
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर लगाए नये कड़े प्रतिबंध, भारत की तेल आपूर्ति पर संकट
ट्रंप प्रशासन की यह सख्त नीति भारत के ऊर्जा आयात पर बड़ा असर डाल सकती है. जहां एक ओर भारत सस्ते रूसी तेल से अपने ऊर्जा बिल को नियंत्रित कर रहा था. वहीं, अब उसे मध्य पूर्व या अफ्रीका जैसे नए स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है।
Donald Trump Russia oil sanctions: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft PJSC) और लुकोइल (Lukoil PJSC) पर लगाए गए नए प्रतिबंधों से भारत के लिए रूस से कच्चा तेल खरीदना लगभग असंभव हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चालू वर्ष में भारत के कुल तेल आयात का 36% से अधिक हिस्सा रूस से आया है. इस निर्भरता ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है और अगस्त में लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत को और कठिन बना दिया है.
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
भारत पहले से ही अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित ईरान और वेनेजुएला से तेल नहीं खरीदता, लेकिन रूस से सस्ता और अनुमत तेल मिलना भारत के लिए फायदेमंद साबित हुआ. हालांकि, अब स्थिति बदल सकती है. आने वाले महीनों में रूस से भारत को तेल आपूर्ति लगभग शून्य स्तर तक गिर सकती है. ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है और "भारत अब रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीदेगा."
क्या रुक जाएंगे भारत के रूसी तेल आयात?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिफाइनरियों को उम्मीद है कि रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से तेल आयात में भारी गिरावट आएगी. संभव है कि आयात पूरी तरह रुक जाए. ये प्रतिबंध विशेष रूप से रूस के सबसे बड़े तेल उत्पादकों को निशाना बनाते हैं.
2023 से रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता
2022 से पहले भारत का तेल आयात मुख्यत मीडिया रिपोर्ट्स से होता था. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और G7 देशों द्वारा $60 प्रति बैरल की कीमत सीमा (price cap) लागू करने के बाद भारत ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदना शुरू किया. अब ट्रंप प्रशासन के नए प्रतिबंधों ने रूस से तेल आयात को निशाना बनाया है, जो पहले कभी इतने व्यापक स्तर पर नहीं हुआ था.
रॉसनेफ्ट समर्थित नयारा एनर्जी (Nayara Energy) एकमात्र अपवाद हो सकती है, जो पहले से ही यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बाद केवल रूसी कच्चे तेल के साथ काम कर रही है. नवंबर लोडिंग और दिसंबर डिलीवरी के लिए जो नए ऑर्डर अगले सप्ताह दिए जाने थे, वे अब मुख्य रूप से वैकल्पिक स्रोतों से लिए जाएंगे.
भारतीय रिफाइनरियों को अब जल्दी ही अपनी खरीद कम करनी होगी. हालांकि, भारत ने केवल तीन साल पहले रूसी कच्चा तेल खरीदना शुरू किया था, इसलिए चीन की तुलना में समायोजन करना भारत के लिए आसान हो सकता है. भारत रूस से समुद्री मार्ग से भारी मात्रा में तेल खरीदता है, जिससे इन प्रतिबंधों का असर चीन के तेल बाजार पर भी पड़ रहा है.
भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इंडियन ऑयल कॉर्प (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और मंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) अब अपने सभी रूसी तेल आयात दस्तावेजों की गहन जांच कर रही हैं, ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन सुनिश्चित हो सके. रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अपने रूसी तेल आयात को घटाने या पूरी तरह रोकने पर विचार कर रही है. कंपनी का कहना है कि रूसी तेल आयात का पुनर्मूल्यांकन जारी है और रिलायंस सरकार के सभी दिशा-निर्देशों के अनुरूप काम करेगी.