धनी देश लेकिन इस चीज में गरीब, बच्चा पैदा करने से परहेज क्यों
दुनिया के कुछ समृद्ध मुल्कों में औरतें कम बच्चे पैदा करना या बिल्कुल भी बच्चों को लेकर
Fertility Rate News: हाल ही में यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने फर्टिलिटी रेट यानी बच्चों के पैदा होने दर पर रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में 2023 की फर्टिलिटी रेट का जिक्र किया गया है. इससे पता चला है कि अमेरिका में फर्टिलिटी रेट में 2 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. अमेरिका में 1971 से फर्टिलिटी रेट में गिरावट दर्ज की जा रही है हालांकि कोविड पीरियड में थोड़ा इजाफा हुआ था. ऑस्ट्रेलिया का हाल भी अमेरिका जैसा ही है. सरकार के प्रयासों के बाद भी इसमें सुधार नहीं हुआ है. आस्ट्रेलिया की सरकार तो बच्चों को पैदा करने के लिए बेबी बोनस भी दे रही है. अगर दुनिया के दूसरे कुछ खास मुल्कों को देखें तो तस्वीर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की तरह है. जापान, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया और इटली उदाहरण हैं.
धनी देश लेकिन इस चीज में गरीब
अब ऐसी सूरत में सवाल उठता है कि समृद्ध देशों में लोग बच्चे क्यों नहीं पैदा करना चाहते. इससे भी बड़ी बात यह है कि नुकसान क्या हो सकता है. किसी भी देश के लिए कितनी फर्टिलिटी रेट ठीक है. जानकार कहते हैं कि किसी भी देश को अपनी मौजूदा आबादी को मेंटेन करने के लिए फर्टिलिटी रेट 2.1 का होना जरूरी है. यह इसलिए जरूरी है कि मां और पिता के देहांत के बाद उन्हें रिप्लेस करने के लिए इतनी संख्या होनी चाहिए. इसका मतलब एक बच्चा मां को और एक बच्चा पिता को रिप्लेस करने के लिए. तीसरा बच्चा इसलिए कि इंफैंट मोर्टेलिटी का नकारात्मक असर ना पड़े.
अगर हम अपनी जनसंख्या को बढ़ते देखना चाहते हैं कि तो एक औरत को दो बच्चे होने चाहिए. ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन,यूएस में सेकेंड वर्ल्ड वार के बाद यही हुआ, इन देशों में बेब बूम आया. लेकिन समय के साथ इसमें कमी आई जो सरकारों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. अब तो कुछ देशों में फर्टिलिटी का स्तर रिप्लेसमेंट के स्तर से भी कम है. जैसे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फर्टिलिटी रेट 1.6, ब्रिटेन में 1.4, साउथ कोरिया में .68 है. इन देशों में पापुलेशन की साइज सिकुड़ रही है. जबकि दक्षिण कोरिया का हाल अधिक खराब है. उसका असर यह हो रहा है कि जनसंख्या में बूढ़ों, गरीबों की तादाद बढ़ गई है.
ऐसा क्यों हो रहा है
यह एक बड़ा सवाल है जिसका उत्तर ढूंढा जा रहा है. अब तक की स्टडी के मुताबिक औरतें अब पहले की तुलना में ज्यादा पढ़ी लिखी हैं.अगर बात ऑस्ट्रेलिया की करें तो यहां पढ़ाई के क्षेत्र में महिलाएं, पुरुषों से आगे हैं. उच्च शिक्षा और नौकरी पाने की चाहत से औरतें शादियां लेट से कर रही हैं और उसका असर बच्चों की पैदाइश पर पड़ रही है. महिलाओं के साथ साथ अब लड़कों की प्राथमिकता बदली है. लड़के भी चाहते हैं कि बेहतर शादी के लिए बेहतर संसाधन होने चाहिए और उसकी वजह से शादियां लेट हो रही हैं.
बच्चों की पालन पोषण में होने वाला खर्च भी अधिक हो गया है. कुछ समृद्ध देशों में यह खर्च इतना अधिक है कि लोग बच्चे पैदा ही नहीं करना चाहते.ऑस्ट्रेलिया में होने वाला खर्च इंफ्लेशन से भी आगे चला गया है.स्कूल ट्यूशन फी पैरेंट्स की गाढ़ी कमाई को चट कर जा रहा है और उसकी वजह से भी लोग बच्चे पैदा करने में हिचक रहे हैं.