
व्हाइट हाउस में फिर गरजे ट्रंप, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति रामफोसा से तीखी बहस
व्हाइट हाउस में ट्रंप और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति रामफोसा के बीच श्वेत किसानों पर नस्लवाद पर तीखी बहस हुई। दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच 19 मई को मुलाकात हुई थी।
White House clash: व्हाइट हाउस एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विवाद का मंच बन गया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा (Cyril Ramaphosa) के बीच 19 मई को हुई मुलाकात गरमा गई। दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस ने कुछ महीने पहले ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के बीच हुई नोकझोंक की याद ताजा कर दी।
नस्लवाद पर भिड़े ट्रंप और रामफोसा
रामफोसा की इस वॉशिंगटन यात्रा का उद्देश्य अफ्रीका-अमेरिका संबंधों में नई ऊर्जा भरना था। लेकिन बैठक के दौरान ट्रंप (Donald Trump) ने अप्रत्याशित रूप से नस्लवाद का मुद्दा उठा दिया और आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों का "नरसंहार" हो रहा है और राष्ट्रपति रामफोसा मूक दर्शक बने हुए हैं।
ट्रंप ने इस दावे को साबित करने के लिए एक वीडियो भी दिखाया, जिसमें हजारों श्वेत किसानों की हत्या के आरोप लगाए गए थे। साथ ही उन्होंने मीडिया में छपे लेखों की प्रतियां रामफोसा को दिखाते हुए बार-बार दोहराया, "Death, Death…", जिससे माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।
रामफोसा ने किया पलटवार
ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए रामफोसा ने स्पष्ट किया कि दक्षिण अफ्रीका में बढ़ती हिंसा से सभी जातियां प्रभावित हो रही हैं। केवल श्वेत ही नहीं, अश्वेत लोगों की भी हत्याएं हो रही हैं, और उनका आंकड़ा अधिक है। उन्होंने कहा कि सरकार इन घटनाओं की जांच कर रही है और किसी भी वर्ग के प्रति भेदभाव की नीति नहीं अपनाई जा रही।
रामफोसा ने ट्रंप को नेल्सन मंडेला की याद दिलाते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका आज भी रंगभेद की विरासत से उबरने की कोशिश कर रहा है। इसी दौरान उन्होंने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा कि उनके पास गिफ्ट में देने के लिए कोई "रॉयल प्लेन" नहीं है, जैसा ट्रंप को कतर से मिला था। इस पर ट्रंप ने जवाब दिया काश आपके पास होता।
पुराना विवाद फिर उभरा
गौरतलब है कि फरवरी में ही ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सहायता रोक दी थी। इसका कारण वहां के श्वेत नागरिकों के खिलाफ कथित भेदभाव और भूमि अधिग्रहण नीतियों को बताया गया था। उस समय भी रामफोसा ने ट्रंप से आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की सख्त चेतावनी दी थी।
व्हाइट हाउस में हुई यह बहस केवल दो नेताओं के बीच नहीं थी, बल्कि यह नस्लवाद, विदेशी सहायता और संप्रभुता जैसे मुद्दों पर अमेरिका की वैश्विक नीति की जटिलताओं को उजागर करती है। यह भी स्पष्ट होता है कि ट्रंप की विदेश नीति शैली टकराव और आरोपों से भरपूर रही है, चाहे वह यूक्रेन हो या अब दक्षिण अफ्रीका।