमान में शीतकालीन अवकाश पर कनाडाई (Canada) संसद 27 जनवरी को अपनी कार्यवाही फिर से शुरू करेगी.
लीडरशिप सिनेरियो
अगर ट्रूडो (Justin Trudeau) इस्तीफा देते हैं तो लिबरल पार्टी की मुख्य चुनौती जन अपील वाले नेता को ढूंढना होगा. कनाडा (Canada) में, कोई अंतरिम नेता पार्टी के स्थायी नेतृत्व के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता. डोमिनिक लेब्लांक, मेलानी जोली, फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन और मार्क कार्नी जैसे नामों को संभावित दावेदारों के रूप में पेश किया गया है. लेकिन नेतृत्व की दौड़ की समयसीमा इस साल के अंत में होने वाले संघीय चुनावों से पहले पार्टी को कमज़ोर बना सकती है.
कनाडा (Canada) के लिबरल नेता को एक विशेष सम्मेलन के माध्यम से चुना जाता है. एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें महीनों लग सकते हैं. अगर लिबरल्स के पास स्थायी नेता होने से पहले चुनाव की घोषणा की जाती है तो पार्टी को मतपेटी में जोखिम का सामना करना पड़ेगा. ट्रूडो (Justin Trudeau) की राजनीतिक मुश्किलें तब सामने आईं, जब पियरे पोलिएवर के नेतृत्व वाली विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को जनमत सर्वेक्षणों में बढ़त हासिल हुई. पोलिएवर ने आर्थिक निराशाओं का फ़ायदा उठाया है. ट्रूडो (Justin Trudeau) के कार्बन टैक्स को निरस्त करने और कनाडा (Canada) के आवास संकट को दूर करने की कसम खाई है. कुछ सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव को लिबरल्स पर दोहरे अंकों की बढ़त दिखाई गई है.
ट्रूडो का भारत के साथ दांव
सितंबर 2023 में ट्रूडो (Justin Trudeau) द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत (India) की संलिप्तता के आरोप के बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव बढ़ रहा है. निज्जर को कनाडा (Canada) में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मारी गई थी. भारत (India) ने इस आरोप को "बेतुका" बताकर खारिज कर दिया. ट्रूडो के इस दावे की कि भारत (India) आपराधिक गतिविधियों को प्रायोजित करता है, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना हुई है. इसके बाद के नतीजों में, भारत (India) ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और ओटावा में अपने दूत को वापस बुला लिया. जब कनाडा ने निज्जर मामले में भारतीय अधिकारियों से "हितधारक" के रूप में पूछताछ करने का प्रयास किया. टोरंटो के पास एक हिंदू मंदिर पर हमले सहित कनाडा (Canada) में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और भड़का दिया.
भारत (India) ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा नामित आतंकवादी निज्जर की हत्या से किसी भी तरह के संबंध को लगातार खारिज किया है और ट्रूडो (Justin Trudeau) के प्रशासन पर राजनीतिक लाभ के लिए खालिस्तानी समर्थकों को खुश करने का आरोप लगाया है. जी-20 शिखर सम्मेलन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बैठकों सहित कई आदान-प्रदानों के बावजूद, कनाडा (Canada) भारत (India) को हत्या से जोड़ने वाले कोई निर्णायक सबूत देने में विफल रहा है. आलोचकों का तर्क है कि ये आरोप कनाडा (Canada) में खालिस्तानी सिख वोट बेस के एक हिस्से को आकर्षित करने का एक प्रयास है. जिसे कुछ लोग राजनीति से प्रेरित मानते हैं. हालांकि, यह रणनीति उल्टी पड़ती दिख रही है. कई कनाडाई इसे राष्ट्रीय मुद्दों से ध्यान भटकाने के रूप में देख रहे हैं.