हिजबुल्ला से इजरायल की क्यों ठन गई, 42 साल पुराना इतिहास
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हिजबुल्ला से इजरायल की क्यों ठन गई, 42 साल पुराना इतिहास

इजरायल ने अब लेबनान के हिजबुल्ला पर घातक अंदाज में प्रहार कर रहा है। दोनों के बीच दुश्मनी क्यों पनपी, उसका इतिहास क्या है, विस्तार से आपको बताएंगे।


Israel-Lebanon Relation: इजरायल का झगड़ा फिलिस्तीन, लेबनान के हिजबुल्ला,ईरान से क्यों, यह सवाल आपके दिमाग में जरूर कौंधता होगा। हाल ही में लेबनान में पेजर धमाका, वॉकी टॉकी धमाका और इजरायल की तरफ से घातक हमला। ऐसा नहीं है कि इजरायली हमले का हिजबुल्ला ने जवाब नहीं दिया। जवाब तो दिया लेकिन इजरायल के आयरन डोम ने उसे नाकाम कर दिया। इजरायल के हमले में मरने वालों की संख्या 500 के करीब और घायलों की संख्या 1600 के करीब है। इजरायल को टारगेट करते हुए हिजबुल्ला ने 200 रॉकेट दाग डाले, हालांकि आयरन डोम की वजह से इजरायल ने खुद को बचा लिया।

इस तरह आयरन डोम ने की हिफाजत


सबरा, शतीला नरसंहार और हिजबुल्ला

अब अपने मूल सवाल पर लौटते हैं कि हिजबुल्ला और इजरायल दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे क्यों हैं। साल 1982 का था जब इजरायल ने पहली दफा लेबनान पर आक्रमण किया। उस अटैक के बाद ही हिजबुल्लाह अपने मौजूदा अस्तित्व में आया। जून 1982 में इजरायल ने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के हमलों के जवाब में लेबनान पर आक्रमण किया था। इजरायल का कब्जा बेरूत तक पहुंच गया था। पीएलओ की घेराबंदी हो गई और बाद में उसे पीछे हटना पड़ा। हालांकि इजरायल की लगातार मौजूदगी खास तौर से सबरा और शतीला नरसंहार के बाद हिजबुल्ला संगठन के दिल और दिमाग में नफरत के बीज और गहराई से जगह बना ली। बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि सबरा और शतीला नरसंहार में करीब 2,000 से 3,500 फिलिस्तीनी शरणार्थियों और लेबनानी नागरिकों की हत्या हुई थी।

हिजबुल्ला के बारे में कहा जाता है कि उसके गठन में ईरान की भूमिका भी थी। इजरायल का सीधे तौर पर ईरान से दुश्मनी नहीं थी। लेकिन हिजबुल्ला के गठन के बाद ईरान भी इजरायल का दुश्मन नंबर वन बन गया। हाशिए पर पड़ी शिया आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला हिजबुल्लाह जल्द ही एक शक्तिशाली मिलिशिया बन गया, जिसने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों और बेका घाटी में असंतुष्ट युवाओं से भारी मात्रा में भर्ती की।

1983 और 1986 के बीच हिजबुल्ला या उससे जुड़े समूहों को लेबनान में विदेशी सेनाओं पर कई हमलों के लिए दोषी ठहराया गया था। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण अक्टूबर 1983 में बेरूत में फ्रांसीसी और अमेरिकी सैन्य बैरकों पर बमबारी थी। इस्लामिक जिहाद समूह ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। लेकिन कई लोगों का मानना ​​था कि हमले के पीछे हिजबुल्ला का ही हाथ था। 1985 तक हिजबुल्ला की ताकत इतनी बढ़ गई थी कि उसने इजरायली सेना को दक्षिणी लेबनान के अधिकांश हिस्से से हटने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि इजरायल ने सीमा पर एक सुरक्षा क्षेत्र बनाए रखा, जिसकी निगरानी उसके ईसाई-प्रभुत्व वाले प्रॉक्सी साउथ लेबनान आर्मी (SLA) द्वारा की जाती थी।

राजनीतिक नक्शे पर हिजबुल्ला

1992 में लेबनान के गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद हिजबुल्ला अब राजनीति का हिस्सा बन चुका था। लेबनान की 128 सदस्यीय संसद में आठ सीटें जीतीं। इसका प्रभाव राजनीतिक और सैन्य दोनों ही रूप से बढ़ता ही गया। इसके साथ ही इजरायली सेना के खिलाफ इसका प्रतिरोध जारी रहा। 1993 में इजरायल ने उत्तरी इजरायल पर हिजबुल्लाह के हमलों के प्रतिशोध में ऑपरेशन अकाउंटेबिलिटी शुरू किया, जिसकी वजह से संघर्ष तेज हुआ और 118 लेबनानी नागरिक मारे गए। 1996 में ऑपरेशन ग्रेप्स ऑफ रैथ के साथ हिंसा फिर से बढ़ गई क्योंकि इजरायल ने हिजबुल्लाह को खत्म करने की नीति पर काम करना शुरू किया।

इजरायल की वापसी और जुलाई युद्ध

मई 2000 में इजरायल ने लगभग दो दशकों के कब्जे के बाद दक्षिणी लेबनान से एकतरफा वापसी की। इस कदम का श्रेय काफी हद तक हिजबुल्लाह के प्रतिरोध को जाता है। इस जीत ने हिजबुल्लाह की स्थिति को न केवल एक मिलिशिया के रूप में बल्कि लेबनान के भीतर एक अजेय राजनीतिक ताकत के तौर पर स्थापित कर दिया। 2006 में, जब हिजबुल्ला ने दो इजरायली सैनिकों को पकड़ लिया तो यह तनाव भड़का और युद्ध हुआ। 34 दिनों तक चले इस संघर्ष में भारी संख्या में लोग मारे गए।

क्षेत्रीय संघर्ष

2009 तक हिजबुल्ला अब सिर्फ़ एक मिलिशिया या प्रतिरोध आंदोलन नहीं रह गया था और लेबनान में प्रमुख सैन्य और राजनीतिक ताकत बन गया था। सीरिया के गृहयुद्ध के दौरान इसकी शक्ति में और इजाफा हुआ। 2012 से शुरू होकर, हिजबुल्ला ने सीरिया में असद शासन की ओर से हस्तक्षेप किया एक ऐसा कदम जिसने अरबों के बीच कुछ समर्थन खो दिया। लेकिन ईरान के साथ अपने गठबंधन को मजबूत किया। 2023 के गाजा युद्ध ने हिजबुल्ला को फिर से इज़रायल के साथ सीधे टकराव में ला दिया। जब अक्टूबर 2023 में हमास ने इजरायल पर अभूतपूर्व हमला किया, तो हिजबुल्लाह ने संघर्ष को बढ़ा दिया लेबनान से रॉकेट हमले शुरू कर दिए और जवाबी हमलों का सामना किया।

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