ट्रंप और येल्तसिन: दोनों नेताओं के बीच कई चौंकाने वाली समानताएं
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ट्रंप और येल्तसिन: दोनों नेताओं के बीच कई चौंकाने वाली समानताएं

क्या ट्रंप और येल्तसिन हमारी सोच से ज़्यादा एक जैसे हैं? उनकी राजनीतिक रणनीतियों और शासन में गहरी पैठ जैसी कई समानताएं उभर कर सामने आई हैं.


पूर्व रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कई अप्रत्याशित समानताएं उभर कर सामने आई हैं. जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं. भले ही ये दोनों नेता अलग-अलग समय और संदर्भों में सत्ता में रहे हों. लेकिन उनकी राजनीतिक रणनीतियों ने उनके-अपने देशों में महत्वपूर्ण बदलाव किए. येल्तसिन ने सोवियत ब्यूरोक्रेसी को समाप्त किया. वहीं, ट्रंप ने अमेरिकी संस्थानों को निशाना बनाकर लोकतंत्र के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.

संस्थाओं का विघटन

1990 के दशक में रूस का नेतृत्व करते हुए येल्तसिन ने राज्य-स्वामित्व वाले उद्योगों का निजीकरण किया. जिससे कुछ चुनिंदा ओलिगार्क्स को फायदा हुआ. इसी प्रकार ट्रंप ने भी अरबपतियों, जैसे एलोन मस्क को बढ़ावा दिया, जिनके पास अमेरिकी सरकार के मामलों पर अभूतपूर्व प्रभाव है. दोनों नेताओं के शासन में मीडिया पर फर्जी खबरों का कब्जा रहा. जो सार्वजनिक विमर्श को प्रभावित करती थीं. मीडिया की खामोशी ने इन दावों को और भी प्रबल किया. ट्रंप में कोई खास फर्क नहीं है, सिवाय इसके कि वह और उनके समर्थक, जिनमें मीडिया भी शामिल है और भी अधिक बेशर्मी से झूठी और विकृत सूचनाओं को फैलाते हैं.

वैश्विक गठबंधनों में बदलाव

येल्तसिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से समर्थन प्राप्त करने के लिए अमेरिका के साथ अच्छे रिश्ते बनाए. ताकि वह अपनी दूसरी बार जीत हासिल कर सकें. इसी तरह ट्रंप ने रूस के प्रति अपनी नज़दीकी को एक वैश्विक कूटनीतिक मुद्दा बना दिया, जिसका असर NATO और यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर पड़ा. ट्रंप ने साफ तौर पर कहा था कि यूक्रेन को NATO में शामिल करने की कोई संभावना नहीं है और यही वही मुद्दा है, जिसके कारण रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया.

ओलिगार्की का उभार

येल्तसिन के शासन में कुछ प्रमुख व्यापारियों ने रूस की अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर लिया. ट्रंप के अमेरिका में भी कॉर्पोरेट हित और अरबपतियों के प्रभाव में वृद्धि देखी जा रही है. येल्तसिन के रूस में सत्ता सात प्रमुख बैंकरों के हाथों में थी, जिन्होंने निजीकरण के जरिए भारी लाभ कमाया. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में सबसे प्रमुख नाम एलोन मस्क का है, जिनके पास 'गवर्नमेंट एफिशिएंसी' विभाग में बहुत अधिक शक्तियां हैं.

लोकतंत्र के भविष्य पर सवाल

येल्तसिन के रूस ने व्लादिमीर पुतिन के तानाशाही शासन का रास्ता तैयार किया. वहीं, ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी लोकतंत्र के भविष्य को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. ट्रंप की लगातार सरकारी संस्थानों पर हमले, सरकारी अधिकारियों की बर्खास्तगी और अधिनायकवादी सरकारों के साथ करीबी रिश्ते अमेरिका के राजनीतिक भविष्य पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर रहे हैं. अमेरिका के लिए यह एक खतरनाक दिशा हो सकती है. खासकर जब हम उसकी वैश्विक प्रभाव को ध्यान में रखते हैं.

इतिहास इस समय गौर से देख रहा है और सवाल यह उठता है कि क्या ट्रंप अमेरिका को येल्तसिन की तरह अपने ढंग से फिर से आकार दे रहे हैं? जब संस्थाएं खतरे में हों तो आने वाले साल यह तय करेंगे कि लोकतंत्र अपनी राह पर बना रहेगा या फिर तानाशाही की ओर बढ़ेगा.



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