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मार्च 2019 में गिरफ्तारी के बाद से नीरव मोदी लंदन की थेम्ससाइड जेल में बंद है

नीरव मोदी के गुनाह का ED ने लंदन की कोर्ट में किया खुलासा, सबूत मिटाए

जब से नीरव मोदी को PNB धोखाधड़ी और ₹6,498 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में भारत प्रत्यर्पण मामले में हिरासत में लिया गया, यह उसकी दसवीं जमानत याचिका थी


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लंदन की हाई कोर्ट ऑफ जस्टिस, किंग्स बेंच डिवीजन में कहा कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी आपराधिक रूप से उन गतिविधियों में शामिल था, जिनमें गवाहों को प्रभावित किया गया और महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए गए।

नीरव मोदी की जमानत याचिका को कोर्ट ने एक बार फिर खारिज कर दिया। यह उसकी दसवीं जमानत याचिका थी, जिसे उसने भारत में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी और ₹6,498 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रत्यर्पण के दौरान दायर किया था।

मार्च 2019 में गिरफ्तारी के बाद से नीरव मोदी लंदन की थेम्ससाइड जेल में बंद है। ईडी ने अदालत में उसकी जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मोदी आपराधिक रूप से उन गतिविधियों में शामिल थे महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 मई को रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में पारित आदेश में न्यायाधीश माइकल फोर्डहैम ने कहा, “मैं इस मामले के मूल आरोपों की ओर लौटना चाहता हूं ताकि भारतीय आपराधिक कार्यवाही में अभियुक्त के खिलाफ मामले के एक महत्वपूर्ण पहलू को सामने लाया जा सके। आरोप यह है कि नीरव मोदी ने गवाहों को प्रभावित करने और सबूत मिटाने में आपराधिक भूमिका निभाई है। पूर्व अदालत द्वारा मूल्यांकन किए गए साक्ष्यों में मार्च 2018 की घटनाएं भी शामिल हैं।”

न्यायालय के अनुसार, जिन लोगों को 'डमी निदेशक' कहा गया, उन्हें दुबई से काहिरा स्थानांतरित किया गया और उनके मोबाइल फोन को नष्ट कर दिया गया। इसके अलावा, फरवरी 2018 में दुबई स्थित एक कंप्यूटर सर्वर से जुड़े सबूत भी मिटा दिए गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यायाधीश ने आगे कहा, “यह सब उस समय हुआ जब अभियुक्त यूके में मौजूद था। और मैं दोहराता हूं कि यूके की अदालतों ने दो बार निष्कर्ष निकाला है कि अभियुक्त के खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत मौजूद हैं।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि, “जोखिम के वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन के आधार पर मैंने यह निष्कर्ष निकाला है कि इस मामले में जमानत देना उचित नहीं है। पर्याप्त आधार हैं यह मानने के कि यदि अभियुक्त को किसी भी शर्त पर जमानत दी गई, तो वह आत्मसमर्पण नहीं करेगा और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा।”

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