एक साथ चार खतरों की दस्तक, दुनिया में ये आखिर क्या हो रहा है
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एक साथ चार खतरों की दस्तक, दुनिया में ये आखिर क्या हो रहा है

इस समय वैश्विक स्तर पर अलग अलग तरह की परेशानियों से देश दो चार हो रहे हैं। एक तरफ आर्खिक मंदी का खतरा तो दूसरी तरफ मंकी पॉक्स की चुनौती


क्या दुनिया किसी बड़े खतरे की ओर बढ़ रही है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस समय पूरी दुनिया में कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो बड़े संकट का इशारा कर रही हैं। सबसे पहले तो कोविड-19 के बाद एक नई महामारी तेजी से फैल रही है। और उसकी दस्तक अफ्रीका, यूरोप से लेकर हमारे पड़ोसी पाकिस्तान तक हो गई है। सवाल यह है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है। क्या अलग अलग देशों की नीतियां ही टकराव की वजह बन रही हैं। या एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हम प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं।

मंकी पॉक्स की चुनौती
हम बात Mpox की कर रहे हैं। दूसरी घटना बड़ी-बड़ी दिग्गज टेक कंपनियों में होने वाली छंटनी है। लिस्ट में डेल, जनरल मोटर्स, टेस्ला, पे पॉल, पेटीएम, इंटेल जैसी कंपनियां हैं। जो 100-200 नहीं हजारों में लोगों को नौकरी से निकाल रही है। तीसरी घटना दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इकोनॉमिक पॉवर चीन में हो रही है। जो लाख कोशिशों के बाद स्लोडाउन से उबर नहीं पा रहा है। चौथी घटना अमेरिका में हो रही है, जहां पर 2009 के बाद का सबसे बड़ा रोजगार संकट खड़ा हो गया है।

सबसे पहले बात मंकी पॉक्स यानी Mpox की करते हैं। WHO ने दुनिया में फैलते वायरस को देखते हुए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। अफ्रीका से शुरू हुआ यह वायरस पाकिस्तान तक पहुंच चुका है। अफ्रीका सीडीसी ने कहा कि 2024 की शुरुआत और जुलाई के अंत तक 14,500 से अधिक मंकी पॉक्स संक्रमण के मामले आए हैं और 450 से अधिक मौतें हुईं। घबराने की बात यह है कि इस बार के वायरस से मौतों की संख्या कहीं ज्यादा है। 2022 में जब इसके केस आए थे तो 2 साल में 99 हजार से ज्यादा केस और 208 मौतें हुई थीं। राहत की बात यह है कि भारत में इसके ताजा केस सामने नहीं आए हैं।

अमेरिका में छंटनी की बहार
दूसरी चिंता छंटनी की है। अकेले 2024 में 384 टेक कंपनियों ने 1,24,000 लोगों को पिंक स्लिप थमा दी है। इसमें सभी प्रमुख दिग्गज कंपनियां है। इनकी छंटनी से साफ है कि कंपनियों के पास काम नहीं आ रही है और जैसी वह ग्रोथ की उम्मीद लगा बैठी थीं। वैसा तो बिल्कुल भी नहीं हो रहा है। कंपनियों को अमेरिकी की महंगाई और मंदी की आशंका ने डरा दिया है। जिसकी वजह से वह सरवाइवल के लिए बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं।

अमेरिका में मंदी का डर कितना बढ़ गया है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि अमेरिका में 15 साल का सबसे बड़ा बेरोजगारी संकट खड़ा हो गया है। असल में ऐसा अनुमान था कि मार्च तक 29 लाख नौकरियां पैदा होंगी। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ और 21 लाख नौकरियां पैदा हुई । यानी करीब 8 लाख नौकरियां घट गई। जिसका सीधा असर सेंटीमेंट पर दिख रहा है।


चीन में आर्थिक संकट
अब बात चीन की जो अपने आर्थिक संकट से निकल ही नहीं पा रहा है। ताजा आंकड़ों से साफ है कि वहां पर आर्थिक संकट बना हुआ है। औद्योगिक उत्पादन स्लो है, बेरोजगारी दर भी बढ़ी हुई है। रियल एस्टेट संकट जस का तस है। साफ है कि इसने संकट को बढ़ा दिया है। और अगर चीन पटरी पर नहीं आता है तो उसका असर भारत पर भी पड़ेगा। क्योंकि वह भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। भारत के लिए राहत की बात है कि सारे इकोनॉमिक इंडीकेटर फिलहाल सही बने हुए हैं। लेकिन ग्लोबल उथल-पुथल का असर निर्यात पर सीधे पढ़ रहा है। तो यह समय सचेत रहने का है।

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