ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई की चेतावनी- लंबे समय तक नहीं टिकेगा इजरायल
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ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई की चेतावनी- 'लंबे समय तक नहीं टिकेगा' इजरायल

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने शुक्रवार को कहा कि इजरायल लंबे समय तक नहीं टिकेगा.


Iran Supreme Leader Ayatollah Ali Khamenei: इजरायल-ईरान जंग के बीच मिडिल ईस्ट संकट के दौर से गुजर रहा है. यहां तक कि इसका असर पूरी दुनिया पर भी पड़ रहा है. इजरायल ने एयर स्ट्राइक में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया, जिससे ईरान भड़क गया और उसने जवाबी कार्रवाई में इजरायल पर बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला कर दिया. इसी बीच ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली खामेनेई ने तेहरान में हसन नसरल्लाह की मौत पर श्रद्धांजलि देने के लिए नमाज अदा की. इस दौरान नमाजियों को संबोधित करते हुए सुप्रीम लीडर खामेनेई ने नेतन्याहू को धमकाया.

बता दें कि नसरल्लाह की मौत के बाद खामेनेई पहली बार पब्लिकली ग्रैंड मस्जिद में दिखे. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इजरायल "लंबे समय तक नहीं टिकेगा". वहीं, इजरायल से लड़ने वाले फिलिस्तीनी और लेबनानी समूहों के प्रति सपोर्ट जताते हुए उन्होंने इजरायल पर मिसाइल हमलों को "सार्वजनिक सेवा" कहा.

खामेनेई ने घोषणा की कि इजरायल आखिरकार हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ असफल रहेगा. उन्होंने हाल ही में मारे गए हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की प्रशंसा की और मुसलमानों से लेबनान के प्रतिरोध का समर्थन करने का आग्रह किया. खामेनेई ने इजरायल पर क्षेत्र में अमेरिकी नियंत्रण के लिए एक उपकरण होने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी समर्थन के बिना इसमें कोई स्थिरता नहीं है.

खामेनेई ने कहा कि सैय्यद हसन नसरल्लाह अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनकी आत्मा और उनका मार्ग हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा. वह ज़ायोनी दुश्मन के खिलाफ़ एक बुलंद झंडा थे. उनकी शहादत इस प्रभाव को और बढ़ाएगी. नसरल्लाह का जाना व्यर्थ नहीं है. हमें अपने अटूट विश्वास को मजबूत करते हुए दुश्मन के खिलाफ़ खड़ा होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि लेबनान के रक्तरंजित लोगों की मदद करना और लेबनान के जिहाद और अल-अक्सा मस्जिद के लिए लड़ाई का समर्थन करना सभी मुसलमानों का कर्तव्य और जिम्मेदारी है. किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून को लेबनानी और फिलिस्तीनियों द्वारा कब्जे के खिलाफ खुद खड़े होने पर आपत्ति करने और विरोध करने का अधिकार नहीं है.

उन्होंने इजरायल को अमेरिका के लिए एक "उपकरण" बताया, ताकि वह इस क्षेत्र की सारी जमीन और संसाधनों पर "नियंत्रण" कर सके. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि ज़ायोनी और अमेरिकी सपना देख रहे हैं. ज़ायोनी इकाई को ज़मीन से उखाड़ दिया जाएगा. इसकी कोई जड़ें नहीं हैं. यह नकली और अस्थिर है और केवल अमेरिकी समर्थन के कारण ही अस्तित्व में है. बता दें कि यह पिछले पांच वर्षों में उनका यह पहला शुक्रवारीय उपदेश था.

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