ट्रंप की H-1B वीज़ा फ़ीस घोषणा से सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर फ्लाइट में हड़कंप, यात्री उतरे
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ट्रंप की H-1B वीज़ा फ़ीस घोषणा से सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर फ्लाइट में हड़कंप, यात्री उतरे

H-1B वर्कर वीज़ा पर 1 लाख डॉलर आवेदन शुल्क लगाने का ऐलान। उड़ान भरने से ठीक पहले कई भारतीय यात्री विमान से उतर गए, जिससे फ्लाइट तीन घंटे देर से रवाना हुई।


H1B Visa Panic: सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार को भारत जाने वाली एमिरेट्स फ्लाइट में अफरातफरी मच गई। कारण था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का H-1B वर्कर वीज़ा पर 1 लाख डॉलर आवेदन शुल्क लगाने का ऐलान। उड़ान भरने से ठीक पहले कई भारतीय यात्री विमान से उतर गए, जिससे फ्लाइट तीन घंटे देर से रवाना हुई।

सोशल मीडिया पर साझा वीडियो में यात्री विमान के अंदर खड़े या मोबाइल पर जानकारी तलाशते दिखे। कप्तान ने घोषणा की “यदि कोई यात्री मौजूदा हालात में यात्रा नहीं करना चाहता तो वह उतर सकता है।”


सोशल मीडिया पर अफरातफरी के दृश्य

विमान में मौजूद एक यात्री ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा किया, जिसमें लोग गलियारों में खड़े नज़र आ रहे थे। कुछ यात्री मोबाइल फोन पर लगातार जानकारी जुटाते दिखाई दिए, जबकि कई असमंजस की स्थिति में इधर-उधर देखते नज़र आए। एक अन्य वीडियो में फ्लाइट के कप्तान ने घोषणा करते हुए कहा, “मौजूदा हालात असामान्य और अभूतपूर्व हैं। यदि कोई यात्री यात्रा जारी नहीं रखना चाहता तो वह उतर सकता है। यह पूरी तरह आपकी इच्छा पर निर्भर है।”
वीडियो साझा करने वाले यात्री ने इसे “पूरी तरह अराजक और डरावनी स्थिति” बताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप के आदेश ने विशेष रूप से भारतीय यात्रियों में दहशत फैला दी, जिनमें से कई ने अमेरिका लौटने की संभावना को लेकर चिंता जताई।

ट्रंप का तर्क और कंपनियों की एडवाइजरी

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी घोषणा में कहा कि H-1B कार्यक्रम का मकसद अमेरिका में “अल्पकालिक, उच्च कौशल वाले कर्मचारियों” को लाना था, लेकिन कंपनियाँ इसे “अमेरिकी श्रमिकों को कम वेतन पर बदलने” के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। इस कदम के बाद तकनीकी उद्योग में हड़कंप मच गया और बड़ी कंपनियों को तुरंत अपने कर्मचारियों को सतर्क करना पड़ा।
मेटा और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने H-1B और H4 वीज़ा धारक कर्मचारियों को अमेरिका से बाहर न जाने की सख्त हिदायत दी। कंपनियों ने आंतरिक ईमेल में उन कर्मचारियों से, जो फिलहाल अमेरिका से बाहर हैं, 24 घंटे के भीतर वापस लौटने को कहा। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने अमेरिकी कर्मचारियों से देश के भीतर ही रहने को कहा, जबकि मेटा ने सलाह दी कि कर्मचारी कम से कम 14 दिनों तक अमेरिका न छोड़ें ताकि नए नियमों के असर को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

व्हाइट हाउस की सफाई

फैसले पर आलोचना बढ़ने के बाद अगले ही दिन व्हाइट हाउस को सफाई देनी पड़ी। प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने स्पष्ट किया कि 1 लाख डॉलर की फ़ीस कोई वार्षिक शुल्क नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ नए H-1B वीज़ा आवेदकों पर एकमुश्त लगाया जाएगा, जबकि मौजूदा वीज़ा धारकों और नवीनीकरण पर इसका कोई असर नहीं होगा।

भारतीय समुदाय में चिंता

हालांकि स्पष्टीकरण आने के बावजूद भारतीय समुदाय और आईटी क्षेत्र में चिंता बनी हुई है। अमेरिका में लाखों भारतीय H-1B वीज़ा पर कार्यरत हैं और इस ऐलान ने उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा कर दी है। उद्योग जगत को आशंका है कि यदि यह शुल्क लागू होता है तो कंपनियों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा और भारतीय पेशेवरों के अवसर सीमित हो सकते हैं।


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