G7 समिट 2025: इन 5 फैसलों ने खींचा दुनिया का ध्यान
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G7 समिट 2025: इन 5 फैसलों ने खींचा दुनिया का ध्यान

ट्रंप के जल्दबाजी में बाहर निकलने और ईरान पर एक संयुक्त बयान से लेकर, इस साल G7 शिखर सम्मेलन में अब तक हुई पांच सबसे बड़ी बातें यहां दी गई हैं।


G7 देशों के नेताओं की वार्षिक बैठक 15 से 17 जून तक कनाडा की रॉकी पर्वतमाला की तलहटी में बसे शांत और दूरवर्ती कस्बे कनानास्किस में आयोजित की जा रही है। यह G7 समूह का 51वां शिखर सम्मेलन है, जो इस बार दो गंभीर वैश्विक संकटों यूक्रेन युद्ध और गाजा में जारी संघर्ष के बीच हो रहा है, साथ ही इजरायल और ईरान के बीच तेजी से बढ़ते टकराव के दौरान भी। G7 समूह में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इस बार G7 के बाहर से जिन कुछ देशों के नेताओं को विशेष आमंत्रण दिया गया है, उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए निमंत्रण ने कई लोगों को चौंका दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के कनानास्किस में आयोजित 51वें G7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह उनका लगातार छठा G7 सम्मेलन था। इस सम्मेलन में उन्होंने वैश्विक दक्षिण के दृष्टिकोण को प्रमुखता से प्रस्तुत किया और ऊर्जा सुरक्षा, टेक्नोलॉजी इनोवेशन और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

राष्ट्रपति ट्रंप का अचानक जाना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सम्मेलन के दूसरे दिन सम्मेलन से अचानक प्रस्थान किया। उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कड़ी चेतावनी दी और कहा कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने दिया जाएगा। उनके इस कदम से सम्मेलन में असहमति और तनाव बढ़ गया।

ईरान का परमाणु कार्यक्रम

G7 नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए ईरान के परमाणु हथियारों के विकास को अस्वीकार्य बताया। उन्होंने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए गाजा में संघर्ष विराम की जरूरत पर बल दिया। इसमें ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता और आतंकवाद का मुख्य स्रोत बताया गया।

ट्रंप बोले – G8 या शायद G9 बनना चाहिए समूह

G7 शिखर सम्मेलन से अचानक रवाना होने से पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह सुझाव दिया कि रूस और संभवतः चीन को भी इस अमीर देशों के समूह का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। ट्रंप ने 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद उसे G8 से बाहर करने के फैसले को "बहुत बड़ी गलती" करार दिया। इसी कदम ने 2022 में यूक्रेन पर रूस के व्यापक हमले की नींव रखी थी। G7 पहले G8 हुआ करता था। ट्रंप ने दावा किया कि अगर रूस समूह में होता तो आज युद्ध नहीं होता। अगर मैं चार साल पहले राष्ट्रपति होता तो युद्ध नहीं होता।

ट्रेड वॉर

सम्मेलन में व्यापार युद्धों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में तनाव पर भी चर्चा हुई। अमेरिका ने चीन पर सेमीकंडक्टर आपूर्ति को लेकर नए प्रतिबंध लगाए, जबकि यूरोपीय संघ ने चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की। ट्रंप ने इन मुद्दों पर अपनी नीतियों का बचाव किया, जबकि अन्य नेताओं ने वैश्विक व्यापार में स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।

भारत की G7 में भागीदारी

प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में भाग लेकर भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत किया। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की G7 में भागीदारी से वैश्विक निर्णय प्रक्रियाओं में भारत की आवाज़ और प्रभाव बढ़ेगा। हालांकि, G7 की सदस्यता में भारत की संभावित भागीदारी पर अभी भी विचार-विमर्श जारी है।

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