राष्ट्रपति पुतिन जल्द करेंगे भारत का दौरा, मॉस्को में बोले अजित डोभाल
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राष्ट्रपति पुतिन जल्द करेंगे भारत का दौरा, मॉस्को में बोले अजित डोभाल

राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा और ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ दोनों घटनाएं भारत की विदेश नीति के लिए एक निर्णायक मोड़ की ओर इशारा कर रही हैं।


भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने गुरुवार को कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत की यात्रा पर आएंगे। यह जानकारी रूस की समाचार एजेंसी Interfax के हवाले से सामने आई है। हालांकि, डोभाल ने दौरे की तारीखों का खुलासा नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि तारीखें "लगभग तय" हो चुकी हैं।

मॉस्को में रूसी अधिकारियों से मुलाकात के दौरान अजित डोभाल ने कहा कि भारत और रूस के बीच एक विशेष और लंबा संबंध रहा है। हमने उच्चस्तरीय संवाद बनाए रखा है और यह संवाद हमारे संबंधों को मजबूती प्रदान करता है। हमें खुशी है कि राष्ट्रपति पुतिन भारत यात्रा पर आने वाले हैं। हमें बताया गया है कि इस दौरे की तारीखें लगभग तय हो चुकी हैं। डोभाल की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और अमेरिका के संबंधों में रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर तनाव देखा जा रहा है।

ट्रंप का टैरिफ हमला

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी कर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ (शुल्क) लगा दिया है। यह निर्णय भारत द्वारा रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने के कारण लिया गया है, जो कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद जारी है। इसके साथ ही भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और गहरा गया है।

भारत की सफाई

भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि रूसी तेल की खरीद 'राष्ट्रीय हित' और 'बाज़ार की जरूरतों' के आधार पर की जा रही है। भारत ने कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक स्रोतों का उपयोग करने को स्वतंत्र है।

डोभाल की यात्रा के अहम मुद्दे

NSA डोभाल की रूस यात्रा के दौरान ऊर्जा सहयोग, रक्षा सौदे और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। रूस से तेल की खरीद, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति और रणनीतिक साझेदारी को लेकर भारत की नीति पर अब अमेरिका की नाराजगी साफ तौर पर दिख रही है।

बड़ी तस्वीर

राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा और ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ दोनों घटनाएं भारत की विदेश नीति के लिए एक निर्णायक मोड़ की ओर इशारा कर रही हैं। आने वाले हफ्तों में यह देखना अहम होगा कि भारत किस तरह से रूस और अमेरिका के बीच संतुलन साधता है और क्या राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा इस दिशा में कोई नया संकेत लेकर आएगी।

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