Ground report: आर्थिक संकट में सुधार, महंगाई अब भी श्रीलंका के लिए चिंता का विषय
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Ground report: आर्थिक संकट में सुधार, महंगाई अब भी श्रीलंका के लिए चिंता का विषय

हालांकि, आर्थिक संकट के चरम के समय की तुलना में स्थिति काफी बेहतर है. लेकिन हजारों श्रीलंकाई लोगों के लिए यह अभी भी संघर्ष है.


मलिथ असांगा अपनी पत्नी के साथ कोलंबो के उपनगर रत्मलाना के एक बाजार में गए थे. वहां उनकी पत्नी ने एक अंडा बेचने वाले से कहा कि उसने उन्हें कम सिक्के दिए हैं. मलिथ गर्व से बताते हैं कि वह अकाउंटेंसी पढ़ चुकी हैं. जैसे ही विक्रेता ने अपनी गलती स्वीकारी और सही पैसे लौटा दिए. हर रुपया मायने रखता है. यह टिप्पणी श्रीलंका में सामान्य रूप से सुनी जाती है, जहां लोग छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देते हैं.

उनका परिवार चार सदस्यीय है. लेकिन जल्द ही पांचवां सदस्य भी जुड़ने वाला है. क्योंकि उनकी पत्नी तीसरे बच्चे के साथ गर्भवती हैं. उनके पास दो बेटे हैं, जिनकी उम्र छह और चार साल है. परिवार का खर्च, खासकर जीवन यापन की बढ़ती लागत, मलिथ के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. वह अपने बैग की ओर इशारा करते हैं, जिसमें 5 किलोग्राम चावल, कुछ नारियल, नारियल तेल और अंडे थे. उन्होंने बताया कि हमने करीब 8,000 श्रीलंकाई रुपये खर्च किए हैं और हम अभी तक सब्जियां भी नहीं खरीद पाए.

महंगाई की बढ़ती दर

मलिथ पेशे से एक ऑटोरिक्शा चालक हैं, महामारी से पहले का समय याद करते हुए कहते हैं कि तब वे लगभग 3,000 रुपये प्रति सप्ताह में आसानी से गुजारा कर सकते थे. अब, हालात बदले हैं और चीज़ें महंगी होती जा रही हैं. उन्होंने बताया कि अब हमारे जैसे परिवार को अच्छे से जीने के लिए करीब 10,000 रुपये प्रति सप्ताह की जरूरत है. इसका मतलब है कि हम दिन में तीन भोजन कर सकते हैं, जिनमें से दो करी होती हैं. हालांकि, यह स्थिति श्रीलंका के आर्थिक संकट के चरम से काफी बेहतर है, फिर भी यह कई परिवारों के लिए एक रोज़ाना संघर्ष बन चुका है. मलिथ को आशंका है कि राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिस्सानायक द्वारा प्रस्तुत 2025 का बजट शायद अधिक राहत नहीं दे पाएगा. अगर यह महंगाई कम करने में मदद करता है तो अच्छा होगा.

ऑटोमोबाइल की कीमतों में वृद्धि

बास फर्नांडीस (48) एक रेस्तरां के मालिक हैं. उन्होंने सरकार द्वारा वाहन आयात पर लगे प्रतिबंधों को हटाए जाने के बाद उम्मीद की थी कि वाहन की कीमतें कम होंगी. हालांकि, आयातित वाहनों पर 200 से 300 प्रतिशत तक उत्पाद शुल्क होने के कारण उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं. अब, यहां तक कि सेकेंड हैंड वाहन भी बहुत महंगे हैं. वह कहते हैं कि मुझे खुशी है कि मेरे पास वफादार ग्राहक हैं. लेकिन मेरी लाभांश दर बहुत कम है. खर्च बढ़ गए हैं और मैं इसे ग्राहकों पर नहीं डाल सकता.

नारियल की कमी और व्यापार में मंदी

सेपाला जयलथ (52) 30 वर्षों से नारियल बेच रहे हैं, बताते हैं कि नारियल की भारी कमी के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं. सबसे बड़े नारियल की कीमत 210 रुपये है. जबकि छोटे नारियल 150 रुपये में बिकते हैं. लोग अब छोटे नारियल खरीदने लगे हैं. क्योंकि उनकी खरीददारी की सामर्थ्य कम हो गई है. इस बीच MSM फॉज़ेर (48), जो एक कॉस्मेटिक्स की दुकान चलाते हैं, ने व्यापार में मंदी का उल्लेख किया. उन्होंने दुख जाहिर किया कि लोग अब खाने-पीने की जरूरतों को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसलिए वे कॉस्मेटिक्स पर खर्च नहीं कर पा रहे.

सरकार की नीतियां

73 वर्षीय NGS करुणासिरी, जो एक तीन पहिया वाहन के मालिक हैं, आशावादी रहते हुए कहते हैं कि हमेशा आलोचना करने के बजाय हमें सरकार को कुछ समय देना चाहिए, ताकि वह अपने वादों को पूरा कर सके. उन्होंने तीन पहिया वाहन की कीमतों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अब एक वाहन की कीमत कम से कम 2 मिलियन रुपये है. कोई कैसे खरीद सकता है?

सार्वजनिक नाराजगी और सरकार पर दबाव

दिसानायक और उनकी पार्टी, NPP, को भ्रष्टाचार और आर्थिक बोझ से तंग आई जनता के वोटों से सत्ता में आई थी. लोग IMF के साथ किए गए बेलआउट पैकेज से नाराज़ थे. क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि यह अत्यधिक बोझ उन पर डाला गया. NPP ने स्वीकार किया कि वह IMF के साथ किए गए समझौते पर पुनः बातचीत नहीं कर सकती और जो राहत दी जाएगी, वह उसी पैकेज की सीमाओं के भीतर होगी.

कृषि संकट और किसानों की स्थिति

कृषक, जो NPP के महत्वपूर्ण वोट बैंक थे, आर्थिक संकट और पूर्व सरकार की खराब कृषि नीतियों से प्रभावित हुए हैं. भारी बारिशों ने उनके खेतों को नष्ट कर दिया है. किलिनोचची के एक युवा किसान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में अप्रत्याशित बदलाव आ गए हैं. अब हमें इसकी भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है. कृषकों का कहना है कि वे उच्च उत्पादन लागत के कारण कर्ज में डूबे हुए हैं. किसान कर्ज के चक्र में फंसे हैं और अगले सीजन में अगर फसल न हुई तो उन्हें फिर से कर्ज लेना पड़ेगा.

कृषि क्षेत्र के लिए सरकार का बजट

सरकार ने कृषि मंत्रालय के लिए इस साल 209 अरब रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना है. हालांकि, किसानों को यकीन नहीं है कि सरकार की नीतियां पूरी तरह से लागू होंगी. एक किसान ने कहा कि मुझे खुशी है कि यह बजट पिछले सरकार से ज्यादा है. लेकिन मुझे पूरा यकीन नहीं है कि सभी नीतियां लागू होंगी.

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