इतिहास रचते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने जीत की दर्ज, जानें- वैश्विक माहौल पर कैसे होगा असर
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इतिहास रचते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने जीत की दर्ज, जानें- वैश्विक माहौल पर कैसे होगा असर

डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे। खास बात यह है कि वो ऐसे दूसरे शख्स हैं दो एक कार्यकाल के अंतराल के बाद दूसरी बार कमान संभालेंगे।


Donald Trump News: वो साल 2020 का था जब रिपबल्किन उम्मीदवार रहे डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार गए थे। खास बात यह थी कि स्विंग स्टेट्स में प्रदर्शन बेहद खराब था। लेकिन इस दफा तो उन्होंने कमाल कर दिया। सभी सातों स्विंग स्टेट्स में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस (Kamala Harris) को पछाड़ दिया। जीत दर्ज (US Presidential Elections 2024) करने के साथ ही ट्रंप ने कहा कि यह इतिहास का सबसे महान पल है। अगर ट्रंप की शैली को देखें तो उन्हें ज्यादातर लोग सनकी मानते हैं। लेकिन यह भी कहते हैं कि वो फैसले तो ठोस लेते हैं भले ही आप उनकी आलोचना करिए। ट्रंप पर जिस तरह से चुनाव प्रचार के दौरान कातिलाना हमला किया गया उसके बाद वो और उत्साह के साथ चुनावी मैदान में आ डटे। सबसे पहले बताएंगे कि जीत के बाद अपने समर्थकों से क्या कुछ कहा।

ट्रंप ने कही कुछ खास बात

  • 'यह अमेरिकी लोगों के लिए एक शानदार जीत है, जो हमें अमेरिका को फिर से महान बनाने की मंजूरी देगी।'
  • फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच में कहा कि वो हर एक दिन अमेरिकियों के लिए लड़ेंगे। अमेरिका के स्वर्ण युग' की शुरुआत करेंगे। अमेरिका ने हमें अभूतपूर्व और शक्तिशाली जनादेश दिया है।
  • अपने चुनाव अभियान का प्रमुख हिस्सा रहे एलन मस्क को रिपब्लिकन पार्टी का 'नया सितारा' बताया। यही नहीं शानदार शख्स कहा।
  • डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,कि वो तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक हम वह मजबूत, सुरक्षित और समृद्ध अमेरिका नहीं बना देते जिसके हमारे बच्चे और आप हकदार हैं। यह वास्तव में अमेरिका का स्वर्णिम युग होगा।'

ग्रेट अमेरिका अगेन का मतलब क्या है
इस तरह से डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रेट अमेरिका बनाने की तस्वीर को पेश किया। लेकिन यहां कई सवाल है मसलन वो भारत के साथ किस तरह से पेश आएंगे। उनका रूस और यूक्रेन को लेकर क्या रुख रहेगा। चीन के साथ उनका नजरिया पहले कार्यकाल जैसा होगा या उसमें किसी तरह का बदलाव होगा। इजरायल- हमास जंग, ईरान के साथ रिश्ते कैसे होंगे। अमेरिका की आर्थिक नीति किसे अधिक फायदा पहुंचाएगी।

चीन के धुर विरोधी, भारत को फायदा

ट्रंप चीन के धुर विरोधी हैं। और अपने पहले कार्यकाल में चीन के ट्रेड वॉर छेड़ चुके हैं। और वह बार-बार चीन पर यह आरोप लगाते है कि वह अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। इस रुख को देखते हुए एक बार फिर टैरिफ वॉर छिड़ सकती है। साथ ही वह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सप्लाई चेन में भी अहम बदलाव कर सकते हैं। वह तो यहां तक कह चुके हैं कि वह चीन के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी छीन लेंगे। साथ ही चीन के प्रोडक्ट पर 60 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। ऐसे में चीन से विरोध का फायदा भारत को मिल सकता है। कई कंपनियां चीन से शिफ्ट कर भारत आ सकती है। साथ ही ट्रेड वॉर से कई भारतीय कंपनियों को फायदा मिल सकता है। जैसे कि सोलर सेक्टर में इस समय मिल रहा है। इसी तरह केमिकल, पेट्रोलियम और डिफेंस सेक्टर को भी बूस्ट मिल सकता है।

भारत पर क्या आरोप लगाते हैं ट्रंप

ट्रंप भारत की टैरिफ पॉलिसी को लेकर पिछले कई वर्षों से सवाल उठाते रहे हैं। मई 2019 में वो भारत को टैरिफ किंग कह चुके हैं . वह कई बार हार्ले डेविडसन का हवाला दे चुके हैं, इसी तरह अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दिया था. चुनावी अभियान के दौरान ट्रंप ने एक भाषण में कहा था कि भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे रिश्ते हैं.खासकर नरेंद्र मोदी जी से.उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है. लेकिन वे शायद उतना ही शुल्क लेते हैं. मेरा मतलब है कि वे शायद कई मायनों में चीन से अधिक शुल्क लेते हैं. सबसे बड़ा चार्ज लगाने वाला देश भारत है. असल में ट्रंप चाहते हैं कि कोई भी देश अगर अमेरिका से आयात चीजों पर 20 फीसदी तक ही टैरिफ लगाए.

वीजा नियमों में हो सकती है सख्ती

ट्रंप के चुनावी अभियान में प्रवासियों के लिए लेकर भी काफी मुखर थे. उन्होंने अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने का वादा किया है. साथ ही वह यह भी कहते हैं प्रवासी अमेरिका के लोगों की नौकरियां खा रहे हैं. इस समय अमेरिका में 4 फीसदी बेरोजगारी दर पहुंच चुकी है। ऐसे में यह चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बना था.अमेरिका में टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी प्रमुख दिग्गज आईटी कंपनियों का बड़ा बिजनेस है। और भारतीय प्रोफेशनल्स वहा एच- 1 बी वीजा लेकर काम करते हैं। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल एच -1बी वीजा नियमों पर सख्ती की थी और इसका असर भारतीय पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों पर पड़ा था. ऐसे में दूसरे कार्यकाल में वीजा नियम सख्त हुए भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरियों के अवसर कम होंगे. इसका असर यह भी हो सकता है भारतीय आईटी कंपनियां नए बाजार तलाशें।

आर्थिक मुद्दे पर ट्रंप का रुख बिडेन के रुख से कुछ अधिर प्रो अमेरिकी हो सकता है यानी कि ट्रंप कार्यकाल में आर्थिक चुनौतियां अधिक रहेंगी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर किस तरह से असर होगा उसे समझना जरूरी है। अगर आप यूक्रेन और रूस के युद्ध को देखें तो ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी सरकार यानी जो बिडेन की सरकार दूरदर्शिता के साथ काम करते हुए नजर नहीं आई। मसलन अमेरिका को दोनों मु्ल्कों को युद्ध खत्म कराने पर जोर देना चाहिए था। लेकिन नेटो के जरिए अपनी शक्ति और संसाधनों तो व्यर्थ में इस्तेमाल किया। अब जब कि ट्रंप शासन में होंगे तो रूस यूक्रेन, इजरायल- हमास मामले में कुछ सार्थक प्रगति हो सकती है।

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