चाबाहर पोर्ट के सञ्चालन को लेकर भारत और ईरान के बीच हुआ 10 साल का अनुबंध
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चाबाहर पोर्ट के सञ्चालन को लेकर भारत और ईरान के बीच हुआ 10 साल का अनुबंध

21 से जारी थी बातचित भारत 10 साल तक संभालेगा चाबहार पोर्ट


भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट के अतिप्रतीक्षित समझौता अंततः हो ही गया. ये अनुबंध 10 साल के लिए किया गया है, जिस पर दोनों देशों की सहमति के बाद हस्ताक्षर भी हो गए हैं. इस समझौते के दौरान भारत सरकार के जहाज रानी और जल मार्ग मंत्री सर्बनंद सोनोवाल भी शरीक हुए है. इस समझौते के साथ ही चाबहार ऐसा बंदरगाह बन गया है जो विदेश में है और उसका सञ्चालन लगातार 10 साल तक भारत सरकार के पास रहेगा. इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत की तरफ से 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट विंडो का प्रस्ताव भी दिया है. ये पोर्ट कई मायनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें से एक इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर(आईएनएसटीसी) है, जिसे एकीकृत करने की योजना पर काम चल रहा है और इसी कॉरिडोर के माध्यम से भारत और रूस के बीच की कनेक्टिविटी आसान बन जाएगी.

क्यों है चाबहार भारत के लिए महत्वपूर्ण क्या होगा लाभ

रूस और यूरोप से कनेक्टिविटी को सरल बनाने के लिहाज से चाबहार पोर्ट भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारत चाहता है कि अफगानिस्तान, मध्य एशिया और उससे आगे यूरोप के क्षेत्रों से जुड़ने के लिए चाबहार पोर्ट बेहद जरुरी है. इस पोर्ट की मदद से अफगानिस्तान और उससे आगे के क्षेत्रों से जुड़ने के लिए पाकिस्तान को दरकिनार किया जा सकता है. दूसरी ओर इस पोर्ट के भारत के नियंत्रण में आने से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट और चीन की बेल्ट एंड रोड योजना के प्रति भी संतुलन स्थापित किया जा सकता है.

21 साल से लटका था ये समझौता

इस समझौते को होने में 1-2 नहीं बल्कि 21 साल लग गए. इसकी चर्चा की शुरुआत 2003 में हुई थी. इसके 10 साल बाद 2013 में भारत ने ईरान के सामने चाबहार पोर्ट के विकास के लिए 100 मिलियन डॉलर निवेश करने की बात कही थी. इसके बाद सबसे पहले वर्ष 2016 में इस पोर्ट को लेकर उस समय साझेदारी पर बात बनी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ईरान दौरे पर गए. इसके बाद साल 2018 में जब ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति हसन रुहानी नई दिल्ली आए तो चाबहार बंदरगाह पर भारत की भूमिका पर बातचीत हुई थी. इससे पहले साल 2014 में वर्तमान में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की तेहरान यात्रा के दौरान भी चाबहार पोर्ट का मुद्दा प्रमुखता से उठा था.

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