बिन मौसम ठंड,गर्मी-बारिश के लिए रहिए तैयार, सिर्फ इतने साल में खिसकी धरती
एक नयी रिसर्च में दावा किया गया है कि जरुरत से ज्यादा भूजल के दोहन से महज 17 साल में ढाई फीट तक खिसक गयी है, जिसकी वजह से समुद्र का जल स्तर बढ़ा है.
Excessive Ground Water Exloitaion : हाल ही में एक नई रिसर्च ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है कि भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी की धुरी करीब 80 सेंटीमीटर (31.5 इंच) ढाई फीट से ज्यादा तक खिसक गई है। यह बदलाव 1993 से 2010 के बीच हुआ, जब इस दौरान करीब 2,150 गीगाटन भूजल निकाला गया। इस रिसर्च के मुताबिक, इसका एक बड़ा प्रभाव यह हुआ कि अधिकांश पानी महासागरों में बहकर चला गया, जिससे समुद्र स्तर में वृद्धि हुई, जो ये बताता है कि समुद्र का जल स्तर बढ़ने से जमीन कम हुई है.
यह रिसर्च जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में पब्लिश की गई है, और इसके अनुसार, अत्यधिक भूजल दोहन से न सिर्फ पृथ्वी का पूर्णत: चक्क्रानुक्रम प्रभावित हुआ है, बल्कि समुद्र के जलस्तर में भी 0.24 इंच की वृद्धि हुई है। यह बदलाव जलवायु और भूजल के पुनर्वितरण के प्रभावों को स्पष्ट रूप से उजागर करता है।
एक गीगाटन का क्या मतलब होता है
एक गीगाटन पानी एक घन किलोमीटर (1 किलोमीटर x 1 किलोमीटर x 1 किलोमीटर) में व्याप्त होता है. गीगाटन बर्फ का द्रव्यमान मीट्रिक गीगाटन (Gt) में दिया जाता है. एक गीगाटन का मतलब है 1,000,000,000 टन. एक टन पानी एक घन मीटर (घन 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर) में व्याप्त होता है.
वैश्विक बर्फ़ की मात्रा में बदलाव को अक्सर सालाना गीगाटन में बताया जाता है. उदाहरण के लिए, 361.8 गीगाटन बर्फ़ वैश्विक समुद्र के स्तर को एक मिलीमीटर बढ़ा देगी.
पृथ्वी की धुरी में बदलाव: कैसे होता है यह?
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कीवॉन सियो के अनुसार, पृथ्वी का चक्कर और ध्रुव का स्थान लगातार बदलता रहता है। जब भूजल का वितरण असंतुलित होता है, तो यह पृथ्वी के घूर्णन ध्रुव पर प्रभाव डालता है। इस बदलाव की प्रक्रिया ठीक वैसे ही है जैसे किसी फिगर स्केटर के हाथ फैलाने से उसका घूमना धीमा हो जाता है। पानी का पुनर्वितरण पृथ्वी के संतुलन को प्रभावित करता है, जिससे उसका अक्ष (axis) स्थानांतरित हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों से ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ की चादरों का पिघलना इस पुनर्वितरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसे-जैसे बर्फ पिघलती है, पानी भूमध्य रेखा की ओर बहता है, और इससे पृथ्वी का संतुलन बदल जाता है।
यह बदलाव क्यों महत्वपूर्ण है?
हालांकि धरती का झुकाव और चक्कर का बदलाव मानवीय दृष्टिकोण से मामूली सा प्रतीत हो सकता है, लेकिन भूगर्भीय समय के पैमाने पर यह बदलाव अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह बदलाव समुद्र स्तर में वृद्धि को प्रभावित कर सकता है और विभिन्न जलवायु प्रणालियों में असंतुलन पैदा कर सकता है।
भूजल का जरुरत से ज्यादा दोहन न केवल पृथ्वी की धुरी पर प्रभाव डालता है, बल्कि यह आंतरिक प्रणालियों पर भी असर डालता है, जिनमें पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र भी शामिल है। पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमें सौर विकिरण से बचाने में मदद करता है। ऐसे बदलावों से हमारे पर्यावरणीय संतुलन में गंभीर परिवर्तन हो सकते हैं, जो आने वाले समय में और भी जटिल हो सकते हैं।
इस बात पर दें ध्यान
यह रिसर्च हमें यह समझने का एक और कारण देती है कि जल के महत्व को नजरअंदाज करना हमारे लिए कितने गंभीर परिणाम लेकर आ सकता है। भूजल का अत्यधिक दोहन न केवल हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है, बल्कि यह हमारे ग्रह के भौतिक संतुलन को भी बदल सकता है। इसलिए, भूजल के संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहित करना और संतुलित जल उपयोग की दिशा में कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
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