चीन, रूस और उत्तर कोरिया की धुरी पर ट्रंप का तंज, बीजिंग परेड से उठे संकेत
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चीन, रूस और उत्तर कोरिया की धुरी पर ट्रंप का तंज, बीजिंग परेड से उठे संकेत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, पुतिन और किम जोंग-उन पर अमेरिका के खिलाफ षड्यंत्र का आरोप लगाया। बीजिंग परेड में चीन ने सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर संदेश दिया था।


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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन को निशाने पर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चीन की नेतृत्वकारी टीम अमेरिका के खिलाफ षड्यंत्र रच रही है। ट्रंप ने विशेष रूप से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग-उन का ज़िक्र किया, जो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बीजिंग में आयोजित “विजय दिवस” (Victory Day) समारोह में शामिल हुए। यह कार्यक्रम द्वितीय विश्व युद्ध (1945) में जापान के आत्मसमर्पण और चीन की विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था। इस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे।

ट्रंप ने 3 सितंबर को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए चीन को याद दिलाया कि अमेरिका ने उसकी आजादी के लिए खून और भारी समर्थन दिया था। उन्होंने लिखा “मैं चीन के राष्ट्रपति और वहां की जनता को इस जश्न की बधाई देता हूँ, लेकिन कृपया मेरे गर्मजोशी भरे अभिवादन पुतिन और किम जोंग-उन तक भी पहुँचा दीजिए, जब आप मिलकर अमेरिका के खिलाफ साजिश रचते हैं।पश्चिमी पर्यवेक्षकों ने शी जिनपिंग, पुतिन और किम जोंग-उन की इस तिकड़ी को “एक्सिस ऑफ अपहीवल” (Axis of Upheaval) नाम दिया है।

बीजिंग परेड और चीन की सैन्य ताकत का प्रदर्शन

बीजिंग के तियानआनमेन गेट के सामने आयोजित इस 70 मिनट लंबी सैन्य परेड में चीन ने अपनी बढ़ती सैन्य शक्ति और अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। इसमें हाइपरसोनिक हथियार, परमाणु क्षमता वाले मिसाइल और अंडरवॉटर ड्रोन जैसी तकनीकें प्रदर्शित की गईं।

अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने कहा कि आज मानवता के सामने “शांति और युद्ध, संवाद और टकराव” में से चुनने का विकल्प है। परेड में कुल 25 अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी मौजूद थे। पर्यवेक्षकों के मुताबिक, यह आयोजन पश्चिम को एक मजबूत संदेश था कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में चीन, रूस और उनके सहयोगी अपनी एकजुटता दिखाना चाहते हैं।

एससीओ सम्मेलन और वैश्विक आर्थिक खिंचाव

हाल ही में चीन ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। इस बीच अमेरिका ने चीन पर कठोर टैरिफ लगाए हैं। भारत, जो चीन से प्रायः तनावपूर्ण संबंध रखता है, भी रूस से तेल आयात पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों और टैरिफ के कारण बीजिंग के साथ कुछ हद तक नजदीक आता दिख रहा है।

बीजिंग इन हालात में खुद को अमेरिका के खिलाफ एक संतुलनकारी शक्ति (counterweight) के रूप में स्थापित करना चाहता है। हालांकि, ट्रंप का दावा है कि चीन, रूस और अन्य देशों की बढ़ती नजदीकी अमेरिका के लिए कोई चुनौती नहीं है।

चीन को अमेरिका की ज़रूरत है – ट्रंप

बीबीसी के एक पत्रकार ने जब ट्रंप से पूछा कि क्या चीन और उसके सहयोगी अमेरिका के खिलाफ गठबंधन बना रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया “मुझे नहीं लगता, क्योंकि चीन को अमेरिका की ज़रूरत है।ट्रंप ने कहा कि उनकी शी जिनपिंग से अच्छे संबंध हैं और बीजिंग को वॉशिंगटन की उतनी ही नहीं, बल्कि और ज़्यादा ज़रूरत है।

एक अन्य रेडियो इंटरव्यू में ट्रंप ने यह भी कहा कि वे रूस और चीन के बीच संभावित धुरी से चिंतित नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के पास “दुनिया की सबसे शक्तिशाली सैन्य ताकत” है और कोई भी देश उसका सामना करने की हिम्मत नहीं करेगा।हालांकि, उन्होंने पुतिन के प्रति निराशा भी जताई। अगस्त में अलास्का में हुई हाई-प्रोफाइल बैठक में वे यूक्रेन युद्ध को लेकर किसी शांति समझौते पर नहीं पहुँच सके।

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