LAC समझौते के अनुसार पीछे हटे भारत - चीन के सैनिक; दिवाली पर एक-दूसरे को बाटेंगे मिठाई
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LAC समझौते के अनुसार पीछे हटे भारत - चीन के सैनिक; दिवाली पर एक-दूसरे को बाटेंगे मिठाई

इससे पहले, चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में 'व्यवस्थित' तरीके से पीछे हट रहे हैं; अब सैनिकों की वापसी पूरी हो जाने के बाद गश्त शुरू होगी


India China LAC Agreement : भारत और चीन के बीच LAC को लेकर हुए समझौते का पहला चरण पूरा कर लिया गया है, जिसके तहत पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग से दोनों ही देशों की सेना पीछे हट गयी है. अब इस समझौते का दूसरा चरण यानी गश्त की शुरुआत होना बाकी है. ये दावा भारतीय सेना के सूत्रों के किया है. इस दावे के साथ ही सूत्रों ने ये भी कहा है कि जल्द ही दूसरे चरण की शुरुआत भी होने वाली है. इसके अलावा, सेना ने कहा कि दिवाली पर दोनों पक्षों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान होगा.

इससे पहले, चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से ये कहा गया था कि भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में 'व्यवस्थित' तरीके से पीछे हट रही हैं.

चीनी राजदूत की टिप्पणी
कोलकाता में एक कार्यक्रम में शामिल हुए भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने सैनिकों की वापसी पर एक सवाल के जवाब में कहा, "मुझे उम्मीद है कि इस आम सहमति के मार्गदर्शन में, भविष्य में संबंध सुचारू रूप से आगे बढ़ेंगे और दोनों पक्षों के बीच विशिष्ट असहमतियों से सीमित और बाधित नहीं होंगे." उन्होंने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मतभेदों को कैसे निपटाया जाए." यह प्रक्रिया पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की गश्त और पीछे हटने को लेकर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के बाद शुरू की गई है, जो चार साल से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है.
यह कदम जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. इस टकराव के बाद दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी.

व्यवस्थित तरीके से हट रही हैं सेनायें
इससे पहले, चीन ने कहा था कि चीनी और भारतीय सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी से संबंधित "प्रस्तावों" को "व्यवस्थित तरीके" से लागू कर रही हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में सैनिकों की वापसी की प्रगति पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, "चीन और भारत हाल ही में सीमा से संबंधित प्रासंगिक मुद्दों पर समाधान पर पहुंचे हैं." उन्होंने बिना कोई विस्तृत जानकारी दिए कहा, "फिलहाल, चीनी और भारतीय सीमांत सैनिक प्रस्तावों को व्यवस्थित तरीके से क्रियान्वित कर रहे हैं." उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर देने से इनकार कर दिया कि क्या पीछे हटने के लिए कोई समय सीमा है.

ये हुआ है समझौता
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को नई दिल्ली में कहा था कि पिछले कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया है और इससे 2020 में उत्पन्न मुद्दों का समाधान निकलेगा. एक दिन बाद, लिन ने समझौते की पुष्टि करते हुए एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि हाल के समय में, चीन और भारत राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से निकट संचार के बाद सीमा क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि चीन इस दिशा में हुई प्रगति की सराहना करता है तथा इन प्रस्तावों के सुदृढ़ कार्यान्वयन के लिए भारत के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा. पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की घोषणा के बाद से, चीन ने बहुत कम विवरण जारी किए, सिवाय इसके कि उसने स्वीकार किया कि पीछे हटने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है.

'पॉजिटिव फैक्टर' का इंजेक्शन लगाना
23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और पीछे हटने के समझौते का समर्थन किया था. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली के सहयोगी प्रकाशन, सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक लंबे संपादकीय में कहा गया है कि भारत-चीन समझौते ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का काफी ध्यान आकर्षित किया है, तथा द्विपक्षीय संबंधों को शीघ्र ही स्थिर विकास के रास्ते पर वापस लाने के लिए इसके महत्वपूर्ण व्यावहारिक निहितार्थों पर प्रकाश डाला है. मंगलवार को प्रकाशित संपादकीय में कहा गया कि इसने "निस्संदेह" क्षेत्रीय और विश्व स्थिरता बनाए रखने में एक नया सकारात्मक कारक भी शामिल किया है.
इसमें कहा गया है, "उम्मीद है कि दोनों पक्ष मौजूदा समाधान द्वारा प्रदान किए गए अवसरों का अच्छा उपयोग करेंगे, विभिन्न स्तरों पर बनी सहमति को लागू करना जारी रखेंगे, तथा सीमा की स्थिति को सामान्य बनाने के लिए काम करेंगे, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने में मदद मिलेगी." इसमें कहा गया है, "केवल इसी तरह हम अपने दोनों देशों के लोगों की भलाई के साथ-साथ विश्व की स्थिरता और विकास के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं."

(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)


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