
Iran Israel Crisis: शांति या सत्ता परिवर्तन? ईरान मसले पर दोराहे पर दुनिया
G7 सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुलासा किया कि ट्रंप इजरायल-ईरान संघर्षविराम पर विचार कर रहे हैं। साथ ही तेहरान में सत्ता परिवर्तन को खतरा बताया।
Iran Israel Conflict: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल और ईरान के बीच संघर्षविराम की संभावना पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। कनाडा के टोरंटो में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन में मैक्रों ने यह बात मीडिया से साझा की।उन्होंने कहा कि वास्तव में मुलाकात और विचार-विमर्श का प्रस्ताव रखा गया है। खासतौर पर संघर्षविराम हासिल करने और फिर व्यापक बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए यह पहल की गई है। अब देखना होगा कि दोनों पक्ष इस पर अमल करते हैं या नहीं।
मैक्रों ने चेताया कि अगर इज़राइल तेहरान में शासन परिवर्तन (रिजीम चेंज) की कोशिश करता है तो यह एक रणनीतिक भूल होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पश्चिम एशिया की स्थिति जल्द बदलने वाली है, लेकिन अमेरिका के हस्तक्षेप और इजरायल पर उसके दबाव की संभावना के कारण कुछ बदलाव हो सकते हैं।मैक्रों ने ट्रंप के G7 सम्मेलन से अचानक प्रस्थान को एक सकारात्मक संकेत बताया। उन्होंने कहा कि लगता है कि अब बातचीत को फिर से शुरू करने की आवश्यकता है और सबसे पहले नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इज़राइल और ईरान दोनों से नागरिकों पर हमले बंद करने की अपील की। उन्होंने स्पष्ट कहा जो लोग यह मानते हैं कि बाहर से बमबारी करके किसी देश को बचाया जा सकता है, वे हमेशा गलत साबित हुए हैं।
ट्रंप का G7 सम्मेलन से अचानक प्रस्थान
मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G7 सम्मेलन से समय से पहले निकल गए। इसके साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दिया कि अमेरिका अब इज़राइल-ईरान संघर्ष में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है। ट्रंप ने ईरान के नागरिकों को भी सतर्क किया कि वे तत्काल क्षेत्र खाली कर दें।हालांकि ट्रंप सार्वजनिक रूप से कूटनीति को प्राथमिकता देने की बात कहते रहे हैं, लेकिन उन्होंने इजरायल के सैन्य हमलों की खुलकर सराहना की है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बैठक में ट्रंप ने कहा, यह युद्ध दोनों पक्षों के लिए पीड़ादायक है, लेकिन मैं कहूंगा कि ईरान यह युद्ध नहीं जीत रहा है। उन्हें बात करनी चाहिए और तुरंत बात करनी चाहिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि मध्य-पूर्व में तैनात अमेरिकी सेना रक्षात्मक स्थिति में बनी हुई है।यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर है और वैश्विक ताकतें एक बड़े युद्ध को रोकने की कोशिशों में लगी हैं। ट्रंप की मध्यस्थता की मंशा और मैक्रों की चेतावनियाँ दोनों ही इस संकट के समाधान की जटिलता की तरफ इशारा करती है।