जाते जाते बाइडेन का यह फैसला तबाही ना मचा दे,रूस यूक्रेन युद्ध से नाता
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का एक फैसला चर्चा में है। उन्होंने रूस के खिलाफ यूक्रेन को लांग रेंज मिसाइल के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है।
Russia Ukraine War News: दुनिया के सभी हिस्सों में तनाव है भले ही उसका स्तर कम हो। रूस-यूक्रेन जंग, जलता हुआ मिडिल ईस्ट, साउथ चीन सागर में विवाद कुछ खास उदाहरण हैं। रूस-यूक्रेन की लड़ाई में यूक्रेन के साथ सीधे तौर पर अमेरिका या नाटो देश शामिल नहीं है। लेकिन पैसे की मदद, हथियार की मदद करने से पीछे भी नहीं हैं। खास बात यह है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध रोकने की हिमायती हैं, उनका मानना है कि रूस-यूक्रेन जंग की वजह से किसी का फायदा नहीं हो रहा खासतौर से उनके देश के संसाधन की बर्बादी भी हो रही है। लेकिन जाते जाते जो बाइडेन प्रशासन ने जिस तरह से यूक्रेन को लांग रेंज मिसाइल के इस्तेमाल की इजाजत दी है उसके बाद खतरे का स्केल बढ़ गया है। लोग दबी जुबां बात भी करते हैं कि कहीं ये तीसरे विश्व युद्ध को न्यौता देने जैसा तो नहीं है। यहां हम इसी विषय पर बात करेंगे।
बाइडेन ने अब फैसला क्यों किया
सवाल यह है कि जो बाइडेन के फैसले को तीसरे विश्व युद्ध से क्यों जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल बाइडेन प्रशासन ने अमेरिका में बनी आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम के इस्तेमाल की इजाजत दी है। इसकी मदद से यूक्रेन रूस के ठिकानों को निशाना बना सकता है। रूस और यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है। लेकिन बाइडेन का उनके आखिरी कार्यकाल में लिया जाने वाला फैसला सबको चौंका और डरा रहा है। ऐसा नहीं है कि यूक्रेन की तरफ से इस मिसाइल का इस्तेमाल नहीं किया गया था। रूस के कुछ इलाकों में इसका इस्तेमाल किया गया था। लेकिन अमेरिका ने इजाजत नहीं दी थी।
रूस में उत्तर कोरियाई सैनिक
यूक्रेन बार बार नाटो और अमेरिका के सामने तर्क रखता था कि अगर उसे लांग रेंज मिसाइस के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिलेगी तो उसके लिए लड़ाई एक हाथ से लड़ने की तरह है। हालांकि अमेरिका ने जेलेंस्की की इस दलील पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब जब खबर है कि उत्तर कोरिया के सैनिक रूसी जमीन पर हैं उसके बाद अमेरिका ने यह फैसला कर लिया। बता दें कि उत्तर कोरिया को अमेरिका रोग देश मानता रहा है। अब बाइडेन के इस समय लिए गए फैसले को लेकर ट्रंप भी शायद कड़े अंदाज में विरोध ना कर सकें क्योंकि चाहे डेमोक्रेट्स हों या रिपब्लिकन दोनों दलों का नजरिया उत्तर कोरिया को लेकर एक जैसा रहा है।