
काठमांडू में आगजनी के दौरान होटल की चौथी मंजिल से कूदे गाज़ियाबाद के दंपति, महिला की मौत
गाज़ियाबाद के दंपति राजेश गोला और उनके पति रामवीर सिंह गोला इस सप्ताह काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन करने गए थे।
गाज़ियाबाद से आए यह दंपति नेपाल की राजधानी काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर में प्रार्थना करने पहुँचे थे। वे हयात रीजेंसी होटल में ठहरे हुए थे, तभी 7 सितम्बर को वहाँ हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। दो दिन बाद प्रदर्शनकारियों ने होटल में आग लगा दी। घबराहट में, राजेश और रामवीर ने अपने कमरे की चौथी मंज़िल से छलांग लगा दी। रामवीर बच गए, राजेश की मौत हो गई।
शुक्रवार सुबह रामवीर अपनी पत्नी का पार्थिव शरीर लेकर घर लौटे।
रामवीर की व्यथा
मीडिया रिपोर्ट में रामवीर के हवाले से बताया गया है,“हम काठमांडू पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने गए थे। फिर हमने मिथिला जाने का सोचा, लेकिन उससे पहले कर्फ्यू लग गया। हमने हयात में ही रुकने का फैसला किया और होटल लौट आए। 9 सितम्बर की शाम 6 बजे प्रदर्शनकारियों ने होटल में आग लगा दी। हम इमारत से कूदे, लेकिन मेरी पत्नी की इलाज के दौरान मौत हो गई।”
उन्होंने आरोप लगाया, “हमारी मदद किसी ने नहीं की। न दूतावास ने, न सेना ने, न ही पुलिस ने। मैं अब कभी नेपाल नहीं जाऊँगा।”
परिवार का दुख
दंपति के बेटे विशाल सिंह गोला ने बताया, “मेरे माता-पिता 7 सितम्बर को काठमांडू गए थे। 10 सितम्बर की रात करीब 12 बजे हमें पता चला कि होटल में आग लगा दी गई है… मेरे पिताजी ने खिड़की का शीशा तोड़ा और बेडशीट का सहारा लेकर दोनों कूद गए।”
उन्होंने कहा, “उस समय तक माँ बिल्कुल ठीक थीं। लेकिन दोनों अलग हो गए और माँ घबरा गईं। अगर मेरे माता-पिता साथ रहते, तो शायद माँ बच जातीं।”
विशाल ने यह भी कहा, “हयात इतना बड़ा होटल था, मुझे लगा था कि वहाँ सुरक्षित रहेंगे… लेकिन हमें दूतावास से कोई मदद नहीं मिली। हमें अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर माँ का शव वापस लाना पड़ा।”
परिजन विपिन कुमार ने दावा किया, “दंपति के अलग हो जाने के बाद रामवीर को अपनी पत्नी को ढूँढने में तीन घंटे लग गए। जब तक वे पहुँचे, राजेश नहीं रहीं।”