ढाका में तनाव : शेख हसीना के खिलाफ आने वाले फैसले से पहले सुरक्षा कड़ी
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ढाका में तनाव : शेख हसीना के खिलाफ आने वाले फैसले से पहले सुरक्षा कड़ी

ढाका में सुरक्षा उच्चतम स्तर पर, पुलिस को उपद्रवियों पर गोली चलाने तक के आदेश दिए गए हैं। हिंसा और धमाकों की घटनाओं के बीच ICT-BD आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर फैसला सुनाएगा।


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Bangladesh Unrest : बांग्लादेश में आज पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता-विरोधी अपराधों के मामले में फैसला सुनाया जाना है। उससे पहले राजधानी ढाका सहित कई जिलों में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को उच्चतम स्तर पर रखते हुए पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश की तैनाती बढ़ा दी है। इतना ही नहीं ढाका पुलिस को हिंसक भीड़ पर गोली चलाने तक के आदेश दिए गए हैं। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर एसएम सज़्जात अली ने स्पष्ट कहा कि अगर कोई बस में आग लगाने या बम फेंककर जान लेने की कोशिश करता है तो पुलिस सीधे कार्रवाई करेगी।

पिछले कुछ दिनों में राजधानी ढाका और अन्य इलाकों में आगजनी, देसी बमों के धमाके और हिंसा की कई घटनाएँ हुई हैं। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए ढाका, गोपालगंज, फरीदपुर और मदारीपुर में भी BGB की अतिरिक्त तैनाती की गई है।

अभियोजन ने मांगी शेख हसीना की मौत की सजा

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ICT-BD सोमवार को 78 वर्षीय शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाएगा। यह मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चला है। प्रमुख अभियोजक गाज़ी एमएच तमीम ने अदालत से हसीना को मौत की सजा देने की मांग की है। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि दोष सिद्ध होने पर उनकी संपत्तियाँ जब्त कर शहीदों और घायलों के परिवारों को दी जाएँ।
ICT-BD के नियमों के मुताबिक, फैसला आने के बाद अगर हसीना 30 दिनों में समर्पण नहीं करतीं या गिरफ्तार नहीं होतीं, तो उन्हें सर्वोच्च अदालत में अपील का अधिकार नहीं मिलेगा।


किन आरोपों में घिरी हैं हसीना?

यह मामला पिछले वर्ष सरकार-विरोधी तीव्र प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है। आरोप-पत्र में हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अमानवीय कृत्यों की पाँच धाराएँ शामिल हैं। इस केस में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और तत्कालीन पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून भी आरोपी थे।
हसीना और कमाल अदालत में पेश नहीं हुए, इसलिए उन्हें फरार घोषित किया गया। वहीं पूर्व आईजीपी अल-मामून अदालत में पेश हुए और बाद में सरकारी गवाह बन गए। हसीना के समर्थक इन आरोपों को पूरी तरह राजनीतिक बताते हैं और इसे अंतरिम सरकार की प्रतिशोध की कार्रवाई बताते हैं।


जुलाई में हुए विद्रोह की पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट बताती है कि 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच चले उग्र प्रदर्शनों में करीब 1400 लोगों की मौत हुई थी। यह विरोध नौकरी में कोटा प्रणाली को लेकर शुरू हुआ था। आरोप है कि उस समय हसीना सरकार ने सुरक्षा बलों को कठोर कार्रवाई का निर्देश दिया।
इसी तनाव के बीच 5 अगस्त 2024 को हसीना देश छोड़कर भारत चली गईं। कुछ ही दिनों बाद अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस नई अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने। अभियोजन पक्ष के अनुसार, हसीना ही उस हिंसा की प्रमुख साज़िशकर्ता थीं।


ढाका में धमाकों और हमलों की श्रृंखला

फैसले की तारीख तय होने के बाद ढाका में कई संदिग्ध घटनाएं दर्ज हुईं। कुछ प्रमुख घटनाएं हैं:

सरकारी और निजी बसों में आग लगाने के प्रयास
ग्रेमीन बैंक मुख्यालय के बाहर बम धमाका
मुख्य सलाहकार यूनुस और मंत्रियों से जुड़े संस्थानों पर हमले

पिछले दो दिनों में कई जगह बम विस्फोट और आगजनी हुई है, हालांकि किसी की मौत की खबर नहीं है। इन घटनाओं के सिलसिले में अवामी लीग के 18 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। पार्टी ने 10 नवंबर को ढाका लॉकडाउन का आह्वान किया था। उसी दिन जब अदालत ने फैसला सुनाए जाने की तिथि तय की।


फैसले का लाइव प्रसारण, अदालत परिसर की कड़ी सुरक्षा

अभियोजन पक्ष ने बताया है कि फैसले का लाइव प्रसारण सरकारी चैनल BTV पर किया जाएगा, और शहर के कई इलाकों में बड़े स्क्रीन लगाए जाएंगे। ICT-BD की अनुमति मिलने पर फैसले के कुछ अंश ट्रिब्यूनल के सोशल मीडिया पेज पर भी दिखाए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ICT-BD परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ाने के लिए सेना मुख्यालय को अतिरिक्त तैनाती के दो अनुरोध पत्र भेजे हैं।



अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी तेज

हसीना ने हाल में दिए कई इंटरव्यू में ICT-BD को “कंगारू कोर्ट” बताया है और आरोप लगाया कि यह उनके राजनीतिक विरोधियों के प्रभाव में काम कर रहा है। ब्रिटेन की प्रसिद्ध कानूनी संस्था डॉउटी स्ट्रीट चैंबर्स ने भी संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की अपील की है, यह कहते हुए कि हसीना “बदले की भावना” वाले माहौल में मुकदमा झेल रही हैं।
पिछले महीने अवामी लीग ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में याचिका दायर कर अंतरिम सरकार पर ही मानवता-विरोधी अपराधों का आरोप लगाया है।


ICT-BD की स्थापना की पृष्ठभूमि

ICT-BD की स्थापना 2010 में शेख हसीना ने ही की थी, ताकि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों पर मुकदमे चलाए जा सकें। बाद में ट्रिब्यूनल को बंद कर दिया गया था, लेकिन यूनुस सरकार ने कानून में संशोधन कर इसे पुनः सक्रिय किया, जिससे पूर्व शासन के नेताओं खासतौर पर हसीना पर भी मुकदमा चलाना संभव हुआ।


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