कितना कारगर है इजरायल का ब्रह्मास्त्र आयरन डोम? इतने हमले कर चुका है नाकाम
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कितना कारगर है इजरायल का ब्रह्मास्त्र 'आयरन डोम'? इतने हमले कर चुका है नाकाम

इजरायल का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र आयरन डोम है. यह तकनीक किसी भी मिसाइल हमले को रोकने में सक्षम है. यह इजरायल के ऊपर एक सुरक्षा लेयर की तरह है.


Israel Iron Dome: मिडिल-ईस्ट में मुस्लिम देशों के बीचों-बीच बसा दुनिया का एकमात्र यहुदी देश इजराइल की अक्सर पड़ोसी देशों के साथ तनातनी बने रहती है. कभी फिलिस्तीन तो कभी ईरान. यह छोटा सा देश युद्ध में कई बार खाड़ी देशों पर भारी पड़ चुका है. लेकिन कोई भी देश आज तक इजराइल पर फतह हासिल नहीं कर सका है. इसकी वजह इजराइल का उन्नत तकनीक और हथियारों से लैस होना है, जो उसे बाकी खाड़ी देशों से कई कदम आगे रखता है. इजरायल का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र आयरन डोम है. यह तकनीक किसी भी मिसाइल हमले को रोकने में सक्षम है. कह सकते हैं कि इजरायल के ऊपर यह एक सुरक्षा लेयर की तरह है, जिसके जद में आते ही कोई भी मिसाइल को जमीन पर गिरने से पहले ही हवा में नष्ट कर दिया जाता है.

एक साथ रोकी थी 300 मिसाइल

अभी हाल ही में इज़राइल के आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली ने ईरान के 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों के हमले को असफल कर दिया था. पहले भी यह वायु रक्षा प्रणाली ऐसे ही कई हमलों को सफलतापूर्वक विफल कर चुका है. आयरन डोम अन्य वायु रक्षा प्रणालियों के विपरीत कम ऊंचाई पर बिना निर्देशित रॉकेटों को आसानी से निशाना बना सकता है.

40 साल के निवेश के बाद मिला हथियार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़राइल डिफेंस फोर्सेज के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने कहा है कि ईरान की चाल काम नहीं आई और 99 फीसदी ड्रोन और मिसाइलों को रोक दिया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, जबकि दुनिया का अन्य को्ई भी देश इस तरह के हमले से निपटने में नाकाम रहता. जैसे कि यूक्रेन अमेरिका की पैट्रियट मिसाइलों से लैस है, फिर भी छोटी रूसी मिसाइल और ड्रोन से बचने में असमर्थ है. इज़राइल मिसाइल रक्षा संगठन के निदेशक मोशे पटेल ने कहा कि मिसाइल रोधी प्रणाली में लगभग 40 वर्षों के निवेश के बाद देश के 'स्टार वार्स' कार्यक्रम को अब जाकर फायदा मिल रहा है. इस रक्षा प्रणाली ने खुद को अच्छी तरह से साबित किया है.

इस तरह बनने की हुई थी शुरुआत

मिसाइल और रॉकेट खतरे इजराइल के लिए कोई नई बात नहीं है. हमास 2000 के दशक की शुरुआत से ही इजराइल पर प्रोजेक्टाइल दाग रहा है. वॉशिंगटन डीसी स्थित फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज का अनुमान है कि साल 2006 में दूसरे लेबनान युद्ध के दौरान हिजबुल्लाह ने इज़राइल में लगभग 4,200 रॉकेट दागे थे, जिसमें 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हु थे. इजराइल स्थित घरों और व्यवसायों को काफी नुकसान पहुंचा था और लगभग एक चौथाई आबादी को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.

साल 2011 में हुआ था लॉन्च

ऐसे में इज़राइल को सीमा पार से ऐसे प्रोजेक्टाइल का पता लगाने, विश्लेषण करने और रोकने के लिए एक नई मिसाइल रक्षा प्रणाली को विकसित करना पड़ा था और इसी तरह आयरन डोम या हिब्रू में किप्पट बरज़ेल का जन्म हुआ. इज़राइल की शीर्ष तीन रक्षा कंपनियों में से एक राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने दिसंबर 2007 में आयरन डोम को डेवलप करना शुरू किया और साल 2011 में लॉन्च कर दिया. यह इज़राइल के हथियारों में सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक माना जाता है.इसका उन्नत प्रणाली का उद्देश्य जीवन लेना नहीं, बल्कि बचाना है.

किसी भी मौसम में 24x7 करता है काम

राफेल का दावा है कि यह दुनिया का एकमात्र मल्टी-मिशन सिस्टम है जो जमीन और समुद्र पर रॉकेट, तोपखाने और मोर्टार, सटीक निर्देशित मिसाइलों (पीजीएम) और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का मुकाबला करता है. यह प्रणाली चौबीस घंटे और सातों दिन किसी भी तरह के मौसम में काम कर सकता है.

इस तरह करता है सिस्टम काम

आयरन डोम में एक रडार डिटेक्शन और ट्रैकिंग सिस्टम, एक फायरिंग कंट्रोल सिस्टम और तीन से चार लॉन्चर शामिल होते हैं. यह 4 से 70 किमी की रेंज वाली 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें दाग सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सिस्टम इज़राइल पर दागे गए हर प्रोजेक्टाइल को तुरंत पकड़ लेता है और फिर कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर में सिस्टम ऑपरेटरों को यह निर्णय लेने में सक्षम बनाता है कि आने वाले प्रोजेक्टाइल को हवा में रोकने के लिए मिसाइल को फायर करना है या इन्हें खुले मैदानों या आबादी से दूर सुनसान जगहों पर गिरने देना है. इससे इजराइल को अपनी मिसाइलों को फालतू में दागने की जरूरत नहीं पड़ती है. यह प्रणाली इज़रायली नागरिकों को प्रारंभिक चेतावनी भी देती है कि वह समय रहते किसी सेफ जगह पर चले जाएं.

कितने हमले कर चुका है नाकाम

इजराइल के पास साल 2021 तक देश भर में 10 आयरन डोम बैटरियां तैनात थीं. इनमें से हर बैटरी 155 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर कर सकता है. पहली बैटरी मार्च 2011 में गाजा पट्टी से 40 किमी. दूर इजरायल के दक्षिणी शहर बीयरशेवा के पास तैनात की गई थी. इज़राइल में तैनात होने के एक महीने से भी कम समय के अंदर यानी कि 7 अप्रैल 2011 को इस सिस्टम को पहली बार युद्ध की चुनौती का सामना करना पड़ा था. लॉन्च के बाद से साल 2021 तक आयरन डोम प्रणाली 2,500 से अधिक प्रोजेक्टाइल को रोक चुका है. वहीं, ईरान और हमास के साथ चल रहे संघर्ष के दौरान इस संख्या में इजाफा किया है.

लागत

आयरन डोम की हर बैटरी करीब 50 मिलियन डॉलर से अधिक की कीमत के साथ आती है और हर इंटरसेप्टर मिसाइल पर लगभग 50,000 डॉलर का खर्च होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि आयरन डोम एक सुरक्षात्मक प्रणाली तो है ही, साथ ही महंगा सौदा भी है. यह प्रणाली इज़राइल या इसे खरीदने वाले किसी भी अन्य देश पर भारी आर्थिक बोझ डाल सकती है. लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि रॉकेट हमले से होने वाले नुकसान की तुलना में यह रकम अधिक नहीं है. आयरन डोम हर दिन युद्ध को टालने में मदद करता है और इज़राइल के सैन्य व्यय में होने वाले अनुमानित 73 मिलियन डॉलर को बचाता है.

सर्जिकल स्ट्राइक में नहीं पूर्ण कामयाब

आयरन डोम के लिए सबसे ज्यादा पैसा इजराइल के प्रमुख सहयोगी देश अमेरिका से आता है. अमेरिका साल 2009 से इज़राइल की मिसाइल रक्षा के लिए 3.4 बिलियन डॉलर की धनराशि दे चुका है. हालांकि, आयरन डोम सर्जिकल स्ट्राइक जैसी स्थिति में पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाता है. जैसे कि 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने कम समय के भीतर 5,000 रॉकेट दागने का दावा किया था, तब उनमें से कुछ रॉकेट आयरन डोम प्रणाली को चकमा देने और भीड़भाड़ वाले इलाकों में गिरने में सफल रहे थे.

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