लेबनान में पहले पेजर फिर वॉकी टॉकी धमाका, समझें- खतरा क्यों बड़ा है
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लेबनान में पहले पेजर फिर वॉकी टॉकी धमाका, समझें- खतरा क्यों बड़ा है

लेबनान में पेजर या वॉकी टॉकी धमाका कई मायनों में खतरनाक है। अगर यह किसी खुफिया एजेंसी का काम है तो आने वाले समय में युद्ध या लड़ाई की तस्वीर बदल जाएगी।


Lebanon Explosion News: लेबनान में पिछले दो दिन में दो बड़ी घटना हुई। पहले पेजर में सीरियल ब्लास्ट ,से 9 लोगों की मौत और सैकड़ों लोग घायल होते हैं। ठीक एक दिन बाद वॉकी टॉकी में धमाका 20 लोगों की मौत सैकड़ों लोग घायल। अब सवाल यह कि क्या फ्रिज, फोन और टीवी सेट में धमाका होगा। पेजर वाले धमाके पर लेबनान के आंतकी समुह हिजबुल्लाह को इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर शक है। लेबनान का मानना है कि ताइवानी कंपनी के पेजर में 3 ग्राम विस्फोटक का भी इस्तेमाल हुआ था, हालांकि इसे लेकर इजरायल की तरफ से कुछ बयान नहीं आया है। लेकिन जिस तरह से वॉकी टॉकी में विस्फोट हुआ है उससे ऐसा लगता है कोई मजबूत नेटवर्क इसके पीछे हैं।

पहले पेजर फिर वॉकी टॉकी अब आगे क्या
लेबनान का आतंकी गुट हिजबुल्लाह जो ईरान समर्थित है वो अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पेजर का इस्तेमाल करता है ताकि दूसरी खुफिया एजेंसियों को उनकी योजना के बारे में भनक ना लग सके। लेकिन जिस तरह से पेजर विस्फोट कराया उसे हिजबुल्लाह संगठन सशंकित हो चला है। वो अपने लड़ाकों से किसी भी इलेक्ट्रानिक गैजेट्स के इस्तेमाल को सोच समझ करने की सलाह दी है। लेकिन क्या लेबनान में अब फ्रिज, टीवी सेट्स में भी धमाका हो सकता है। सवाल इससे भी बड़ा है कि खतरा बड़ा है। खतरा सिर्फ इजरायल की मोसाद या लेबनान के हिजबुल्लाह तक सीमित नहीं है।

लजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक विस्फोट करने वाले उपकरणों में पोर्टेबल टू-वे रेडियो, लैपटॉप और यहाँ तक कि कुछ सौर ऊर्जा सेटअप भी शामिल हैं। कई अलग-अलग उपकरणों के फटने की खबरें हैं। कई वाहनों में भी आग लगने की खबर है। हालांकि पुख्ता तौर परयह बता पाना मुश्किल है कि ये विस्फोट कारों से ही हुए या वाहनों के अंदर की वस्तुओं से।इस तरह के विस्फोट से लोगों में दहशत है। लोगों को डर है कि अभी भी विस्फोट करने के लिए और भी उपकरण तैयार किए जा सकते हैं। बेरूत और दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्लाह के गढ़ों को निशाना बनाकर किए गए इन विस्फोटों से हज़ारों लेबनानी निवासी सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। साथ ही विस्फोटों ने दुकानों, घरों और यहाँ तक कि अस्पतालों सहित नागरिक क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में लिया है। यह हमला हिजबुल्लाह के इतिहास में सबसे बड़ा सुरक्षा चूक की तरफ इशारा कर रहा है। जो हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच हिंसा के एक नए चरण को जन्म दे सकता है।

यहां बता दें कि हिजबुल्लाह भले ही इजरायल को जिम्मेदार ठहरा रहा है। लेकिन इजरायल की तरफ से चुप्पी साधी गई है। इस तरह के धमाकों के पीछे कौन जिम्मेदार था कभी ना कभी सच्चाई से पर्दा उठ जाएगा। हालांकि खतरा क्यों बड़ा है इसे समझने की जरूरत है। मसलन पेजर बनाने वाली कंपनी ताइवान की है। यूरोप की एक फर्म को पेजर बनाने का अधिकार ताइवान की तरफ से दी गई थी। हिजबुल्ला के मुताबिक इजरायल की खुफिया एजेंसी ने उन पेजर में विस्फोटक इस्तेमाल किया। विस्फोटक वाले पेजर की डिलिवरी लेबनान तक सुनिश्चित कराई। शायद पेजर में विस्फोटकों की जानकारी हो भी नहीं पाती अगर हिजबुल्ला का एक सदस्य पहले घायल नहीं हुआ होता। ऐसा कहा जा रहा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर और उंगली ना उठे लिहाजा विस्फोटक वाले पेजर को खत्म करने का फैसला लिया।

अब इसका एक पक्ष ये है कि अगर दो देशों की एक दूसरे से नहीं बनती है तो वो इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं। मसलन मोबाइल फोन का इस्तेमाल अब शायद ही कोई ना करता हो। फर्ज करिेए कि इलेक्ट्रानिक गैजेट्स में अगर विस्फोटक या किसी और तरीके से विस्फोट कराया जाता है तो तबाही कितने बड़े पैमाने पर हो सकती है। इसकी वजह से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों की जान जाएगी। बल्कि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के तबाह होने का खतरा हमेशा के लिए बढ़ जाएगा। वैश्विक मामलों की समझ रखने वाले कहते हैं कि पारंपरिक युद्ध की जगह अब नए नए सिस्टम पर काम किया जा रहा है मसलन जैविक युद्ध। आज से तीन साल पहले जब दुनिया को कोरोना ने अपने जाल में जकड़ लिया था तो किस तरह की तस्वीर बनी थी हम सबने देखा है। भले ही कोविड का वायरस शांत बैठा हुआ है लेकिन खतरा नहीं टला है। ठीक वैसे ही हम एक नए खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं।

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