
बेल्जियम की अदालत से मेहुल चोकसी को झटका, कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ दलीलों को बताया ‘अप्रासंगिक’
अदालत ने कहा कि चोकसी का यह तर्क असंगत है कि उसके खिलाफ राजनीतिक कारणों से मुकदमा चलाया जा रहा है। इस दावे को कोई विश्वसनीय आधार प्राप्त नहीं है।
भारत के भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम की अदालत से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने कहा है कि भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ उन्होंने जो दलीलें दीं, वे “अप्रासंगिक” हैं और “किसी भी रूप में अदालत के निर्णय को प्रभावित नहीं करतीं।”
चोकसी, जिन्हें सीबीआई के प्रत्यर्पण अनुरोध पर 11 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया था, अब बेल्जियम की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकते हैं। उन्हें यह अपील 15 दिनों के भीतर करनी होगी।
मामला क्या है
मेहुल चोकसी पर 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले का आरोप है। उन्होंने एंटवर्प की अदालत में यह तर्क दिया था कि बेल्जियम सरकार उन्हें भारत प्रत्यर्पित नहीं कर सकती, क्योंकि ऐसा करने पर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाबदेह ठहराया जा सकता है, भारत में उनके न्यायपूर्ण सुनवाई (फेयर ट्रायल) के अधिकार का उल्लंघन होगा और उनके खिलाफ राजनीतिक कारणों से मुकदमा चलाया जा रहा है।
लेकिन अदालत ने कहा कि ये दलीलें “किसी ठोस सबूत से समर्थित नहीं हैं” और इसलिए “इनका कोई कानूनी महत्व नहीं है।”
अदालत का आदेश
17 अक्टूबर को जारी आदेश में अदालत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा बेल्जियम को प्रत्यर्पण आश्वासन पत्र (Letter of Assurance) दिया गया था, जिसमें बताया गया है कि भारत में चोकसी को किन परिस्थितियों में रखा जाएगा और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा।
चोकसी ने अपनी अपील में दावा किया था कि अगर उन्हें भारत भेजा गया तो यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) के अनुच्छेद 6 (निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार) का उल्लंघन होगा।
इस पर अदालत ने कहा, “संबंधित व्यक्ति ने कुछ गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रश्न उठाया है। लेकिन उसने कोई ठोस तत्व प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह निष्कर्ष निकले कि भारत में न्यायपालिका की स्वतंत्रता के अभाव में उसके साथ निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।”
अदालत ने आगे कहा, “उसका यह तर्क भी असंगत है कि उसके खिलाफ राजनीतिक कारणों से मुकदमा चलाया जा रहा है। इस दावे को कोई विश्वसनीय आधार प्राप्त नहीं है।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चोकसी के खिलाफ जो अपराध दर्ज हैं, वे राजनीतिक, सैन्य या राजस्व संबंधी अपराध नहीं हैं, जिन पर प्रत्यर्पण लागू न हो। “ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि प्रत्यर्पण अनुरोध जाति, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचारों के आधार पर दंडित करने के उद्देश्य से किया गया है।”
स्वास्थ्य और देखभाल का तर्क भी खारिज
चोकसी ने यह भी दावा किया कि भारत की जेलों में उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुरूप इलाज संभव नहीं है, लेकिन अदालत ने कहा कि उन्होंने इस दावे का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
अदालत के आदेश में कहा गया है कि कथित अपराध 31 दिसंबर 2016 से 1 जनवरी 2019 के बीच हुए थे और इन पर न तो भारत में और न ही बेल्जियम में अभियोजन की समयसीमा (statute of limitations) समाप्त हुई है।
चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई के पीएनबी ब्रैडी हाउस शाखा के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिए बैंक को धोखा दिया।
चोकसी फिलहाल एंटवर्प की जेल में बंद है। सितंबर 2025 में बेल्जियम अदालत ने चोकसी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जब उनका प्रत्यर्पण सुनवाई का समय करीब था।
4 सितंबर को भारत के गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव राकेश कुमार पांडे ने बेल्जियम अधिकारियों को एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया था कि भारत सरकार चोकसी को न्यायालय में पेश करने के लिए उनका प्रत्यर्पण चाहती है।