
जयशंकर की पहली बार तालिबान से बात, पहलगाम के लिए समर्थन पर जताया आभार
यह अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच पहला राजनीतिक-स्तर का संवाद है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को पहली बार तालिबान शासित अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अफगान जनता के साथ भारत की पारंपरिक मित्रता और उनके विकासात्मक ज़रूरतों के लिए निरंतर समर्थन को दोहराया।
यह बातचीत उस वक्त हुई है जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई थी। अफगानिस्तान सरकार ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की थी और अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के बीच भी हाल में तनाव बढ़ा है।
यह अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच पहला राजनीतिक-स्तर का संवाद है। इससे पहले जनवरी 2025 में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की थी।
यह राजनीतिक स्तर पर आखिरी संपर्क 1999-2000 में हुआ था, जब तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कंधार विमान अपहरण प्रकरण के दौरान तालिबान के विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवाकिल से संपर्क किया था।
जयशंकर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: "आज शाम अफगान कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी स्पष्ट निंदा की गहरी सराहना करता हूं। साथ ही भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास फैलाने की हालिया कोशिशों को उन्होंने जिस दृढ़ता से खारिज किया है, उसका स्वागत करता हूं।"
यह बयान पाकिस्तान से फैली उन अफवाहों के संदर्भ में है जिनमें दावा किया गया था कि भारतीय मिसाइलें अफगानिस्तान में गिरी थीं — जिसे भारत ने "मूर्खतापूर्ण" कहा।
तालिबान विदेश मंत्रालय का बयान
तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा, "इस बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, व्यापार को बढ़ाने और राजनयिक संबंधों के स्तर को ऊंचा उठाने पर चर्चा हुई। अफगान विदेश मंत्री ने भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय देश बताया और ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए इन्हें और सुदृढ़ करने की उम्मीद जताई।"
मुत्ताकी ने यह भी आग्रह किया कि भारत अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए वीजा प्रक्रियाओं को आसान बनाए, और भारत में बंद अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी की सुविधा प्रदान करे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर ने भी अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक संबंधों को मान्यता दी और कहा कि भारत राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। उन्होंने अफगान कैदियों के मुद्दे और वीजा प्रक्रिया को शीघ्र हल करने का आश्वासन दिया। दोनों पक्षों ने चाबहार पोर्ट के विकास को भी प्राथमिकता दी।
काबुल में भारत की मौजूदगी
अप्रैल के अंतिम सप्ताह में भारत सरकार के संयुक्त सचिव एम. आनंद प्रकाश, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान मामलों के प्रभारी हैं, को काबुल भेजा गया था। इससे पहले ही अफगान विदेश मंत्रालय ने पहलगाम हमले की निंदा कर दी थी।
तालिबान प्रवक्ता अब्दुल क़ाहर बल्ख़ी ने कहा, "अफगानिस्तान का विदेश मंत्रालय जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हुए हालिया हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। ऐसे हमले क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रयासों को कमजोर करते हैं।"
भारत-तालिबान संबंधों पर विस्तृत चर्चा
जनवरी में हुई विदेश सचिव मिस्री और मुत्ताकी की बैठक में सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जैसे अफगानिस्तान में भारत की सुरक्षा चिंताएं,
भारत द्वारा अफगानिस्तान में भविष्य में विकास परियोजनाओं में भागीदारी, पाकिस्तान से लौटे अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास में भारत की मानवीय सहायता, ईरान के चाबहार पोर्ट के माध्यम से अफगानिस्तान तक पहुंच, भारत और अफगानिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों का विस्तार
हालांकि भारत ने अब तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह संवाद बताता है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक और मानवीय संपर्क के रास्ते खुल रहे हैं, और दोनों देश आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।