Marseille The New Centre Point Of Attraction For Indo French Connection: मार्सेल, जो कि फ्रांस के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक प्रमुख बंदरगाह शहर है, अब भारत और फ्रांस के बीच रिश्तों में अहम भूमिका निभाने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान मार्सेल का दौरा, दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार, ऊर्जा सहयोग और कूटनीतिक रिश्तों को और सशक्त बनाएगा।
व्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के लिए रणनीतिक मार्ग मार्सेल की भौगोलिक स्थिति इसे वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश बिंदु बनाती है। विशेष रूप से भारत-मध्य-पूर्व आर्थिक गलियारे (IMEC) के संदर्भ में, यह शहर एक अहम कड़ी बनकर उभरेगा। इस गलियारे का उद्देश्य भारत के पश्चिमी तट को यूरोप और अमेरिका से जोड़ना है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूत होंगी और क्षेत्रीय सुरक्षा में इजाफा होगा।
मार्सेल, इस व्यापारिक मार्ग का केंद्रीय हिस्सा बनकर भारत, यूरोप और मध्य-पूर्व के बीच व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाएगा। इसका रणनीतिक महत्व इन तीनों क्षेत्रों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को गति प्रदान करेगा।
कूटनीतिक दृष्टिकोण से मार्सेल का महत्व
मार्सेल का महत्व केवल व्यापार और ऊर्जा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और कांसुलेट की स्थापना के साथ-साथ, मार्सेल भारतीय और फ्रांसीसी नेताओं के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक वार्ताओं का एक केंद्र बन सकता है। इस कदम से भारत और फ्रांस के बीच व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और निवेश के क्षेत्र में एक नया रास्ता खुलेगा।
भारत के लिए यह कांसुलेट फ्रांस के साथ संबंधों को और सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह न केवल भारतीय व्यापारियों और नागरिकों के लिए सहायक होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा।
ऊर्जा सहयोग में महत्त्व
भूमध्य सागर के पास स्थित मार्सेल, ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत और फ्रांस के बीच परमाणु ऊर्जा और सतत ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग के दृष्टिकोण से यह शहर एक अहम स्थान बनता है। समुद्री मार्गों और ऊर्जा केंद्रों के पास स्थित होने के कारण, मार्सेल ऊर्जा से संबंधित परियोजनाओं के लिए एक उपयुक्त केंद्र साबित हो सकता है।
भारत का दूसरा कांसुलेट: कूटनीतिक और व्यावसायिक मील का पत्थर
मार्सेल में भारत का दूसरा कांसुलेट स्थापित किया जा रहा है, जो भारतीय नागरिकों और व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे उन्हें पेरिस जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, और भारतीय व्यवसायों के लिए यह कांसुलेट एक सहायक केंद्र बनेगा। कांसुलेट का उद्घाटन भारत-फ्रांस संबंधों में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है, जो दोनों देशों के व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और प्रगाढ़ करेगा।
आर्थिक और सुरक्षा संबंधों का सुदृढ़ीकरण
मार्सेल न केवल व्यापार के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-मध्य-पूर्व आर्थिक गलियारे के हिस्से के रूप में सुरक्षा सहयोग को भी बढ़ावा देगा। यह गलियारा भारत और यूरोप के बीच बेहतर व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ सुरक्षा सहयोग को भी मजबूत करेगा। इसके जरिए देशों के बीच आपसी संबंधों को और गहरा किया जाएगा, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार होगा और क्षेत्रीय सुरक्षा में मजबूती आएगी।