चीन का 'सुपर हथियार': नया स्टील्थ फाइटर जेट, हवा में साबित हो सकता है 'गेम-चेंजर'
jet J-36: इस फाइटर विमान ने इस सप्ताह तब हलचल मचा दी, जब इसकी पहली उड़ान की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं.
stealth fighter jet J-36: दुनिया का हर देश वैसे तो अपनी रक्षा के लिए समय-समय पर हथियार और नई टेक्नोलॉजी विकसित करते रहता है. इसका मकसद दुश्मन से अपने देश और नागरिकों की सुरक्षा करना होता है. हालांकि, कुछ देश पूरी दुनिया में अपनी साख और सैन्य क्षमता की मजबूती दिखाने के लिए नये- नये विनाशकारी हथियार बनाते रहते हैं. वैसे तो इसमें अमेरिका को सबसे आगे माना जाता है. लेकिन उसको भारत का पड़ोसी देश चीन ( China) अब कड़ी टक्कर देता हुआ नजर आ रहा है. चीन ( China) के इस बढ़ती हुई तकनीक पर भारत भी गहराई से नजर रख रहा है. इसी कड़ी में चीन ने अपने छठी पीढ़ी के गुप्त लड़ाकू विमान की टेस्टिंग की है. इसका नाम चीन ने J-36 रखा है.
बता दें कि इस फाइटर विमान ने इस सप्ताह तब हलचल मचा दी, जब इसकी पहली उड़ान की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं. इस विमान को सिचुआन प्रांत के चेंगदू में दिन के उजाले में उड़ते हुए देखा गया. इस विमान के साथ चेंगदू J-20 S लड़ाकू जेट भी था. जो पीछा करने वाले विमान के रूप में काम कर रहा था.
J-36 के उन्नत फीचर्स और टेललेस डिजाइन हवा में इसकी ताकत का लोहा मनवाने के लिए काफी है. हालांकि, चीनी सरकार और सेना ने आधिकारिक तौर पर जेट पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इसका परीक्षण उड़ान माओत्से तुंग की जन्म वर्षगांठ के साथ हुई. स्टील्थ जेट में अत्याधुनिक डिजाइन दिया गया है. इसमें उन्नत स्टील्थ फीचर्स, उच्च गति सहनशीलता और एक अपरंपरागत टेललेस त्रिकोणीय विन्यास शामिल है. यह अमेरिका के मौजूदा स्टील्थ जेट को चुनौती देने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी क्षमताएं अमेरिका और सहयोगी को खतरे में डाल सकती हैं. खासकर जो लोग चीनी ( China) पहुंच से बाहर माने जाते थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, J-36 काफी ऊंचाई और विस्तारित सीमाओं पर प्रभावी ढंग से काम कर सकता है. इसको लंबी दूरी की उड़ान के लिए हवा में फ्यूल टैंकर की जरूरत भी नहीं होती है और आसानी से अपने घरेलू सीमा से दूर लक्ष्यों पर हमला कर सकता है. यह अमेरिकी और सहयोगी फोर्स के लिए नई चुनौतियां पेश करता है, जो विस्तारित मिशनों के लिए टैंकरों, चेतावनी प्रणालियों और टोही विमानों पर निर्भर करते हैं.
J-36 को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सेना को आधुनिक बनाने के चीन के व्यापक प्रयासों के अनुरूप डेवलप किया गया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने विमान टेक्नोलॉजी , मानव रहित हवाई प्रणालियों और एकीकृत सैन्य रणनीतियों में बीजिंग की तेज़ प्रगति का हवाला देते हुए बार-बार चीन को अपनी शीर्ष चुनौती के रूप में पहचाना है. छठी पीढ़ी की वायुशक्ति पर चीन का ध्यान अमेरिका सहित अन्य वैश्विक शक्तियों के प्रयासों के समानांतर है. जो अपने नेक्स्ट जनरेशन एयर डोमिनेंस (NGAD) कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है. NGAD पहल का उद्देश्य ऐसे उन्नत लड़ाकू जेट विकसित करना है, जिनमें अत्याधुनिक स्टील्थ, अनुकूल इंजन और AI-संचालित निर्णय लेने की क्षमता शामिल हो. जिससे वे ड्रोन के लिए कमांड नोड के रूप में काम कर सकें.
प्रमुख विशेषताएं
वॉर ज़ोन की एक रिपोर्ट के अनुसार, J-36 का डिज़ाइन अपने पहले के विमान J-20, चीन के पहले पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फ़ाइटर से काफी अलग है. इसमें प्रमुख विशेषताओं शामिल हैं:-
टेललेस डिज़ाइन: इस विमान में एक त्रिकोणीय, टेललेस कॉन्फ़िगरेशन है, जो रडार सिग्नेचर को कम करके स्टील्थ को बढ़ाता है. यह डिज़ाइन लंबी दूरी के संचालन के लिए वायुगतिकीय दक्षता में सुधार करने के लिए भी माना जाता है. हालांकि, यह उन्नत थ्रस्ट-वेक्टरिंग इंजन के बिना गतिशीलता से समझौता कर सकता है.
तीन इंजन कॉन्फ़िगरेशन: तीन WS-10C टर्बोफैन द्वारा संचालित होने की अफवाह है. J-36 की अपारंपरिक इंजन व्यवस्था उच्च गति और अत्यधिक ऊंचाई पर संचालन को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन की गई है.
साइड-लुकिंग एयरबोर्न रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और उन्नत कम-अवलोकन योग्य प्रौद्योगिकियों जैसी सुविधाओं से J-36 को टोही और युद्ध परिदृश्यों में महत्वपूर्ण लाभ मिलने की उम्मीद है. लाइनों के बीच विशेषज्ञ ध्यान देते हैं कि दिन के उजाले में और सार्वजनिक रूप से देखे जाने वाले क्षेत्र में J-36 का अनावरण आकस्मिक नहीं हो सकता है.
जेट को हाई-प्रोफाइल तरीके से उड़ाने का चीन का फैसला वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका को अपनी बढ़ती सैन्य शक्ति का संकेत देने के लिए एक जानबूझकर किया गया कदम हो सकता है. रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ शोधकर्ता जस्टिन ब्रोंक ने इस घटना को "आकर्षक" बताया और कहा कि चीन की सेना रणनीतिक इरादे के बिना शायद ही कभी उन्नत प्रोटोटाइप का प्रदर्शन करती है. माना जाता है कि विमान का विकास यूएस एनजीएडी पहल के समान एक बड़े "सिस्टम ऑफ सिस्टम" दृष्टिकोण का हिस्सा है.
यह जेट इंडो-पैसिफिक में अमेरिका और सहयोगी सेनाओं की परिचालन प्रभावशीलता को चुनौती दे सकता है. इसकी रेंज और स्टील्थ क्षमताएं इसे विवादित क्षेत्रों में टैंकर, प्रारंभिक चेतावनी विमान और अग्रिम तैनात नौसेना जहाजों जैसी महत्वपूर्ण संपत्तियों को निशाना बनाने की अनुमति दे सकती हैं.
चीन का ब्रह्मास्त्र
J-36 हवाई प्रभुत्व हासिल करने और अपनी सीमाओं से परे शक्ति प्रक्षेपित करने की दिशा में एक कदम है. यह चीन की अपनी सैन्य तकनीक को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है. जो हवाई युद्ध और टोही जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका के साथ अंतर को कम कर सकता है. सैन्य विमानन में चीन का तेजी से उदय ऐतिहासिक संदर्भ इसकी साधारण शुरुआत से बिल्कुल अलग है.
साल 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ( China) की स्थापना के दौरान देश के पास केवल 17 अल्पविकसित विमान थे. आज, इसकी वायु सेना दुनिया की कुछ सबसे उन्नत वायु सेनाओं से प्रतिस्पर्धा करती है. J-36 की शुरुआत ताइवान, दक्षिण चीन सागर क्षेत्रीय विवाद और तकनीकी प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों पर चीन ( China) और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई है. यह जेट चीन की महत्वाकांक्षा का प्रमाण है कि वह सैन्य नवाचार के प्रमुख क्षेत्रों में न केवल अमेरिकी क्षमताओं की बराबरी करे. बल्कि संभावित रूप से उनसे आगे निकल जाए.