क्या SCO बनेगा अमेरिका का विकल्प? वैश्विक राजनीति में नई धुरी
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क्या SCO बनेगा अमेरिका का विकल्प? वैश्विक राजनीति में नई धुरी

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीतियों ने दुनिया के कई देशों को अमेरिका से दूरी बनाने पर मजबूर किया है. ऐसे में SCO सम्मेलन उन देशों के लिए एक वैकल्पिक मंच बनता जा रहा है. अब सवाल यह है कि क्या भारत, चीन और रूस के बीच की यह बढ़ती नजदीकी दुनिया की भूराजनीतिक दिशा को बदल देगी?


SCO Summit 2025: अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियों और टैरिफ (आयात शुल्क) के चलते अब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. खासकर, अमेरिका द्वारा भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद अब कई देश नई रणनीतिक समीकरणों की ओर बढ़ रहे हैं. इन बदलावों के बीच चीन ने भारत, रूस और तुर्की जैसे देशों के नेताओं के साथ अहम बैठक करने का फैसला लिया है. यह मीटिंग 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में होगी.

अमेरिका पर चीन का वार

SCO बैठक से पहले चीन के उप-विदेश मंत्री लियू बिन ने अमेरिका का नाम लिए बिना उस पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि एक ऐसा देश है जो केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखता है और इसके चलते वैश्विक शांति खतरे में पड़ रही है. यह बयान साफ तौर पर अमेरिका की 'अर्थव्यवस्था को हथियार बनाने' की नीति की आलोचना था.

SCO समिट: बड़ा कूटनीतिक मंच

इस बार की SCO मीटिंग में करीब 20 देशों के नेता हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति तैयप अर्दोआन भी इसमें शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस मौके पर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है. यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बावजूद संबंधों में कुछ नरमी आई है. SCO जैसे बहुपक्षीय मंच दोनों देशों के बीच संवाद का जरिया बन रहे हैं.

SCO की भूमिका और भविष्य की रणनीति

SCO की शुरुआत 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने की थी. बाद में इसमें भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस भी जुड़ गए. अब यह संगठन एशिया का एक बड़ा रणनीतिक गठबंधन बन चुका है. SCO समिट में "तियानजिन घोषणा" पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जो अगले 10 वर्षों के लिए संगठन की रणनीति तय करेगी. चीन के मुताबिक, यह घोषणा दिखाएगी कि SCO अब केवल एक क्षेत्रीय संगठन नहीं, बल्कि एक वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार लाने वाला समूह बन रहा है.

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