नेपाल में जेन-ज़ी के विरोध प्रदर्शनों में 19 की मौत के बाद सोशल मीडिया बैन हटाया गया
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नेपाल में प्रदर्शन देशभर में फैल गए, जिससे कई जगहों पर कर्फ्यू और सेना की तैनाती करनी पड़ी

नेपाल में 'जेन-ज़ी' के विरोध प्रदर्शनों में 19 की मौत के बाद सोशल मीडिया बैन हटाया गया

सोमवार को युवाओं के बड़े प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई के बाद कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। इसके बाद गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया।


नेपाल ने सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है। यह कदम जनरेशन-ज़ी युवाओं के हिंसक प्रदर्शनों के बाद उठाया गया, जिनमें कई लोगों की मौत और सैकड़ों घायल हुए। इस स्थिति ने गृह मंत्री को इस्तीफा देने पर मजबूर किया।

विपक्षी दलों ने सरकार की कार्रवाई के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की है और कहा है कि आंशिक राहत के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे। ये प्रदर्शन भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता को लेकर भड़के और देशभर में फैल गए, जिससे कई जगहों पर कर्फ्यू और सेना की तैनाती करनी पड़ी।

विरोध और इस्तीफा

सोमवार को युवाओं के बड़े प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई के बाद कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। इसके बाद गृह मंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) की केंद्रीय समिति सदस्य स्वाति थापा ने के हवाले से कहा गया है,“सभी 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म बहाल कर दिए गए हैं, लेकिन सिर्फ बैन हटाना पर्याप्त नहीं है। असली मुद्दा जवाबदेही का है। राज्य ने निहत्थे और शांतिपूर्ण युवाओं की बेरहमी से हत्या की है—कुछ तो स्कूल की यूनिफॉर्म में थे। गृह मंत्री का इस्तीफा देना पर्याप्त नहीं है। सरकार को अदालत में जवाब देना होगा और इस सामूहिक हत्याकांड के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। हम चुप नहीं रहेंगे—जनरेशन-ज़ी मंगलवार को फिर सड़कों पर उतरेगी और आरपीपी उनके साथ खड़ी होगी।”

स्थिति बिगड़ने के बाद सेना को राजधानी काठमांडू में तैनात कर दिया गया। संसद परिसर के आसपास की सड़कों का नियंत्रण सेना ने अपने हाथ में ले लिया। इससे पहले हजारों युवाओं, जिनमें स्कूली छात्र भी शामिल थे, ने संसद भवन के बाहर विशाल प्रदर्शन किया और सरकार विरोधी नारे लगाए।

नेपाल के हालिया इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन

ये विरोध प्रदर्शन नेपाल के हालिया इतिहास में एक दिन के सबसे व्यापक प्रदर्शन थे। सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली की सरकार पर दबाव और बढ़ा दिया। विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सदस्य भी उनके इस्तीफे की मांग करने लगे।

आंखों देखी गवाहियों के अनुसार, प्रदर्शन हिंसक तब हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस और गोलियों का इस्तेमाल किया।

प्रतिभा रावल, राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी (दूसरी विपक्षी पार्टी) की संयुक्त प्रवक्ता ने कहा, “यह कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई नहीं थी, यह नरसंहार था। ये युवा हथियार नहीं, बल्कि तख्तियां लेकर आए थे। उनकी आवाज़ का जवाब गोलियों से दिया गया। इस्तीफा न्याय नहीं है। यह पीढ़ी चुप नहीं बैठेगी—हम सड़कों पर लौटेंगे, न सिर्फ अपने अधिकारों को वापस लेने के लिए बल्कि राज्य की हिंसा के लिए जवाबदेही तय करने की मांग के लिए।”

गुस्से की वजह

नेपाल में गुस्सा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और आर्थिक असमानता भी गहराती जा रही है। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा उन दर्जनों सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर लगाए गए प्रतिबंध से भी भड़का, जिनमें फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और वीचैट शामिल थे।

सरकार ने गुरुवार को यह बैन लगाया था और कहा था कि ये प्लेटफ़ॉर्म नए पंजीकरण नियमों का पालन नहीं कर रहे।

हताहत और हिंसा का फैलाव

नेपाल पुलिस के प्रवक्ता बिनोद घिमिरे ने बताया कि काठमांडू के अलग-अलग हिस्सों में हुई झड़पों में 17 लोग मारे गए, जबकि पूर्वी नेपाल के सुनसारी ज़िले में पुलिस फायरिंग में दो प्रदर्शनकारी मारे गए।

प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इतहरी और दमक तक फैल गए। लेखक, जो गठबंधन सरकार में नेपाली कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया।

हिंसा के बाद प्रशासन ने राजधानी के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया। इसके अलावा, ललितपुर ज़िले, पोखरा, बुटवल और सुनसारी ज़िले के इतहरी में भी कर्फ्यू आदेश जारी किए गए।

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को कहा था कि उनकी सरकार “हमेशा अनियमितताओं का विरोध करेगी और कभी भी किसी ऐसी गतिविधि को स्वीकार नहीं करेगी जो राष्ट्र को कमजोर करे।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, “लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है कि जो लोग नेपाल में व्यापार कर रहे हैं, पैसा कमा रहे हैं, वे कानून का पालन न करें।”

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