trump vs Harvard
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ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं, के दाखिले पर रोक लगा दी है

हार्वर्ड में विदेशी छात्रों का दाखिला बंद, ट्रंप का फैसला, 788 भारतीय छात्र अधर में

ट्रंप ने हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की अनुमति रद्द कर दी है, जिससे हज़ारों विदेशी छात्र प्रभावित हुए हैं, जिनमें सैकड़ों भारतीय भी हैं।


अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ अपने टकराव को एक नया मोड़ देते हुए विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने का अधिकार छीन लिया है। इस फैसले से यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हजारों विदेशी छात्रों, जिनमें 788 भारतीय छात्र भी शामिल हैं, को भारी अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय छात्रों से कहा गया है कि वे या तो किसी अन्य संस्था में स्थानांतरित हो जाएं या फिर अमेरिका में अपना कानूनी दर्जा खोने के लिए तैयार रहें।

हार्वर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हर साल वहां 500 से 800 भारतीय छात्र और शोधकर्ता अध्ययन करते हैं। वर्तमान में, 788 भारतीय छात्र यूनिवर्सिटी में नामांकित हैं।

यह फैसला हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लिए बड़ा झटका है, जहां करीब 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्र (ज्यादातर स्नातकोत्तर प्रोग्रामों में) पढ़ते हैं। अब इन छात्रों को आगे के कदम उठाने के लिए जल्दी से निर्णय लेना होगा।

ट्रंप प्रशासन ने यह कदम क्यों उठाया?

होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने विदेशी छात्रों से जुड़ी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया। एक पत्र में होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर आरोप लगाया कि वह यहूदी छात्रों के लिए असुरक्षित माहौल बना रहा है, हमास के प्रति सहानुभूति को बढ़ावा दे रहा है और नस्लभेदी 'विविधता, समावेशन और समानता' (DEI) नीतियां अपना रहा है।

हार्वर्ड ने इस फैसले को अवैध बताते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के अनुसंधान मिशन को कमजोर करता है।

क्या सरकार को निजी यूनिवर्सिटी के दाखिले पर अधिकार है?

दरअसल अमेरिका में विदेशी छात्रों को प्रवेश देने वाले कॉलेजों को "स्टूडेंट एक्सचेंज एंड विज़िटर प्रोग्राम" (SEVP) का हिस्सा होना पड़ता है। यह प्रोग्राम होमलैंड सिक्योरिटी विभाग द्वारा संचालित होता है, और उसी के तहत हार्वर्ड को यह अधिकार मिला था। अब विभाग ने कहा है कि हार्वर्ड को इस प्रोग्राम से हटा दिया जाएगा।

इसका मतलब है कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दस्तावेज़ जारी नहीं कर सकेगा, जो उन्हें अमेरिका में पढ़ाई के लिए वीज़ा दिलाने में मदद करता है।

मौजूदा छात्रों की डिग्री का क्या होगा?

जो छात्र इस सेमेस्टर में अपनी डिग्री पूरी कर चुके हैं, वे स्नातक हो सकेंगे। क्रिस्टी नोएम ने कहा कि यह बदलाव 2025-2026 सत्र से प्रभावी होगा। हार्वर्ड की 2025 बैच अगले सप्ताह स्नातक होगी।

लेकिन जिन छात्रों ने अभी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें किसी अन्य विश्वविद्यालय में स्थानांतरित होना होगा, अन्यथा वे अमेरिका में अपना कानूनी दर्जा खो देंगे।

नए विदेशी छात्र इस वर्ष दाखिला ले पाएंगे?

ऋजब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती या अदालत हस्तक्षेप नहीं करती। फिलहाल, नोएम ने कहा है कि हार्वर्ड अगर 72 घंटे के अंदर सरकार की मांगे मान लेता है, तो वह अपना दर्जा बहाल कर सकता है।

सरकार की मांगों में शामिल हैं, विदेशी छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड, विरोध प्रदर्शनों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग और अन्य प्रशासनिक जानकारी।

हार्वर्ड ने पहले यह जानकारी देने से इनकार कर दिया था। गुरुवार को विश्वविद्यालय ने कहा कि वह प्रभावित छात्रों के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रहा है।

पहले भी निशाने पर रहा हार्वर्ड

ट्रंप और हार्वर्ड के बीच टकराव अप्रैल 2025 से शुरू हुआ, जब हार्वर्ड ने सरकार की मांगों के खिलाफ जाकर फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया और विविधता, समावेशन और समानता (DEI) नीतियों को हटाने से भी इनकार कर दिया।

इसके बाद कई संघीय एजेंसियों, जैसे कि DHS और नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) ने हार्वर्ड को अनुसंधान अनुदान देना बंद कर दिया, जिससे शोध कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए। हार्वर्ड ने अब प्रशासन पर मुकदमा दायर किया है, ताकि अनुदान पर लगी रोक को हटाया जा सके।

ट्रंप ने यह भी कहा है कि हार्वर्ड का टैक्स-फ्री (कर-मुक्त) दर्जा भी रद्द कर देना चाहिए, जिससे विश्वविद्यालय की फंडरेज़िंग क्षमता पर गहरा असर पड़ सकता है — क्योंकि अमीर दानदाता आमतौर पर टैक्स बचाने के लिए कर-मुक्त संस्थाओं को दान देते हैं।

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