मिडिल ईस्ट में संघर्ष विराम न कर US इलेक्शन पर असर डाल रहा इजरायल? बाइडेन की इन बातों को समझिए
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मिडिल ईस्ट में संघर्ष विराम न कर US इलेक्शन पर असर डाल रहा इजरायल? बाइडेन की इन बातों को समझिए

इजरायल संघर्ष विराम पर सहमत न होकर अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है? इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जानें क्या कहा.


Israel Iran Conflict: इजरायल- ईरान में तनातनी छिड़ी हुई है. इजरायली हवाई हमले में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान बौखला गया है. ऐसे में उसने इजरायल पर कई बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला किया. वहीं, जवाब में इजरायल ने भी कड़ी कार्रवाई की बात कही है. इसका असर यह हुआ कि तेल की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है. क्योंकि इस बात की चिंता बढ़ गई थी कि इजरायल बदले में ईरानी तेल क्षेत्रों पर हमला करेगा. ऐसे में चुनाव के इतने करीब पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में उछाल कमला हैरिस के लिए झटका साबित हो सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इजरायल संघर्ष विराम पर सहमत न होकर अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है? इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 'मुझे नहीं पता कि, युद्ध विराम पर सहमत न होकर इजरायल 2024 के अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए कहा कि उन्हें नहीं पता कि इजरायली नेता 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के लिए मिडिल ईस्ट शांति समझौते को रोक रहे हैं. हालांकि, किसी भी प्रशासन ने इजरायल की उतनी मदद नहीं की है, जितनी उन्होंने की है. बाइडेन ने कहा कि मुझे लगता है कि अगर मैं उनकी जगह होता तो मैं तेल क्षेत्रों पर हमला करने के अलावा अन्य विकल्पों के बारे में सोचता.

बता दें कि नेतन्याहू ने बाइडेन के दलीलों के प्रति प्रतिरोधी रुख अपनाया है, जिससे राष्ट्रपति को अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है. ऐसे में बाइडेन ने बदले में सार्वजनिक रूप से इजरायल को भारी बमों की डिलीवरी रोक दी है और मिडिली ईस्ट में एक व्यापक युद्ध पर चिंता व्यक्त की है.

बता दें कि बाइडेन के सहयोगी सीनेटर क्रिस मर्फी, डी-कॉन की टिप्पणियों का जवाब दे रहे थे, जिन्होंने इस सप्ताह कहा था कि उन्हें चिंता है कि नेतन्याहू को अमेरिकी राजनीति के कारण शांति समझौते में बहुत कम दिलचस्पी है. मर्फी ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू की कुछ कार्रवाइयों को अमेरिकी चुनाव से जोड़कर देखने से आप निराश हो सकते हैं. बाइडेन और नेतन्याहू ने लंबे समय से एक जटिल संबंध बनाए रखा है. लेकिन गाजा युद्ध पर उनके विचारों में भिन्नता और उनके राजनीतिक भविष्य के अधर में लटकने के कारण उनके पास पैंतरेबाज़ी करने के लिए जगह नहीं बची है. बाइडेन के लिए एक कूटनीतिक सौदा युद्ध को लेकर डेमोक्रेट्स के बीच गहरे मतभेद को दूर करने और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के लिए समर्थन बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे अगले महीने जीतने पर उनके लिए एक वैश्विक संघर्ष कम हो जाएगा.

नेतन्याहू की राजनीतिक चिंताएं

अगर इजरायली पीएम ने युद्ध रोक दिया तो उनका दूर-दराज़ गठबंधन उन्हें छोड़ देगा और वे सत्ता खो सकते हैं और उन्हें अपनी कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इजराइल हिज़्बुल्लाह के नेतृत्व को खत्म कर रहा है. इसलिए अब इसे रोकने के बहुत कम चांस हैं. वहीं, बाइडेन लंबे समय से एक कूटनीतिक सौदे के लिए जोर दे रहे हैं और उन्होंने और उनके सहयोगियों ने पिछले कुछ महीनों में कई बार संकेत दिया है कि ऐसा समझौता करीब है. लेकिन ऐसा कभी नहीं लगता है कि यह कभी भी अमल में आएगा. कुछ मामलों में नेतन्याहू ने सार्वजनिक रूप से इस संभावना का विरोध किया है. जबकि यूएस और इजरायल के अधिकारी निजी तौर पर एक समझौते पर पहुंचने के बारे में बात करना जारी रखे हुए हैं.

पिछले हफ़्ते यूएस, फ्रांस और अन्य सहयोगियों ने संयुक्त रूप से तत्काल 21-दिवसीय इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध विराम का आह्वान किया था और उम्मीद की थी कि इजरायल इस योजना का पूरी तरह से समर्थन नहीं तो स्वागत करेगा. इसकी बजाय नेतन्याहू ने सार्वजनिक रूप से इसे अस्वीकार कर दिया. इजरायल ने दो मोर्चों पर आगे बढ़ते हुए हिजबुल्लाह के शीर्ष नेताओं को मार डाला और लेबनान में जमीनी घुसपैठ की और गाजा में हमले किए, जिसमें बच्चों सहित दर्जनों लोग मारे गए. वहीं, इजरायल ने इस सप्ताह ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमले का बदला लेने की भी कसम खाई है.

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