
चीन की तरफ झुके भारत और रूस? ट्रंप बोले- 'हमने उन्हें खो दिया'
ट्रंप के बयान के बीच भारत ने अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई है। वहीं, पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को चीन के प्रभाव से बचाने के लिए व्यापक रणनीतिक गठबंधन पर जोर दिया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (5 सितंबर) को चीन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के बीच की मित्रता का संदर्भ देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अमेरिका ने भारत और रूस को 'सबसे गहरे, सबसे अंधकारमय चीन' के हाथों खो दिया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन को खो दिया। वे दोनों साथ में लंबा और समृद्ध भविष्य बिताएं।
ट्रंप की इस टिप्पणी के कुछ दिन बाद ही SCO शिखर सम्मेलन में मोदी, पुतिन और शी की गहरी दोस्ताना मुलाकात की तस्वीरें और खबरें सामने आईं, जिसने खासकर भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के बीच सुर्खियां बटोरीं। इस तनाव की वजह ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत समग्र शुल्क (टैरिफ) हैं। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर 25 प्रतिशत प्रत्युत्तरात्मक शुल्क लगाया है, आरोप लगाते हुए कि रूस इस आय का उपयोग यूक्रेन युद्ध के लिए कर रहा है। भारत ने इसे “अन्यायपूर्ण” बताते हुए कहा है कि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है।
अमेरिकी नेताओं का भारत के प्रति सचेत करना
अमेरिकी राजनीतिक नेता और पूर्व सरकारी अधिकारी, जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और रिपब्लिकन नेता निक्की हेली शामिल हैं, ने ट्रंप को चेतावनी दी है कि भारत को चीन की तरह “दुश्मन” न समझा जाए, बल्कि एक “मूल्यवान लोकतांत्रिक साझेदार” के रूप में देखा जाए।
पूर्व अधिकारियों का भारत-यूएस रिश्तों पर जोर
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और पूर्व उप सचिव कर्ट एम कैंपबेल ने एक आर्टिकल में लिखा कि भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत करना जरूरी है, ताकि अमेरिका अपनी “नवोन्मेषी क्षमता” को चीन के हाथों न खो दे। उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बुश-मनमोहन सिंह के नागरिक परमाणु समझौते और बाइडेन- मोदी के सहयोग जैसे कई प्रयासों से संबंध मजबूत हुए थे, लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने इस प्रगति को पीछे धकेल दिया है। उन्होंने मोदी, शी और पुतिन की दोस्ताना तस्वीर का हवाला देते हुए चेतावनी दी कि वर्तमान अमेरिकी नीतियां भारत को उसके “दुश्मनों” के सामने मजबूर कर सकती हैं।
व्यापक रणनीतिक गठबंधन की वकालत
पूर्व अधिकारियों ने तकनीक, रक्षा, आपूर्ति श्रृंखला और खुफिया क्षेत्र में व्यापक रणनीतिक गठबंधन की जरूरत बताई, ताकि भारत को “असहयोगी चीन” और अमेरिका के तनावपूर्ण संबंधों के बीच फंसने से बचाया जा सके। दोपहर में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर तीखी आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नवारो के बयानों को “गलत और भ्रामक” बताया और कहा कि सरकार इन दावों को खारिज करती है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं और दोनों देशों के बीच एक “वैश्विक रणनीतिक साझेदारी” है, जो साझा हितों पर आधारित है।
भारत-अमेरिका वैश्विक रणनीतिक साझेदारी पर जोर
रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमारा यह साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों, मजबूत लोगों के बीच संबंधों और साझा हितों पर टिकी है। इसने कई चुनौतियों और परिवर्तनों को सहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देश पारस्परिक सम्मान और साझा हितों के आधार पर आगे बढ़ेंगे। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार मुद्दों पर बातचीत जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि क्वाड को चार सदस्य देशों के साझा हितों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच माना जाता है।
यूक्रेन संकट पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत यूक्रेन में शांति स्थापना के लिए हो रही हाल की कोशिशों का स्वागत करता है और उम्मीद करता है कि सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे। भारत जल्द से जल्द युद्ध समाप्ति और स्थायी शांति की कामना करता है।