
पाकिस्तान की धरती पर जयशंकर का उसी को संदेश- 'आतंकवाद के बीच नहीं हो सकता कारोबार'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के बीच व्यापार, ऊर्जा और संपर्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है.
SCO meeting: भारत के अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध तल्ख चल रहे हैं. भारत पाकिस्तान की तरफ से होने वाले आतंकवाद को लेकर परेशान है. वहीं, चीन से सीमाओं को लेकर दो-दो हाथ कर रहा है. ऐसे में भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कड़ा रुख अपनाया और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद और कारोबार एक साथ नहीं हो सकते हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर सीमा पार से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद पर आधारित गतिविधियां होंगी तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना नहीं है. भारत के विदेश मंत्री ने यह टिप्पणी पाकिस्तान के इस्लामाबाद में एससीओ की 23 वीं बैठक में की. बता दें कि शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की.
संबंध
जयशंकर ने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभुता समानता पर आधारित होना चाहिए तथा इसमें राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सहयोग के लिए विश्वास महत्वपूर्ण है और यदि समूह सामूहिक रूप से आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य देशों को काफी लाभ हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारी पर बनाया जाना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर. अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को ही चुनेंगे तो यह प्रगति नहीं कर सकता है.
बुराईयां
एससीओ चार्टर का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा कि अगर सदस्य देश चाहते हैं कि उनके प्रयास सफल हों तो उन्हें आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की 'तीन बुराइयों' का मुकाबला करने में अडिग रहना होगा. उन्होंने कहा कि लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे, जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी. यह स्वयंसिद्ध है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की आवश्यकता होती है और जैसा कि चार्टर में स्पष्ट किया गया है. इसका अर्थ है 'तीन बुराइयों' का मुकाबला करने में दृढ़ और समझौताहीन होना है. उन्होंने कहा कि अगर सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से जुड़ी हैं तो इनसे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है.
'अच्छे पड़ोसी' पर जोर
चार्टर में उल्लिखित आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी की भावना को मजबूत करने के सार पर प्रकाश डालते हुए जयशंकर ने कहा कि प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को इन सिद्धांतों के प्रति वफादार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, अगर मित्रता में कमी आई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और समाधान करने के कारण हैं. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करेंगे, तभी हम सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से महसूस कर सकेंगे, जिसकी इसमें परिकल्पना की गई है.
जंग और लोन
जयशंकर ने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि हम विश्व मामलों में एक कठिन समय पर मिल रहे हैं. दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने वैश्विक परिणाम हैं. कोविड महामारी ने विकासशील देशों में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है.उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के व्यवधान - चरम जलवायु घटनाओं से लेकर आपूर्ति श्रृंखला अनिश्चितताओं और वित्तीय अस्थिरता तक - वृद्धि और विकास को प्रभावित कर रहे हैं. जयशंकर ने ऋण की चुनौती को भी गंभीर चिंता का विषय बताया. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में बहुत संभावनाएं हैं, साथ ही यह कई नई चिंताएं भी पैदा करती है.