रूस की तालिबान सरकार को मान्यता, भारत के लिए अवसर या चुनौती?
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रूस की तालिबान सरकार को मान्यता, भारत के लिए अवसर या चुनौती?

Russia Taliban recognition: रूस की तालिबान के प्रति पहल से भारत को अपनी भूमिका निभाने का नया अवसर मिल सकता है.


India-Taliban relations: रूस के द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता देने के बाद दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया है. जहां एक ओर वैश्विक समुदाय अब भी तालिबान को लेकर सतर्क है. वहीं, भारत के सामने एक ऐसा कूटनीतिक अवसर पैदा हुआ है, जिससे वह अफगान क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत कर सकता है. हालांकि, भारत अभी इस दिशा में तुरंत कोई कदम नहीं उठाएगा.

पिछले एक साल में भारत और काबुल के बीच संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है. भारत ने तालिबान शासन से संवाद बढ़ाया है और हाल ही में पहलगाम हमले की तालिबान द्वारा निंदा को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

भारत के रणनीतिक साझेदार रूस ने इस सप्ताह तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता देने वाला पहला देश बनकर वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कदम से भारत की अफगान नीति को नया बल मिल सकता है, खासकर ऐसे समय में जब काबुल और इस्लामाबाद के रिश्ते तनावपूर्ण हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस की तालिबान के प्रति पहल से भारत को अपनी भूमिका निभाने का नया अवसर मिल सकता है. रूस चीन पर निर्भरता से बचना चाहेगा, जिससे भारत को एक क्षेत्रीय स्थिरता भागीदार के रूप में उभरने का मौका मिल सकता है. इससे हाल के वर्षों में बिगड़े रणनीतिक संतुलन को कुछ हद तक बहाल करने की संभावना है.

भारत ने मई महीने में अफगान नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं फिर से शुरू की हैं. ये वीज़ा मुख्य रूप से इलाज के लिए आने वाले लोगों को केस-दर-केस आधार पर जारी किए जा रहे हैं.

इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी का कश्मीर हमले की निंदा करने के लिए आभार जताया है. तालिबान ने भारत के INSTC (इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर) और चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार की इच्छा भी जताई है. रूस की इस पहल से अफगान क्षेत्र में भारत के लिए एक संतुलित और सक्रिय भूमिका निभाने का मार्ग खुल सकता है.

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