दोस्ती से अधिक सौदे पर नजर, भारत को ट्रंप क्यों बेचना चाहते है F-35
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दोस्ती से अधिक सौदे पर नजर, भारत को ट्रंप क्यों बेचना चाहते है F-35

जिस F-35 लड़ाकू विमान की डोनाल्ड ट्रंप पहले आलोचना कर चुके है,उसे वो भारत को क्यों बेचना चाहते हैं। सवाल यह है कि क्या भारत को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।


F-35 Fighter Plane News: अमेरिका का F- 35 बिना किसी संदेह उन्नत, अत्याधुनिक स्टील्थ फाइटर विमान है। इस विमान को बेचने का प्रस्ताव खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिया है। लेकिन बात सिर्फ उतनी भर नहीं जितना आप समझ रहे हैं। सरल शब्दों में कहें तो वह वैसा नहीं है जैसा लगता है। विश्लेषक F-35 के दीर्घकालिक रखरखाव लागत और इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठा रहे हैं। पांचवीं पीढ़ी का यह विमान, जो अपनी बेजोड़ स्टील्थ और खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमताओं के साथ 2015 में सेवा में आया। अब अमेरिकी शस्त्रागार में एक बहुत महंगा हथियार बन रहा है।

बढ़ती कीमत

2024 के यूएस गवर्नमेंट अकाउंटबिलिटी ऑफिस (GAO) की रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक महंगे जेट फाइटर की अनुमानित आजीवन रखरखाव लागत 2023 में 1.58 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गई है। आलोचकों का तर्क है कि विमान को बहुत सारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जरूरत से अधिक डिजाइन किया गया था, जिससे यह महंगा और अत्यधिक जटिल सिस्टम बन गया।

ट्रंप, मस्क ने की है आलोचना

इस शानदार स्टील्थ फाइटर की ट्रंप (Donald Trump) और मस्क (Elon Musk) ने भी आलोचना की है। 2016 में, ट्रंप ने ट्वीट किया था कि F-35 कार्यक्रम की लागत नियंत्रण से बाहर है और उन्होंने पदभार संभालने के बाद खर्चों पर लगाम लगाने का वादा किया था। इस बीच, मस्क ने नवंबर 2023 में एक्स पर एक पोस्ट में इसे महंगा और जटिल जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स, मास्टर ऑफ नथिंग के रूप में वर्णित किया। ड्रोन के युग में मानवयुक्त लड़ाकू विमानों की प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहा है। ड्रोन के युग में वैसे भी मानवयुक्त लड़ाकू विमान अप्रचलित हैं। इससे सिर्फ पायलट मारे जाएंगे।

विश्लेषकों ने बताया कि 25 टन का स्टील्थ युद्धक विमान वही समस्या बन गया था जिसे इसे हल करना था। अगर भारत F-35 और इसके वेरिएंट खरीदता है तो उसे इसकी निषेधात्मक लागतों के अलावा और क्या करना होगा, जो कि अमेरिका के लिए और भी अधिक महंगी है?

क्या हमें इसे लेना चाहिए?

उपलब्धता संबंधी मुद्दे पर सबसे पहले, 2024 के GAO ने संकेत दिया है कि F-35 के कोई भी वैरिएंट - F-35A, F-35B या F-35C - उपलब्धता के लक्ष्य को पूरा नहीं कर रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में विनिर्माण यानी इसे बनाने में देरी हो रही है। कुल मिलाकर बेड़े की उपलब्धता में गिरावट आई है।

आधुनिकीकरण में रुकावट

इसके अलावा, GAO ने बताया कि बेहतर रडार, हथियार प्रणाली और सॉफ्टवेयर के साथ विमान को अपग्रेड करने के लिए 16.5 बिलियन डॉलर की जरूरत थी। लेकिन यह सॉफ्टवेयर की वजह से मामला उलझ गया। इंजन की क्षमताओं और थर्मल प्रबंधन प्रणाली में सुधार करने की कोशिश की, जो नहीं हुआ और इसलिए विशेषज्ञों को लगा कि युद्ध के परिदृश्यों के दौरान विमान के प्रदर्शन पर अधिक गर्मी का असर हो सकता है।

GAO ने F-35 कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए 43 सिफारिशें जारी की थीं। लेकिन अमेरिकी रक्षा विभाग ने उनमें से 30 को लागू करना अभी बाकी है, जिससे सुधार और लागत-बचत उपायों में और देरी हो रही है। जबकि यह गुप्त और उच्च तकनीक वाले सेंसरों से भरा हुआ है, यह रखरखाव-गहन, भारी और अविश्वसनीय भी है। हाई-प्रोफाइल क्रैश ऐसा लगता है कि F35 विश्वसनीय भी नहीं है। पिछले मई में, न्यू मैक्सिको में एक F-35 पायलट को अल्बुकर्क के हवाई अड्डे के पास दुर्घटना से पहले इजेक्ट करने के बाद गंभीर चोटें आईं। सितंबर 2023 में भी, एक अन्य पायलट को दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन के ऊपर जबरन इजेक्ट करना पड़ा। जेट एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कुछ मिनटों तक मानवरहित उड़ान भरता रहा।

रखरखाव की लागत

भारत के लिए चिंता की बड़ी वजह इसके आजीवन रखरखाव लागत की है। 2018 में 1.1 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 1.58 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि F-35 कम लागत वाला हल्का लड़ाकू विमान नहीं है। F-35 निस्संदेह एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान है, लेकिन इसके रखरखाव और संचालन संबंधी मांगें महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करती हैं। यदि फाइटर फ्लेन एफ-35 की रखरखाव की लागत में कार्यक्रम के अपने 2 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा होने का अनुमान है और यह परिचालन संबंधी चिंताओं से जुड़ा है, तो भारत को शायद ट्रंप के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए।

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