ट्रंप का खेल खत्म नहीं शुरू हुआ, दूसरी वैश्विक शक्तियों से कैसे होंगे रिश्ते
अमेरिका में 2025 से डोनाल्ड ट्रंप का राज होगा। ट्रंप ने अपनी जीत के बाद नतीजों को ऐतिहासिक बताया। यह नतीजा क्यों खास है उसे समझने की कोशिश करेंगे।
Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप की यह तस्वीर 24 अगस्त 2023 की है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में घोखाधड़ी मामले में उन्हें कोर्ट से सजा हुई। इस मामले में जॉर्जिया के फुल्टन काउंटी पुलिस के सामने उन्हें सरेंडर करना पड़ा। पुलिस स्टेशन में उनकी मगशॉट तस्वीर खींची गई और पुलिस रिकॉर्ड में वह कैदी नंबर P01135809 बने। करीब 20 मिनट के बाद वह पुलिस स्टेशन से बाहर आए और मगशॉट वाली तस्वीर के साथ धोखाधड़ी मामले में कभी न सरेंडर करने वाली बात कही। यह वह दौर टथा जब डोनाल्ड ट्रंप पर लगातार केस दर्ज हुए। पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को पैसे देकर चुप कराने और व्हाइट हाउस से गोपनीय दस्तावेज अपने घर ले जाने के मामले में उनके ऊपर आपराधिक केस दर्ज हुए। उन पर अभी भी कई मुकदमे चल रहे हैं।
ट्रंप पर मुकदमों की बाढ़ देखकर कइयों ने यह मान लिया था कि ट्रंप का खेल खत्म और राजनीतिक पारी का द एंड हो चुका है कहा जाने लगा था कि अब शायद ट्रंप 2024 का राष्ट्रपति चुनाव शायद ही लड़ पाएं और यदि लड़े भी तो जीत नहीं पाएंगे। लेकिन ट्रंप ने हार नहीं मानी अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों से वह घबराए नहीं...आरोपों को वह राजनीति से प्रेरित और बदले की कार्रवाई बताते रहे। ट्रंप ने दावा किया कि चुनाव से दूर रखने के लिए डेमोक्रेट नेताओं की उनके खिलाफ यह साजिश है। वह अपनी बात पर कायम रहकर अदालतों के चक्कर काटते रहे। कानूनी लड़ाई लड़ी और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राष्ट्रपति पद की रेस में वह पूरी ताकत से जुटे।
अपने खिलाफ लगे आरोपों और अपनी आलोचनाओं से वह घबराए नहीं वह यही कहते रहे कि उन पर फैसला जनता की अदालत में यानी चुनाव में होगा..आज जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की रेस जीत ली है। वह अमेरिका के 47वां राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। चुनाव में उनकी प्रचंड जीत और राष्ट्रपति पद पर वापसी गाजे-बाजे के साथ हुई है...उनका यह कम बैक ऐतिहासिक है स्विंग स्टेट्स में उनका प्रदर्शन गजब का है। सातों के सातों राज्यों में उन्होंने क्लीन स्वीप कर दिया। 538 इलेक्टोरल वोटों में से ट्रंप 295 वोट जीतने में कामयाब हुए जबकि उनके डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस 226 वोट ही जीत पाईं। इलेक्टोरल वोटों की अगर बात करें तो ट्रंप को सात करोड़ से ज्यादा यानी कि 51 फीसद और हैरिस को साढ़े छह करोड़ यानी 47.4 प्रतिशत वोट मिले हैं...
ट्रंप की जीत के मायने
ट्रंप की इस जीत का अमेरिका और बाकी दुनिया के लिए अलग-अलग मायने हैं...अमेरिका के लिए सबसे बड़ा संदेश तो यही है कि लोगों ने डेमोक्रेट पार्टी के चार साल के शासन को पसंद नहीं किया। बाइडेन को एक कमजोर राष्ट्रपति और उनकी नीतियों को सही नहीं माना...घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर बाइडेन प्रशासन लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया...चुनावों से ठीक पहले बाइडेन का रेस से हटना और उनकी जगह आने वाली कमला हैरिस लाख कोशिशों के बावजूद लोगों को अपने भरोसे में नहीं ले सकीं...हैरिस की तुलना में ट्रंप में लोगों का भरोसा जगा तो इसकी भी कई वजहें हैं। बाइडेन सरकार की नीतियों चाहे वह टैक्स हो, अर्थव्यवस्था हो या इमिग्रेशन इन पर ट्रंप लगातार हमला बोलते रहे...महंगाई और बेरोजगारी के रूप में उनके पास ऐसे तीर थे जिसे वे अपनी हर रैली में छोड़ते थे इन सवालों का जवाब देने में डेमोक्रेट बैकफुट पर रहे ट्रंप बार-बार अपने चार साल की तुलना बाइडेन के चार साल से करते रहे और यह बताने से नहीं चूके कि उनका दौर बाइडेन के शासन से किस तरह बेहतर था। महंगाई, बेरोजगारी और अवैध अप्रवासियों की घुसपैठ का मुद्दा उठाकर ट्रंप ने अपने लिए चुनावी राह आसान बनाई।
अमेरिकी सुपर पावर का जिक्र
दूसरा, अमेरिकियों की राष्ट्रीय भावना को उभारने के लिए ट्रंप बार-बार दोहराते रहे कि दुनिया में एक सुपरपावर के रूप में अमेरिका की छवि कमजोर हुई है वह आएंगे तो इस छवि को मजबूत,अमेरिका को ज्यादा सुरक्षित और उसे एक बार फिर महान बनाएंगे। यह बात भी अमेरिकियों को कहीं न कहीं प्रभावित की रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास, हिजबुल्ला-ईरान संघर्ष और जंग को लेकर भी वह बिल्कुल साफ थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रपति बनते ही वह रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे और अरब देशों में शांति लाएंगे उन्होंने कहा कि इन युद्धों में लाखों लोग मारे जा रहे हैं इसे रोकने की जरूरत है युद्ध और मध्य पूर्व संकट के लिए ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन को पूरी तरह से जिम्मेदार बताया। अमेरिकी लोगों को लगा होगा कि डेमोक्रेट सत्ता में अगर फिर आए तो रूस-यूक्रेन जंग चलती रहेगी और मध्य पूर्व भी जलता रहेगा।
दूसरा, अमेरिकियों की राष्ट्रीय भावना को उभारने के लिए ट्रंप बार-बार दोहराते रहे कि दुनिया में एक सुपरपावर के रूप में अमेरिका की छवि कमजोर हुई है वह आएंगे तो इस छवि को मजबूत,अमेरिका को ज्यादा सुरक्षित और उसे एक बार फिर महान बनाएंगे। यह बात भी अमेरिकियों को कहीं न कहीं प्रभावित की रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास, हिजबुल्ला-ईरान संघर्ष और जंग को लेकर भी वह बिल्कुल साफ थे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रपति बनते ही वह रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे और अरब देशों में शांति लाएंगे उन्होंने कहा कि इन युद्धों में लाखों लोग मारे जा रहे हैं इसे रोकने की जरूरत है युद्ध और मध्य पूर्व संकट के लिए ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन को पूरी तरह से जिम्मेदार बताया। अमेरिकी लोगों को लगा होगा कि डेमोक्रेट सत्ता में अगर फिर आए तो रूस-यूक्रेन जंग चलती रहेगी और मध्य पूर्व भी जलता रहेगा।
वैश्विक असर
अब बात, अमेरिकी चुनाव के वैश्विक पहलुओं की। अमेरिका के साथ रिश्ता रखने वाला दुनिया का हर देश उसके इस चुनाव नतीजों पर करीबी नजर बनाए हुए था भारत की भी थी अगले चार साल भारत-अमेरिकी के रिश्ते कैसे होंगे।इसके बारे में बात की जा रही है जानकारों का कहना है कि विगत दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध इतने प्रगाढ़ और रणनीतिक साझेदारी इतनी मजबूत हो चुकी है कि वहां सरकार कोई भी आए भारत को लेकर अपनी नीतियों में वह कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगी। खासकर कारोबार को छोड़कर रक्षा, तकनीक, स्पेस, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में आपसी द्विपक्षीय रिश्ते और सहयोग तेजी के साथ आगे बढ़ेंगे
अब बात, अमेरिकी चुनाव के वैश्विक पहलुओं की। अमेरिका के साथ रिश्ता रखने वाला दुनिया का हर देश उसके इस चुनाव नतीजों पर करीबी नजर बनाए हुए था भारत की भी थी अगले चार साल भारत-अमेरिकी के रिश्ते कैसे होंगे।इसके बारे में बात की जा रही है जानकारों का कहना है कि विगत दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध इतने प्रगाढ़ और रणनीतिक साझेदारी इतनी मजबूत हो चुकी है कि वहां सरकार कोई भी आए भारत को लेकर अपनी नीतियों में वह कोई बड़ा बदलाव नहीं करेगी। खासकर कारोबार को छोड़कर रक्षा, तकनीक, स्पेस, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में आपसी द्विपक्षीय रिश्ते और सहयोग तेजी के साथ आगे बढ़ेंगे
अमेरिका फर्स्ट नीति की बात कह चुके हैं। वह इसी सोच के साथ अपनी नीतियों को आगे बढ़ाएंगे। खासकर उत्पादों पर टैरिफ को लेकर वह ज्यादा सख्त हो सकते हैं उनकी शिकायत भारत से भी रही है उनका मानना है कि अमेरिकी उत्पादों पर भारत जरूरत से ज्यादा आयात शुल्क लगाता है। वह चाहते हैं कि यह कम हो दूसरा एच1बी वीजा पर भी वह सख्ती कर सकते हैं। ऐसा होने पर इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा। हमें यह ध्यान रखना होगा कि ट्रंप पॉलिटिसियन बाद में हैं पहले कारोबारी हैं वहह कारोबार को पहले रखते हैं ऐसे में टैरिफ को लेकर वह कोई बड़ा निर्णय यदि करते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि वह कोई भी चौंकाने वाला फैसला कर सकते हैं इसके लिए केवल भारत को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को भी तैयार रहना चाहिए।
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