oint secretary of the Pakistan-Afghanistan-Iran of External Affairs Ministry, M Anand Prakash had a meeting with Muttaqi in Afghanistans capita
x
हाल ही में विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान प्रभाग के संयुक्त सचिव नियुक्त किए गए एम आनंद प्रकाश ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की।

तालिबान और तुर्की ने भी पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की, PAK की चाल नाकाम

तालिबान-शासित अफगानिस्तान और तुर्की दोनों ने पाकिस्तान को झटका दिया। काबुल में भारत के शीर्ष डिप्लोमेट ने अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की।


पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी गोलबंदी तेज कर दी है। भारत ने विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान मामलों के प्रभारी संयुक्त सचिव एम आनंद प्रकाश को इस सप्ताह काबुल भेजा। प्रकाश पहले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) से जुड़े कार्य देख चुके हैं।

प्रकाश के काबुल पहुंचने से पहले ही तालिबान-शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल क़ाहर बल्ख़ी ने कहा, "इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान का विदेश मंत्रालय जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में पर्यटकों पर हाल ही में हुए हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करता है और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है।"

उन्होंने कहा कि "ऐसी घटनाएं क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों को कमजोर करती हैं।"

भारत-अफगान संबंधों को मजबूत करने पर बातचीत

सोमवार को अफगानिस्तान की राजधानी में बताया गया कि भारत के एक वरिष्ठ राजनयिक ने अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और द्विपक्षीय राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने तथा व्यापार और पारगमन सहयोग बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने हालिया क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार-विमर्श किया।

बयान के अनुसार, मुत्ताकी ने काबुल और दिल्ली के बीच कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापारियों, रोगियों और छात्रों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाने और लोगों की आवाजाही में सहूलियत देने की बात भी कही।

अफगानिस्तान को सहायता जारी रखेगा भारत

एम आनंद प्रकाश ने अफगानिस्तान के साथ भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की उम्मीद जताई। उन्होंने काबुल को आश्वस्त किया कि भारत मानवीय सहायता और अधोसंरचना परियोजनाओं में निवेश जारी रखेगा, जिसमें पहले रुकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करने का भी संकेत दिया।

बयान में कहा गया, "दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय जुड़ाव बढ़ाने, वीज़ा प्रक्रियाओं को सरल बनाने, प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया।"

यह बैठक उस जनवरी में दुबई में हुई बैठक के महीनों बाद हुई है, जिसमें भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी के बीच उच्च स्तरीय बातचीत हुई थी — यह तालिबान शासन के साथ भारत की पहली औपचारिक मुलाकातों में से एक थी।

तालिबान का रुख भारत के लिए अनुकूल

बैठक में तालिबान पक्ष ने भारत को आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान किसी भी देश के लिए खतरा नहीं है और भारत के साथ राजनयिक संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई — हालांकि भारत ने अभी तक तालिबान को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है।

भारत की इस कूटनीतिक पहल के अतिरिक्त, तुर्की के विदेश मंत्रालय का बयान भी दिल्ली के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखा गया है।

"हमें यह जानकर गहरा दुख हुआ है कि आज (22 अप्रैल) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकवादी हमले में कई लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। हम इस नृशंस हमले की कड़ी निंदा करते हैं। पीड़ित परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं," — तुर्की का विदेश मंत्रालय, अंकारा

सूत्रों के अनुसार, तुर्की के इस बयान में घटना को 'आतंकवादी हमला' कहा गया, जम्मू-कश्मीर को 'विवादित क्षेत्र' नहीं कहा गया और हमले की स्पष्ट निंदा की गई — ये सभी बातें भारत के लिए सकारात्मक कूटनीतिक संकेत हैं।

इस्लामाबाद की रणनीति और भारत की प्रतिक्रिया

इधर, इस्लामाबाद अब इंडस जल संधि के निलंबन को लेकर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का रुख करने पर विचार कर रहा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह फिलहाल इस संधि को अस्थायी रूप से निलंबित रखेगा।

Read More
Next Story