UNGA में बोले शहबाज शरीफ, सिंधु जल संधि को निलंबित करना भारत का युद्ध समान कदम
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UNGA में बोले शहबाज शरीफ, सिंधु जल संधि को निलंबित करना भारत का 'युद्ध समान कदम'

India Pakistan Tension: संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जिस तरह से भारत पर सिंधु जल संधि के उल्लंघन, कश्मीर में "अत्याचार" और संधि को "युद्ध जैसी कार्रवाई" कहकर हमला बोला, उससे दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर से सतह पर आ गया है.


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Indus Water Treaty: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में शुक्रवार को अपने संबोधन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने भारत पर सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को एकतरफा निलंबित करने का आरोप लगाया. शरीफ ने कहा कि भारत की यह कार्रवाई संधि की शर्तों और अंतरराष्ट्रीय कानून दोनों का उल्लंघन है.

युद्ध की कार्रवाई समान

शरीफ ने अपने भाषण में कहा कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को एकतरफा और गैरकानूनी रूप से निलंबित करना, न केवल संधि की शर्तों का उल्लंघन है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों की भी अवहेलना है. पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि हम अपनी जनता के इन जल संसाधनों पर अधिकार की हर हाल में रक्षा करेंगे. हमारे लिए यह उल्लंघन एक युद्ध समान कार्रवाई है.

भारत ने क्यों रोकी सिंधु जल संधि?

भारत ने यह कदम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद उठाया था, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी. सरकार ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का प्रत्यक्ष उदाहरण बताया था और जवाबस्वरूप कुछ प्रतिरोधात्मक उपायों (counter-measures) के रूप में संधि को “निलंबित” (in abeyance) कर दिया. भारतीय अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत की संप्रभुता के अधिकार के अंतर्गत लिया गया है. भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद का प्रमाणिक रूप से अंत नहीं करता, तब तक संधि की पुनर्बहाली संभव नहीं है.

क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुई यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल विभाजन को लेकर हुई थी. इसमें भारत को पूर्वी नदियां रावी, ब्यास और सतलज मिली थीं. जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब सौंपी गई थीं. इस संधि ने अब तक तीन युद्धों और कई तनावों के बावजूद काम किया है. लेकिन भारत में अक्सर इसे "पानी पर पाकिस्तान को अनुचित फायदा" देने वाली संधि कहा जाता है.

कश्मीर का मुद्दा

अपने भाषण में शहबाज शरीफ ने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि मैं कश्मीरी भाइयों को आश्वस्त करता हूं कि मैं उनके साथ हूं, पाकिस्तान उनके साथ है और वह दिन दूर नहीं जब भारत का अत्याचार समाप्त होगा. जहां एक ओर शरीफ़ ने भारत पर तीखे आरोप लगाए. वहीं, उन्होंने भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर "समग्र, व्यापक और परिणाम-उन्मुख संवाद" शुरू करने की इच्छा भी जताई. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ हर मुद्दे, जिसमें कश्मीर भी शामिल है, पर ठोस और सार्थक बातचीत के लिए तैयार है. यह बयान तब आया है, जब दोनों देशों के बीच हालिया सीज़फायर और सैनिक वार्ताएं हुई हैं.

भारत का मध्यस्थता से इनकार

हालांकि, शरीफ़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को "शांति पुरुष" बताया और संकेत दिया कि उन्होंने वार्ता में भूमिका निभाई, भारत ने इस दावे को पूरी तरह नकार दिया है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में स्पष्ट किया था कि किसी विदेशी नेता ने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने के लिए भारत से नहीं कहा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी दोहराया कि सीज़फायर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि सीधे सैन्य बातचीत के ज़रिए हुआ.

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