बगराम हमें दो वरना अंजाम बुरा होगा, तालिबान को डोनाल्ड ट्रंप की सख्त चेतावनी
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बगराम हमें दो वरना अंजाम बुरा होगा, तालिबान को डोनाल्ड ट्रंप की सख्त चेतावनी

डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस पर नियंत्रण की मांग की, तालिबान ने विदेशी सैनिकों को खारिज किया। चीन की नजदीकी से इस विवाद की अहमियत और बढ़ गई।


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Bagram Airbase: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने हाल ही में संकेत दिया कि अमेरिका इस एयरबेस पर नियंत्रण के लिए बातचीत कर रहा है। लेकिन तालिबान ने साफ कह दिया है कि किसी भी विदेशी सैनिक को अफगान धरती पर तैनाती की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस रुख ने ट्रंप को नाराज कर दिया है और अब उन्होंने तालिबान प्रशासन को सख्त चेतावनी दी है।

'बगराम हमें दो, वरना नतीजा बुरा होगा'

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को उसके निर्माता, यानी संयुक्त राज्य अमेरिका को वापस नहीं देता है, तो बहुत बुरा होगा। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है, जब वे कई बार कह चुके हैं कि अमेरिका इस एयरबेस पर दोबारा नियंत्रण चाहता है। बता दें कि 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद अफगानिस्तान में सैन्य अभियान चलाते समय अमेरिकी सेना ने बगराम एयरबेस को मुख्य अड्डे के तौर पर इस्तेमाल किया था।

2021 के बाद से तालिबान का कब्ज़ा

अमेरिकी सेना की 2021 में अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान ने इस एयरबेस पर कब्ज़ा कर लिया था। ट्रंप पहले भी कई बार बाइडन प्रशासन की आलोचना कर चुके हैं कि उसने इतनी रणनीतिक जगह पर से नियंत्रण क्यों छोड़ा। हाल ही में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि अमेरिका इस मुद्दे पर अफगानिस्तान से बातचीत कर रहा है।

तालिबान ने किया इनकार

तालिबान प्रशासन ने अमेरिका की मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाकिर जलाल ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा अफगानिस्तान और अमेरिका को बातचीत करने की ज़रूरत है, लेकिन अफगानिस्तान की जमीन पर किसी भी तरह की अमेरिकी सैन्य मौजूदगी के बिना।

चीन की वजह से बढ़ा महत्व

ट्रंप ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ बातचीत में खुलासा किया कि बगराम एयरबेस की अहमियत सिर्फ अफगानिस्तान तक सीमित नहीं है। उनका कहना था कि यह जगह चीन की परमाणु हथियार निर्माण सुविधाओं से महज एक घंटे की दूरी पर स्थित है।

उन्होंने कहा हम इस बेस को वापस चाहते हैं, क्योंकि उन्हें (अफगान अधिकारियों को) हमसे कुछ चाहिए। लेकिन असली वजह यह है कि यह चीन के परमाणु हथियार ठिकानों के बेहद करीब है। बगराम एयरबेस पर खींचतान ने न केवल अमेरिका-तालिबान रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि यह चीन के साथ भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में भी नया मोड़ जोड़ रहा है।

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