मोहम्मद युनुस : एक तरफ नोबेल तो दूसरी तरफ 20 लाख डॉलर के घपले का आरोप
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मोहम्मद युनुस : एक तरफ नोबेल तो दूसरी तरफ 20 लाख डॉलर के घपले का आरोप

बाग्लादेश आर्मी ने अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर जिस मोहम्मद युनुस का नाम चुना है, उनके जीवन में अच्छाई और बुराई सिक्के के दो पहलु की तरह जुड़े हुए हैं.


Bangladesh unrest Muhammad Yunus: जहाँ एक ओर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का नाम तख्ता पलट के चलते सुर्ख़ियों में है तो वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश के एक और शख्स का नाम 5 अगस्त से सुर्ख़ियों में है, वो है मोहम्मद युनुस. जिन्हें बांग्लादेश की सेना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुखिया बनाने के लिए मनोनीत किया है. ऐसी भी चना है कि 80 वर्षीय मोहम्मद युनुस इसके लिए राज़ी भी हो गए हैं. लेकिन मोहम्मद युनुस के बारे में जाने जाएँ तो उनके जीवन में अच्छाई और बुराई दोनों जैसे सिक्के के एक पहलु की तरह है. जहाँ एक ओर वो नोबल पुर्सुकर विजेता हैं तो वहीँ दूसरी ओर उनके सर पर 20 लाख मिलियन डॉलर के गबन का गंभीर आरोप भी है. जानते हैं मोहमाद युनुस के साथ जुड़ी तमाम अच्छाई और बुराई के बारे में.


मोहम्मद युनुस की अच्छाईयाँ
मोहम्मद युनुस का जन्म अंग्रेजों के शासनकाल वाले भारत के ईस्ट बंगाल में 1940 में हुआ था. वो बांग्लादेश में एक बैंकर, अर्थशाष्त्री और समाजसेवी के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने चटगांव यूनिवर्सिटी, बांग्लादेश से अर्थशाश्त्र में पढ़ाई की, जिसके बाद वो वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई करने चले गए और वहां से उन्होंने अर्थशाश्त्र में ही पीएचडी भी की. पीएचडी करने के बाद उन्होंने पाकिस्तान से ईस्ट बंगाल और फिर से बने बांग्लादेश की सेवा करना ज्यादा बेहतर समझा. उन्होंने अपने अर्थशाश्त्र की पढाई का सारा लाभ अपने गरीब देश के उत्थान के लिए लगाया. मोहम्मद युनुस ही वो शख्स हैं, जिन्होंने बांग्लादेश के गाँव तक बैंक सुविधा को पहुँचाया, इसके लिए उन्होंने ग्रामीण बैंक की स्थापना की. युनुस ही वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने बांग्लादेश में छोटे ऋण देने की सुविधा शुरू की. उन्होंने न केवल अपने देश बल्कि अपनी जनता को आर्थिक स्तर पर सुधारने के लिए काफी प्रयास किया, जिसकी बदौलत साल 2006 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया. इसके अलावा उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से भी सम्मानित किया जा चुका है.

यूँ ही एक दम से राजनीती में नाम नहीं आया युनुस का
मोहम्मद युनुस जिन्होंने बांग्लादेश और उसके लोगों के लिय काफी काम किया है, समाज सेवा करते हुए उन्होंने भी अपने देश की राजनीती में हिस्सा लेने का मन बनाया और इसके लिए उन्होंने देश के दो प्रमुख राजनितिक दलों में शामिल न होते हुए अपनी ही एक पार्टी का गठन किया. उन्होंने नोबल पुरुस्कार जीतने के बाद वर्ष 2007 में नागरिक शक्ति नाम से एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया. हालाँकि उनकी पार्टी जनता के बीच कुछ ख़ास पहुँच नहीं बना सकी. इसके बाद 2012 में युनुस को स्कॉटलैंड के ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी का चांसलर भी बनाया गया.

अब बात करते हैं उनके जीवन के सिक्के के दूसरे पहलु की
1 - पिछले दो महीने से चल रही हिंसा को ठहराया जायज - मोहम्मद युनुस की छवि अर्थशाश्त्री के साथ साथ एक समाज सेवक की भी है. वो छात्रों के बीच भी काफी प्रसिद्ध हैं. बांग्लादेश में लगभग दो महीने से अशांति का माहौल है. पूरे देश में विरोध प्रदर्शन और हिंसा का दौर चलता रहा है. इन दो महीनों में युनुस ने प्रदर्शन के दौरान की गयी हिंसा ( प्रदर्शनकारियों की तरफ से ) को बड़े ही बुद्धिजीवी तर्क की मदद से जायज ठहराने से भी गुरेज नहीं किया है.

2 - 20 लाख डॉलर के गबन का आरोप, 6 महीने की जेल, फिर जमानत
मोहम्मद युनुस पर 20 लाख डॉलर के गबन का गंभीर आरोप है. 12 जून 2024 को समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस (AP) ने की एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की एक अदालत में नोबेल पुरुस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस और 13 अन्य लोगों पर गबन के आरोप लगाये गए. लेकिन 83 वर्षीय युनूस ने इन आरोपों को झूठा बताया और कहा कि उन्हें और उनके साथियों को परेशान किया जा रहा है. ये आरोप बांग्लादेश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी ग्रामीण टेलिकॉम ने लगाये थे. अभियोजन पक्ष ने कहा कि यूनुस और उनके साथियों ने ग्रामीण टेलीकॉम के श्रमिक कल्याण कोष से 250 मिलियन टका यानी 20 लाख डॉलर की हेराफेरी की है. युनुस और उनके साथियों पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप भी लगाया गया.
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने तर्क को साबित करने में सफल रहा है और सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तारीख मुकर्रर की गई.

3. श्रम कानून मामले में हो चुकी है 6 महीने की सजा
मोहम्मद युनुस को जनवरी में ही श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप में अदालत ने 6 महीने की सजा सुनाई थी, हालाँकि उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया.

4. शेख हसीना सरकार से ख़राब रिश्तों के चलते फंसाया गया
मोहम्मद युनुस के समर्थकों और सहयोगियों ने उन्हें पाक साफ़ बताते हुए शेख हसीना सरकार पर गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने ये आरोप लगाया था कि शेख हसीना सरकार से उनके अच्छे रिश्ते नहीं हैं, इसलिए उन्हें इस तरह से फंसाया जा रहा है. लेकिन शेख हसीना सरकार ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया था.
इतना ही नहीं 2023 में 170 से अधिक वैश्विक नेताओं और नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना से मोहम्मद यूनुस के खिलाफ कानूनी कार्यवाही न करने का अनुरोध किया था.


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