प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा में फिर रखा जा सकता है RIC पर प्रस्ताव!
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प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा में फिर रखा जा सकता है RIC पर प्रस्ताव!

सर्गेई लावरोव ने पत्रकारों के सवाल के उत्तर में ये भी दावा किया कि लगभग एक साल पहले, हमने एक आरआईसी त्रिपक्षीय प्रारूप बनाने का प्रस्ताव रखा था. हाल ही में, हमने फिर से इस प्रस्ताव पर विचार किया.


PM Modi Russia Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 8 जुलाई को रूस यात्रा पर जा रहे हैं. इस यात्रा को रूस ने अपनी विदेश रणनीति के अनुकूल बताया है. साथ ही ये भी कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की ये यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ये भी कहा कि भारत हमारे प्राथमिकता वाले देशों में से एक है. यदि हम हाल की अवधि की बात करें, तो ये वास्तव में येवगेनी प्रिमाकोव का विचार था कि रूस, भारत और चीन (आरआईसी) त्रिकोण को बहुध्रुवीय दुनिया और उसका मूल बन जाना चाहिए. हालांकि, ब्रिक्स के उद्घाटन के बाद आरआईसी का बहुत कम उल्लेख किया गया, क्योंकि ब्रिक्स निश्चित रूप से बहुत अधिक प्रभावशाली इकाई है.

दरअसल, एक पत्रकार वार्ता में लावरोव से पूछा गया कि प्रधानमंत्री मोदी कुछ ही दिनों में 8 जुलाई को मास्को आ रहे हैं। क्या आप हमें उस यात्रा के बारे में कुछ बता सकते हैं? रूस के लिए यह यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है?

क्या कहा लावरोव ने

लावरोव ने कहा, भारत हमारे सबसे पुराने रणनीतिक साझेदारों में से एक है. देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद से, हमारी बातचीत जारी रही है. रूस ने भारतीय राज्य, अर्थव्यवस्था और सशस्त्र बलों को विकसित करने में मदद की. साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में मदद करने का हर संभव प्रयास किया. लावरोव ने कहा कि भारत और रूस में अब राष्ट्रीय मुद्राओं में 60% व्यापार होता है."

रूस ने रखा था RIC ( रूस भारत चीन ) बनाने का प्रस्ताव

सर्गेई लावरोव ने पत्रकारों के सवाल के उत्तर में ये भी दावा किया कि लगभग एक साल पहले, हमने एक आरआईसी त्रिपक्षीय प्रारूप बनाने का प्रस्ताव रखा था. हाल ही में, हमने फिर से इस प्रस्ताव पर विचार किया. लेकिन अब तक, हमारे भारतीय मित्रों का मानना ​​है कि सीमा( भारत-चीन) की स्थिति को पहले पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए. हम इस बात को समझते हैं. वैसे भी, बीजिंग और नई दिल्ली दोनों ही त्रिपक्षीय सहयोग को बनाए रखने में स्पष्ट रुचि दिखा रहे हैं. मुझे यकीन है कि तीनों देशों को साझा दृष्टिकोण पर काम करने और यूरेशियन और वैश्विक एजेंडे जैसे प्रमुख मुद्दों पर सकारात्मक रुख अपनाने से लाभ होगा.

पश्चिम नहीं चाहता की आरआईसी

लावरोव ने ये भी दावा किया कि 'मैं स्पष्ट रूप से ये कहना चाहता हूं कि पश्चिम आरआईसी के बिल्कुल विपरीत होना चाहता है. पश्चिम चाहता है कि RIC को एकजुट होने से रोका जाए. पश्चिम चाहता है कि RIC में मतभेद रहे ताकि पश्चिम को इसका फायदा मिल सके.


पांच साल बाद प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा

प्रधानमंत्री मोदी की ये रूस यात्रा लगभग 5 साल बाद होने जा रही है. लावरोव से जब ये भी पूछा गया कि क्या भारत का झुकाव अमेरिका के प्रति ज्यादा हो गया है तो लावरोव ने कहा कि ऐसा नहीं है. भारत हमारा पारंपरिक मित्र है और हमारी भारत के साथ लगातार बातचीत जारी रहती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में कुछ कारणों की वजह से मुलाकात कम रही है, एक अहम कारण कोविड महामारी भी रही.

बता दें कि पीएम मोदी पिछली बार सितम्बर 2019 में रूस गए थे, उन्होंने रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित पूर्वी आर्थिक मंच में भाग लिया था.

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