India, Belgium jointly stopped Mehul Choksi from fleeing to Switzerland
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मेहुल चौकसी इलाज के लिए स्विट्जरलैंड भागने की फिराक था लेकिन उसे समय पर रोक लिया गया

वो खुफिया ऑपरेशन, जिसकी वजह से दबोचा जा सका मेहुल चौकसी

मेहुल चौकसी इलाज के बहाने स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश में था, लेकिन भारत और बेल्जियम ने मिलकर उसे भागने से कैसे रोका? इसकी दास्तान भी कम दिलचस्प नहीं है


भारत के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी मामले में वांछित मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी भारत और बेल्जियम के साझा ऑपरेशन से संभव हो पाई। वह कथित तौर पर इलाज के बहाने स्विट्ज़रलैंड भागने की तैयारी कर रहा था। यह गिरफ्तारी भारत के तीन देशों में सात साल से जारी प्रयासों के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

कब से थी तलाश?

मेहुल चोकसी गीतांजलि ग्रुप का मालिक है और भारत के 13,500 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले का मुख्य किरदार रहा है। मेहुल चोकसी 2018 में अपने भतीजे नीरव मोदी, पत्नी एमी मोदी और भाई नीलशल मोदी के साथ देश छोड़कर भाग गया था।

इसके बाद चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर ली थी। एंटीगुआ में निवेश कार्यक्रम के जरिए मेहुल चोकसी वहां का नागरिक बना, जिससे भारत के लिए उसे न्याय के दायरे में लाना और भी मुश्किल हो गया।

गिरफ्तारी के लिए बिछाया जाल

बेल्जियम में हुई यह गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों , CBI और ED के खुफियाऑपरेशन का नतीजा है। इन एजेंसियों ने वैश्विक स्तर पर मेहुल चोकसी की गतिविधियों पर नजर रखी हुई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों का सूचना मिली थी कि चोकसी कैंसर के इलाज के लिए स्विट्ज़रलैंड के हिर्सलैंडन क्लिनिक, आराउ भागने की कोशिश कर रहा है। इसी सूचना के आधार पर बेल्जियम पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई की और मेहुल को धर दबोचा।

चोकसी ने नवंबर 2024 में फर्जी दस्तावेजों के जरिए बेल्जियम से F रेजीडेंसी कार्ड हासिल किया था, जिसमें उसकी पत्नी प्रीति चोकसी (जो बेल्जियम नागरिक हैं) की भी भूमिका बताई जा रही है। उसने मानवीय आधार और गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का हवाला देते हुए यह कार्ड हासिल किया, जबकि उसने अपनी दोहरी नागरिकता, भारतीय और एंटीगुआ, को छिपाया।

जब भारतीय अधिकारियों को पता चला कि चोकसी ने F+ रेजीडेंसी कार्ड के लिए आवेदन किया है, जिससे प्रत्यर्पण की प्रक्रिया और मुश्किल हो जाती, तब उन्होंने तुरंत कदम उठाया। बेल्जियम अधिकारियों ने कार्ड परिवर्तन की प्रक्रिया को रोक दिया और मुंबई की अदालतों द्वारा 2018 और 2021 में जारी दो गैर-जमानती वारंट के आधार पर चोकसी को एंटवर्प में गिरफ्तार कर लिया।

फिलहाल मेहुल चोकसी बेल्जियम की जेल में है और उसकी ज़मानत पर सुनवाई एक सप्ताह बाद होने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स में चोकसी के वकील विजय अग्रवाल के हवाले से कहा गया है कि गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है और चोकसी की खराब सेहत और कैंसर के इलाज का हवाला देते हुए उसे छुड़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

मेहुल चोकसी और कानून का आमना-सामना

यह पहली बार नहीं है जब चोकसी को अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सामना करना पड़ा है। 2021 में उसे डोमिनिका में अवैध प्रवेश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद कई कानूनी लड़ाइयाँ छिड़ गईं।

उस वक्त CBI की एक टीम उसे भारत लाने के लिए भेजी गई थी, लेकिन उसके वकीलों ने चिकित्सा कारणों के आधार पर उसे एंटीगुआ वापस भेजने में सफलता पाई। ब्रिटेन की क्वीन की प्रिवी काउंसिल ने भी उसके पक्ष में फैसला सुनाया और वह 51 दिन जेल में बिताने के बाद एंटीगुआ लौट गया।

भारत सरकार ने हार नहीं मानी और उसकी मौजूदगी की जानकारी मिलने के बाद 2024 में बेल्जियम की स्थानीय एजेंसियों को अलर्ट किया गया और विस्तृत दस्तावेज साझा किए गए जिसमें उसके घोटाले में शामिल होने की जानकारी दी गई थी। उसके बाद बेल्जियम पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, जिससे वह एक बार फिर भागने से पहले ही पकड़ा गया।

इससे पहले चोकसी ने भारतीय एजेंसियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सहयोग देने की पेशकश की थी, लेकिन स्वास्थ्य और यात्रा न कर पाने का हवाला देते हुए की गई इस पेशकश को खारिज कर दिया गया था।

इस ताज़ा गिरफ्तारी के साथ भारत अब उसे अपने देश में लाकर मुकदमा चलाने के और करीब पहुंच गया है। ED और CBI अब बेल्जियम में औपचारिक प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।

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