
CJI गवई का बड़ा बयान: भारत में कानून का राज, बुलडोजर का नहीं; सरकार न जज बन सकती, न जल्लाद
CJI ने कहा कि भारत में रूल ऑफ लॉ सिर्फ क़ानूनों का सेट नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो सभी के लिए समानता, गरिमा और अच्छे शासन को सुनिश्चित करता है.
Chief Justice BR Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने शुक्रवार को कहा कि देश की न्याय प्रणाली संविधान और कानून के शासन (Rule of Law) पर आधारित है — न कि बुलडोजर की कार्रवाई पर. वे मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोल रहे थे. इस कार्यक्रम में मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और देश की मुख्य न्यायाधीश रेहाना गुलबुल भी मौजूद थे.
सरकार जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती
CJI गवई ने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर एक अहम फैसला दिया था. कोर्ट ने साफ कहा कि किसी आरोपी के घर को बिना कानूनी प्रक्रिया के गिराना, कानून का उल्लंघन है. सरकार एक साथ जज, जूरी और जल्लाद नहीं हो सकती. बुलडोजर राज संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है. CJI ने बताया कि 24 सितंबर को उन्होंने जिस फैसले में बुलडोजर कार्रवाई को अवैध ठहराया, उस पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से संतोष मिला. एक परिवार को सिर्फ इसलिए सज़ा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसका कोई सदस्य अपराधी है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस ऐतिहासिक फैसले को लिखने का श्रेय सिर्फ उन्हें नहीं, बल्कि उनके साथ बैठे जस्टिस केवी विश्वनाथन को भी जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में दिए फैसले में बुलडोजर कार्रवाई पर 15 दिशानिर्देश (guidelines) जारी किए थे. फैसले में कहा गया था कि बिना 15 दिन का नोटिस दिए किसी निर्माण को गिराना अवैध है. यदि ऐसा किया गया तो अफसर को खुद के खर्च पर वही निर्माण दोबारा बनवाना होगा. अफसर जज नहीं बन सकते, उन्हें तय करने का अधिकार नहीं कि कौन दोषी है.
भारत का नैतिक और सामाजिक आधार: CJI गवई
CJI ने कहा कि भारत में रूल ऑफ लॉ सिर्फ क़ानूनों का सेट नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो सभी के लिए समानता, गरिमा और अच्छे शासन को सुनिश्चित करता है. उन्होंने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान का ज़िक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र में कानून का शासन ही न्याय और जवाबदेही की गारंटी देता है.
न्यायपालिका के अहम फैसलों का ज़िक्र
CJI गवई ने अपने भाषण में सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऐतिहासिक फैसलों का भी ज़िक्र किया. तीन तलाक जैसे अन्यायपूर्ण कानून को खत्म करना, व्याभिचार (Adultery) को अपराध की श्रेणी से बाहर करना, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करना और निजता को मौलिक अधिकार घोषित करना. उन्होंने कहा कि इन फैसलों ने साबित किया कि भारत की न्यायपालिका ने "Rule of Law" को हमेशा सर्वोच्च रखा है और मनमानी को खत्म किया है.
CJI गवई के हाल के 4 चर्चित बयान
1. 16 सितंबर – "जाओ, भगवान से कहो"
खजुराहो के एक मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने की याचिका पर गवई ने याचिकाकर्ता से कहा कि तुम कहते हो तुम भगवान के भक्त हो तो जाकर उनसे कहो कि वो मूर्ति बदल दें. हालांकि, बाद में उन्होंने इस बयान पर सफाई दी कि उनकी बात को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया.
2. 23 अगस्त – "अंक और रैंक सफलता की गारंटी नहीं"
एक कार्यक्रम में CJI ने कहा कि परीक्षा में अच्छे अंक या रैंक जरूरी नहीं कि जीवन में सफलता देंगे. मेहनत और समर्पण ही सफलता की कुंजी है. साथ ही उन्होंने कानूनी शिक्षा को सुधारने की बात भी कही.
3. 9 अगस्त – "नियम के तहत सरकारी आवास खाली करूंगा"
उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट से पहले नया घर मिलना मुश्किल है, लेकिन मैं समय पर सरकारी आवास खाली कर दूंगा. यह बात उन्होंने एक न्यायाधीश की विदाई के दौरान कही.
4. 12 जून – "अदालत की सक्रियता जरूरी"
CJI ने कहा था कि अदालतों को संविधान और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय रहना होगा, लेकिन ये सक्रियता 'ज्यूडिशियल टेररिज्म' नहीं बननी चाहिए. उन्होंने लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को अपनी सीमाओं में रहने की बात कही.